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अपनी ही पार्टी से नाखुश वरुण गांधी लाएंगे MSP की 'कानूनी गारंटी बिल', जानें उनके निजी विधेयक में क्या है खास
अब बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने MSP की कानूनी गारंटी का 'निजी विधेयक' पेश करने का ऐलान किया है। उनके इस ऐलान के पीछे सरकार पर दबाव बनाना है।विधेयक का मसौदा लोकसभा सचिवालय को सौंप दिया गया है। वरुण ने इसके प्रावधानों पर सुझाव भी मांगे हैं।
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का 378 दिन चला आंदोलन अब खत्म हो गया है। इस आंदोलन में शामिल किसान अब अपने घरों को लौट रहे हैं। नाचते-गाते लोगों से भरी उनकी ट्रैक्टर-ट्रॉली पंजाब के गांवों में पहुंचने लगी है। किसान कानूनों को लेकर मोदी सरकार विपक्ष के साथ जिन 'अपनों' के निशाने पर रही उनमें एक नाम बीजेपी सांसद वरुण गांधी का भी रहा है। हाल के दिनों में अगर वरुण के बयानों को देखने तो वो केंद्र और यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार पर आए दिन मुखर होकर बोलते दिखते हैं।
कृषि सुधार कानूनों की वापसी के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर कानून सहित किसानों की अन्य मांगों पर फिलहाल सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों को समझाकर भले ही घर भेज दिया हो। लेकिन, अब बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने MSP की कानूनी गारंटी का 'निजी विधेयक' पेश करने का ऐलान किया है। उनके इस ऐलान के पीछे सरकार पर दबाव बनाना है।
लोकसभा सचिवालय को सौंपा मसौदा
गौरतलब है, कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन को लेकर वरुण गांधी लगातार अपनी ही सरकार पर निशाना साधते नजर आए हैं। अपनी इसी मुहिम को बढ़ाते हुए अब वरुण गांधी ने लोकसभा में इसी हफ्ते 'निजी विधेयक' पेश करने की घोषणा की है। बीजेपी सांसद ने ट्वीट कर ये जानकारी दी। उन्होंने बताया, कि विधेयक का मसौदा लोकसभा सचिवालय को सौंप दिया गया है। इतना ही नहीं, वरुण ने इसके प्रावधानों पर सुझाव भी मांगे हैं।
कानूनी गारंटी का मुद्दा उठाया
वरुण गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, कि 'भारत के किसानों और सरकार ने बहुत बार कृषि और उससे जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। लेकिन अब न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर कानून बनाने का समय आ गया है।' सरकार द्वारा कृषि कानून की वापसी और MSP पर कमेटी के गठन की घोषणा के बाद भी उन्होंने इस पर कानूनी गारंटी का मुद्दा उठाया है।
वरुण गांधी के निजी विधेयक में क्या है प्रावधान की मुख्य बातें ?
-बता दें, बीजेपी सांसद वरुण गांधी के निजी विधेयक के अहम प्रावधानों में सिर्फ 22 फसलों के ही MSP की कानूनी गारंटी के साथ खरीद की परिकल्पना है।
-वरुण के हिसाब से इन सभी फसलों का सालाना वित्तीय परिव्यय करीब एक लाख करोड़ रुपए है।
-उनका मानना है, कि इस सूची में कृषि उत्पादों की जरूरत के आधार पर फसलों को शामिल किया जा सकेगा।
...तो मुआवजे का हक़दार होगा किसान
-इस प्रावधान में MSP का आधार उत्पादन लागत पर 50 फीसदी लाभांश होगा।
-एमएसपी से कम मूल्य पाने वाला किसान 'गारंटी युक्त एमएसपी' के बीच के अंतर के मुआवजे का हकदार होगा।
-वरुण द्वारा प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, फसलों का वर्गीकरण उसके गुणवत्ता मानकों के आधार पर होगा।
-साथ ही, फसल भंडारण के बदले किसानों को ऋण का प्रावधान है।
-समय से भुगतान के साथ उनकी फसलों के लिए दी जाएगी एमएसपी की गारंटी
दो दिन के भीतर खाते में रकम में रकम
-किसानों को समय से भुगतान के साथ उनकी फसलों के लिए MSP की गारंटी दी जाएगी।
-उपज की खरीद के दो दिनों के भीतर किसानों के खाते में धन जमा कराने का प्रावधान होगा।
-अगर, किसी कारण किसानों को MSP नहीं मिलता है, तो सरकार बिक्री मूल्य और एमएसपी के बीच के अंतर का भुगतान एक सप्ताह के भीतर करेगी।
वरुण के इस विधेयक में फसलों की विविधता को बढ़ावा देने के लिए हर ब्लॉक में उपयुक्त फसलों की खेती की सिफारिश भी की गई है।
पांच गांव के बीच एक खरीद केंद्र
बीजेपी सांसद के इस विधेयक की परिकल्पना में प्रत्येक पांच गांव के बीच एक खरीद केंद्र बनाने और आपूर्ति श्रृंखला के बुनियादी ढांचे के निर्माण का भी प्रावधान है।
इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए 30 दिनों के भीतर विवाद समाप्त करने की न्यायिक व्यवस्था होनी चाहिए।