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Hardoi News: भाजपा विधायक को 42 साल बाद मिली राहत, हत्या के मामले में अदालत से बरी
Hardoi News: हरदोई के बालामऊ सीट से भाजपा विधायक रामपाल वर्मा को बड़ी राहत मिली है। संदेह का लाभ देते हुए अदालत ने शुक्रवार को उनकी रिहाई का आदेश जारी किया। करीब 42 वर्ष पुराने हत्या के मामले में विधायक को नामजद किया गया था।
Hardoi News: हरदोई के बालामऊ सीट से भाजपा विधायक रामपाल वर्मा को बड़ी राहत मिली है। संदेह का लाभ देते हुए अदालत ने शुक्रवार को उनकी रिहाई का आदेश जारी किया। करीब 42 वर्ष पुराने हत्या के मामले में विधायक को नामजद किया गया था। वहीं इस मामले में वादी मुकदमा और दो अन्य गवाह विनोद कुमार, रजनीश मिश्रा सत्यदेव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
1981 में हुई थी हत्या
अपर एवं विशेष सत्र न्यायाधीश सत्यदेव गुप्ता ने वर्ष 1981 में हुई हत्या से सम्बंधित मुकदमे में विचारण पूरा होने के बाद पूर्व मंत्री व वर्तमान में बालामऊ विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक रामपाल वर्मा को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
वहीं, मृतक के पुत्र व वादी मुकदमा सहित दो अन्य गवाहों के विरुद्ध नोटिस जारी पूछा है कि क्यों न उनके विरुद्ध केस दर्ज कर दण्डित किया जाए। मुकदमे में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे।
लोक अभियोजक मानवेन्द्र सिंह ने बताया वादी मुकदमा विनोद कुमार द्वारा 21 सितम्बर 1981 को थाना बेनीगंज पर एक रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि उसके मामा सुरेश से कुबेर की रंजिश चली रही थी और इसी के चलते कुबेर वादी से भी रंजिश मानते थे।
फायरिंग से मौत
घटना वाले दिन वादी विनोद उसके पिता श्यामबिहारी, चचेरे भाई रजनीश व सत्यदेव के साथ पिरकापुर बाजार जा रहा था। तभी सामने से विरोधी कुबेर पुत्र अंगने ने असलहे से लैस अपने साथियों के साथ वादी को घेर लिया।
वादी के अनुसार लोगों ने भागने का प्रयास किया लेकिन कुबेर व उसके साथियों रामपाल वर्मा पुत्र अंगने, सुरेश, शिवराज, चन्द्रप्रकाश, मनोहर बिंदु संग्राम सिंह व योगेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी बन्दूक व रायफल से फायर करना शुरू कर दिया, जिससे वादी के पिता की मृत्यु मौके पर ही हो गई।
इस मामले में मृतक के बेटे विनोद कुमार ने आरोपितों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जबकि रजनीश कुमार मिश्रा व सत्यदेव दोनों ही घटना के चश्मदीद गवाह थे और मृतक के करीबी रिश्तेदार थे। इन गवाहों ने अदालत में स्पष्ट रूप से बयान दिया कि घटना में रामपाल वर्मा शामिल नहीं थे, इस कारण अदालत ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया।