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UP Assembly Speaker: कानपुर को पहली बार मिला विधानसभा अध्यक्ष, सतीश महाना को मिली जिम्मेदारी

UP Assembly Speaker: सतीश महाना उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष होंगे। इनके नाम की घोषणा कल यानी मंगलवार को की जाएगी।

Shreedhar Agnihotri
Report Shreedhar AgnihotriPublished By Shreya
Published on: 28 March 2022 4:40 PM IST
UP Assembly Speaker: कानपुर को पहली बार मिला विधानसभा अध्यक्ष, सतीश महाना को मिली जिम्मेदारी
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सतीश महाना (फोटो साभार- ट्विटर)

UP Assembly Speaker: उत्तर प्रदेश की 18 वीं विधानसभा के लिए सतीश महाना (Satish Mahana) के विधानसभा अध्यक्ष (UP Assembly Speaker) के लिए घोषणा मंगलवार को की जाएगी। यह पहली बार होगा जब कानपुर (Kanpur) का कोई विधायक विधानसभा अध्यक्ष के पद पर आसीन होगा।

जानें सतीश महाना के बारे में (Satish Mahana Kaun Hai)

कानपुर में गंगा किनारे बसे लालबंगला क्षेत्र में एक हिंदुत्ववादी परिवार में 14 अक्टूबर 1960 को हुआ। उनके पिता आरएसएस के पदाधिकारी थें। सेंट जोसेफ स्कूल में पढ़ाई करने के बाद फिर क्राइस्ट चर्च कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई के दौरान ही सतीश महाना भी संघ कार्य में अपने पिता की मदद किया करते थें। रामजन्म भूमि आंदोलन के दौरान सतीश महाना बजरंग दल में संयोजक की भूमिका निभा रहे थें। पर कार्यकर्ताओं में बढती लोकप्रियता को देखते हुए 1991 में संघ-भाजपा नेतृत्व ने उन्हें छावनी विधानसभा से पार्टी का टिकट दे दिया।

यह टिकट एक प्रयोग के तौर पर दिया गया था क्योंकि यह सीट जनसंघ काल से भाजपा तक के सफर में एक 'रेगिस्तान' से कम नहीं थी। पर अपने पहले ही चुनाव में सतीश महाना ने चुनाव जीतकर भाजपा को एक बड़ा तोहफा दिया। इसके बाद जब 1993 के विधानसभा चुनाव में जब प्रदेश में भाजपा की सीटे 221 से घटकर 177 हो गयी। तब भी सतीश महाना ने श्रीप्रकाश जायसवाल जैसे कद्दावर नेता को पटकनी देने का काम किया।

सतीश महाना को मिली तीसरी जीत

इसके बाद 1996 में सतीश महाना ने तीसरी जीत दर्ज की। यहां तक कि उनको मिले अपार वोटों के कारण श्रीप्रकाश जायसवाल की जमानत जब्त हो गयी। इसका उन्हे ईनाम मिला और 1997 की भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री लाल जी टंडन के साथ उन्हें नगर विकास राज्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने 27 अक्टूबर 1997 से 8 मार्च 2002 तक आवास और शहरी विकास राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया उनके अच्छे काम के कारण उन्हें आवास राज्य मंत्री का भी पद दिया गया। ।

इसके बाद 2002 में जब विधानसभा के चुनाव हुए। तो इस चुनाव मे भाजपा को मात्र 87 सीटे मिली। तब भी सतीश महाना पर छावनी की जनता ने विष्वास व्यक्त करते हुए लगातार चौथी बार चुनाव जिताकर विधानसभा भेजने का काम किया।

फिर बसपा लहर के बीच 2007 मे उन्होंने पांचवी बार छावनी विधानसभा से चुनाव जीता। बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार मनोज कुमार को हराया। इस बीच जब 2009 में विधानसभा सीटों का परिसीमन हुआ तो छावनी विधानसभा सीट का अधिकतर क्षेत्र बदल गया लेकिन उन्होंने इस चुनौती का भी सामना किया और गठित हुई नई विधानसभा महाराजपुर से चुनाव लडा। इसमे पुरानी विधानसभा सरसौल का अधिकतर हिस्सा था जो देहात क्षेत्र में आता है और हमेशा से समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा। लेकिन तब भी 2012 के चुनाव में सतीश महाना ने बसपा की प्रत्याशी और मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अंटू मिश्रा की पत्नी शिखा मिश्रा 30 हजार वोटों से हराने का काम किया।

इस विधानसभा चुनाव में महाना ने 8वीं बार जीता चुनाव

महाराजपुर विधानसभा का अधिकतर क्षेत्र सोसाइटी की जमीनों पर बने अनियोजित आवासों के चलते यहां समस्याओं का अंबार हुआ करता था लेकिन सतीश महाना ने समाजवादी पार्टी सरकार होने और विपक्ष में भाजपा की केवल 47 विधायकों के बावजूद विकास कार्यो को कराने का काम किया। 2017 के चुनावों में, उन्होंने अपने बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार मनोज कुमार शुक्ला को 91,826 मतों के रिकॉर्ड अंतर से हराया। इसके बाद प्रदेश मे बनी भाजपा सरकार में उन्हें औद्योगिक विकास मंत्री बनाया गया। इसके बाद इस बार हुए विधानसभा चुनाव में सतीश महाना ने आठवीं बार चुनाव जीतने का काम किया है।

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Shreya

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