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भड़काऊ वीडियो मामला: संगीत सोम को मिली क्लीन चिट, SIT ने कहा- FB में नहीं मिले सबूत
साल 2013 में संगीत सोम द्वारा फेसबुक पर शेयर की गई वीडियो के मामले में दंगा संबंधी मामलों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (SIT) ने संगीत सोम को क्लीन चिट देते हुए CJM कोर्ट रिपोर्ट पेश की है। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में आरोपी के खिलाफ सबूत ना मिलने की बात कही है। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि सीबीआई की ओर से अमेरिका स्थित फेसबुक मुख्यालय से मांगी गई रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक पर उन लोगों की जानकारी नहीं मिली, जिन्होंने विवादित वीडियो शेयर की थी। फेसबुक एक साल तक के ही रिकॉर्ड रखता है।
मुजफ्फरनगर : भड़काऊ वीडियो को लेकर दंगा संबंधी मामलों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (SIT) ने संगीत सोम को क्लीन चिट देते हुए CJM कोर्ट में रिपोर्ट पेश की है। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में आरोपी के खिलाफ सबूत ना मिलने की बात कही है। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि सीबीआई की ओर से अमेरिका स्थित फेसबुक मुख्यालय से मांगी गई रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक पर उन लोगों की जानकारी नहीं मिली, जिन्होंने विवादित वीडियो शेयर की थी। फेसबुक एक साल तक के ही रिकॉर्ड रखता है।
बता दें कि यूपी के सरधना से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक संगीत सोम पर आरोप था कि उन्होंने 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के समय एक भड़काऊ वीडियो शेयर किया था। संगीत सोम पर आरोप था कि उस वीडियो के कारण सांप्रदायिक माहौल बिगड़ा था। जिसकी वजह से वहां और आसपास के 62 लोगों की जान चली गई।
क्या था पूरा मामला?
साल 2013 को मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में एक घटना में एक मुस्लिम युवक शाहनवाज की दो जाट युवकों ने मोटरसाइकिल की टक्कर के बाद हुए झगडे में हत्या कर दी थी। उसके बाद वहां मौजूद भीड़ ने दोनों जाट युवको सचिन और गौरव को पीट-पीट कर मार डाला था। जिसे लेकर जनपद में दो समुदाओ के बीच टकराव हो गया था। उसी दौरान बीजेपी विधायक ने अपने फेसबुक पर एक वीडियो ये बताते हुए शेयर किया कि किस तरह जाट युवकों को पीट-पीट कर कवाल में मारा गया। हालांकि, पुलिस जांच में ये वीडियो फर्जी पाया गया। पुलिस ने इस मामले में 2 सितंबर 2013 को नगर कोतवाली में विधायक सहित सैकड़ो लोग जिन्होंने भी इस फर्जी वीडियो को शेयर और लाइक किया था, उनके खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया था।
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लोगों को किया भड़काने का प्रयास
उस समय के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद दूबे ने बताया था कि फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड किया गया। जिसे शिवम नाम के व्यक्ति ने अपलोड किया था। वीडियो को विधायक संगीत सोम ने भी शेयर किया और उस पर लिखा कि 'देखिए कवाल में क्या हुआ है।' पुलिस के अनुसार वीडियो फेक था। ये पिछले 3 साल से नेट पर पड़ा था। ढाई साल में इस वीडियो को बहुत से लोगों ने शेयर किया। वीडियो को कवाल का नाम देकर गलत रूप से लोगों को भड़काने का प्रयास किया गया।
पुलिस ने दी चेतावनी
सुभाष चंद ने कहा इस तरह का अपराध 153 A -IPC (धार्मिक आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना) के साथ गलत तथ्य को पेश करने पर आईपीसी की धारा 420 (जालसाजी), 120-बी (साजिश) और आरटी एक्ट की 66 धारा के तहत 239 अन्य लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि जिन्होंने इस वीडियो को शेयर किया है, वे अपनी फेसबुक या और किसी चीज से इसे हटा दें। वरना उन पर भी कार्रवाई की जाएगी क्योंकि इस तरह की विडियो जिसका इस देश से भी कोई मतलब नहीं है, जो कई वर्षो से नेट पर पड़ा है। संभवत: वीडियो पाकिस्तान का है। उसे इस कांड से जोड़ने की कोशिश की जा रही थी, जो गलत है। इस समय शहर में पूरी तरह शांति है और धारा 144 लगी हुई है। अगर कोई भी बंद या पंचायत करता है तो पुलिस उससे सख्ती से निपटेगी।
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अभी तक आरोपी को नहीं खोज पाई पुलिस
27 अगस्त 2013 को कवाल गांव में सचिन और गौरव की हत्या कर दी गयी थी। इस घटना में एक मुस्लिम युवक शाहनवाज की भी हत्या हो गई थी | उसके बाद 29 अगस्त 2013 को किसी शिवम् नाम के एक व्यक्ति ने अपने फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड किया। प्रशासन द्वारा ये आरोप लगाया गया कि संगीत सोम ने उस वीडियो फेसबुक पर शेयर किया है। उसकी वजह से मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ। इसकी एफआईआर शहर कोतवाली के एक सब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने संगीत सोम ,शिवम और 229 अन्य लोगों के खिलाफ कायम की थी। जिसमें सितंबर 2013 संगीत सोम की गिरफ्तारी हुई। पंचायत का प्रकरण बाद में हुआ था। संगीत सोम पर आईटी एक्ट का ही मुकदमा दर्ज हुआ। गिरफ्तारी के बाद 21 अक्टूबर 2013 को संगीत सोम को जमानत मिल गई। इसी बीच संगीत सोम के खिलाफ NSA की कार्यवाही कर दी गई। इस मामले में पिछले 4 साल से पुलिस कोई सबूत नहीं जुटा पाई और ना ही जो मुख्य आरोपी था शिवम उसे खोज पाई |