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हुकुम सिंह का दिनोंदिन बढ़ता गया कद, ऐसे तय की सियासी मंजिलें
शामली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कद्दावर नेता सांसद हुकुम सिंह का शनिवार (03 फरवरी) को निधन हो गया। हुकुम सिंह ने नोएडा के जेपी हॉस्पिटल में आखिरी सांसें ली। बीजेपी सांसद बीते कई दिनों से बीमार चल रहे थे। कैराना लोकसभा सीट से सांसद हुकुम सिंह के निधन की खबर सुनते ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई। उनके समर्थक अपने प्रिय नेता के आखिरी दर्शन को उनके घर पहुंचने लगे।
हुकुम सिंह का जन्म 5 अप्रैल 1938 को हुआ था। बताया जाता है वो बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थे। कैराना में इंटर की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय भेजा गया। वहां हुकुम सिंह ने बीए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।
हुकुम सिंह का राजनीतिक सफर
-हुकुम सिंह के राजनीति के सफर की शुरुआत 1974 में हुई। जब उन्होंने इलाके के जनआंदलनों में हिस्सा लिया और लोकप्रिय होते चले गए। उनकी लोकप्रियता के चलते 1974 में ही कांग्रेस और लोकदल दोनों ने उनके सामने अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने की पेशकश की। हुकुम सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद हुकुम सिंह यूपी विधानसभा सदस्य बने।
-1980 में हुकुम सिंह ने पार्टी बदली और लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा और इस पार्टी से भी चुनाव जीत गए। तीसरी बार 1985 में भी उन्होंने लोकदल के टिकट पर ही चुनाव जीता और इस बार वीर बहादुर सिंह की सरकार में मंत्री भी बनाए गए। बाद में जब नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने हुकुम सिंह को राज्यमंत्री के दर्जे से उठाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया।
-हुकुम सिंह को 1981-82 में लोकलेखा समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया। 1975 में यूपी कांग्रेस समिति के महामंत्री भी बने। 1980 में लोकदल के अध्यक्ष भी बने और 1984 में वे विधानसभा के उपाध्यक्ष भी रहे।
-1995 में हुकुम सिंह ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और चौथी बार विधायक बने। कल्याण सिंह और रामप्रकाश गुप्ता की सरकार में वे मंत्री भी रहे।
-2007 में हुए चुनाव में भी वे विधानसभा पहुंचे। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के आरोप भी हुकुम सिंह पर लगे। 2014 में बीजेपी के टिकट पर गुर्जर समाज के हुकुम सिंह ने कैराना सीट पर पार्टी को विजय दिलाई। इस लोकसभा चुनाव में पार्टी को उत्तर प्रदेश में अभूतपूर्व सफलता मिली। उनको जानने वाले यहां तक मान रहे थे कि नरेंद्र मोदी सरकार में उन्हें मंत्री पद भी मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।