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UP BJP: MP, MLA बनने वाले बीजेपी के पदाधिकारियों को अब नहीं मिलेगा वाहन, निजी गाड़ियों का करना होगा इस्तेमाल
UP BJP: बीजेपी के वैसे प्रदेश पदाधिकारी जो सांसद, विधायक या विधान परिषद हैं, संगठन से जुड़े कामों के लिए प्रदेश कार्यालय से गाड़ी एवं ड्राइवर की सुविधा नहीं ले सकेंगे।
UP BJP: देश और प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने अपने नेताओं की सुविधा पर कैंची चलाई है। आलाकमान के निशाने पर ऐसे नेता हैं, जो प्रदेश अधिकारी होते हुए एमपी(MP), एमएलए (MLA) और एमएलसी (MLC) बन चुके हैं, लेकिन सुविधाएं पार्टी की उठा रहे हैं। उन्हें जब भी किसी कार्यक्रम में जाना होता है वो प्रदेश कार्यालय से गाड़ी मंगवाते हैं। जबकि उनके पास अपना खुद का निजी वाहन है। इसके अलावा एक निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें सरकारी खजाने से यात्रा भत्ता भी मिलता है।
दरअसल, बीजेपी की ओर से संगठन में काम करने वाले कई नेताओं को विधान परिषद पहुंचाया गया है। वहीं, कई प्रदेश पदाधिकारी विधायक और सांसद बन चुके हैं। बीते दिनों समीक्षा में पाया गया कि विधायक, विधान परिषद या सांसद बनने के बाद भी कई प्रदेश पदाधिकारी संगठन के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए प्रदेश दफ्तर से गाड़ी एवं ड्राइवर की सुविधा लेते हैं। वाहन व्यवस्था में बदलाव करते हुए अब केवल उन्हीं प्रदेश पदाधिकारियों को कार्यालय से वाहन सुविधा मिलेगी, जो सांसद, विधायक या एमएलसी नहीं हैं।
आलाकमान ने जताई नाराजगी
बीजेपी आलाकमान ने समीक्षा के दौरान पाया गया कि राजधानी लखनऊ में भी वे अपने घर से दफ्तर आने-जाने के लिए पार्टी कार्यालय से कार की सुविधा लेते हैं। इस फिजूलखर्ची पर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है और तत्काल इस पर रोक लगाने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद अब बीजेपी के वैसे प्रदेश पदाधिकारी जो सांसद, विधायक या विधान परिषद हैं, संगठन से जुड़े कामों के लिए प्रदेश कार्यालय से गाड़ी एवं ड्राइवर की सुविधा नहीं ले सकेंगे।
पार्टी कार्यालय के वाहन का इस्तेमाल करना सही नहीं- बीजेपी आलाकमान
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का कहना है कि विधायक या सांसद बनने के बाद पदाधिकारियों को यात्रा भत्ता या कूपन मिलता है। ऐसे अधिकांश नेताओं के पास अपने निजी वाहन भी हैं। ऐसे में पार्टी कार्यालय के वाहन का इस्तेमाल करना सही नहीं है।