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बीजेपी के खिलाफ ओमप्रकाश की 'निर्णायक' लड़ाई, पीएम की सभा का विरोध
आशुतोष सिंह
वाराणसी। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी खेमे में हलचल है। हार के कारणों को लेकर मंथन का दौर जारी है। डैमेज कंट्रोल में बीजेपी के बड़े रणनीतिकार लग चुके हैं। इस बीच बीजेपी ने अपना पूरा फोकस उत्तर प्रदेश पर लगा दिया है। पार्टी बार-बार ये संकेत दे रही है कि 2014 की तरह साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी केंद्र बिंदु उत्तर प्रदेश ही होगा। खासतौर से पूर्वांचल के जरिए पूरे उत्तर भारत में सियासी बिसात बिछाने की तैयारी है। लेकिन बीजेपी की राह में अब अपने ही रोड़ा अटकाने लगे हैं। बीजेपी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर कल तक सिर्फ जुबानी तीर छोड़ते थे, लेकिन पांच राज्यों के चुनाव नतीजों ने उन्हें बीजेपी पर वार करने का बड़ा मौका दे दिया है। राजभर ने बीजेपी के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है और उन्होंने 24 दिसंबर से पूरे प्रदेश में क्रमिक अनशन की चेतावनी दी है। मतलब साफ है आने वाले दिनों में बीजेपी की मुश्किलें बढऩे वाली है।
पीएम के दौरे से तिलमिलाए ओमप्रकाश राजभर
रायबरेली और इलाहाबाद के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 दिसंबर को वाराणसी और गाजीपुर दौरे पर पहुंच रहे हैं। पूर्वांचल की राजनीति के हिसाब से मोदी का गाजीपुर दौरा बेहद अहम है। प्रधानमंत्री आईटीआई मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। इसमें गाजीपुर के अलावा बलिया, मऊ, आजमगढ़ और चंदौली जिले से बड़ी भीड़ पहुंचने की संभावना है। इस दौरान मोदी महाराजा सुहेलदेव का डाक टिकट भी लांच करेंगे। बीजेपी ने मोदी की सभा की जिम्मेदारी यूपी के स्वतंत्र प्रभार मंत्री अनिल राजभर को दी है। वाराणसी के शिवपुर से विधायक अनिल को बीजेपी आलाकमान ने खासतौर से राजभर जाति को जोडऩे की जिम्मेदारी सौंपी है। अनिल राजभर गाजीपुर, मऊ, बलिया और आजमगढ़ में सक्रिय हैं। जानकारों के मुताबिक ओमप्रकाश राजभर की नाराजगी की असल वजह भी यही है। ओमप्रकाश को लगता है कि बीजेपी उनके कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री के गाजीपुर दौरे को उनकी पार्टी के नेता इसी से जोड़कर देख रहे हैं।
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पीएम की सभा का विरोध
जानकार बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे में जिस तरह से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की अनदेखी हुई है, उससे ओमप्रकाश राजभर नाराज हैं। उनके मुताबिक जब बीजेपी उनका मुकाबला नहीं कर पाई तो प्रधानमंत्री का सहारा ले रही है। ओमप्रकाश बार-बार कह रहे हैं कि पूर्वांचल में होने वाली पीएम की रैलियों में उन्हें नहीं बुलाया जाता। बीजेपी उन्हें उचित सम्मान नहीं देती। दरअसल सत्ता में आने के साथ ही ओमप्रकाश राजभर और बीजेपी के बीच झगड़ा चलता आ रहा है। कभी गाजीपुर डीएम को लेकर तो कभी घर के आगे सड़क बनाने को लेकर। ओमप्रकाश का विरोध अभी तक सीएम योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को लेकर था। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि ओमप्रकाश ने पहली बार खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करना शुरू कर दिया है। उन्होंने ओबीसी को तीन लेयर में बांटने को लेकर पीएम की सभा का विरोध कर दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि उनकी पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता पीएम की सभा में नहीं जाएगा। ओमप्रकाश राजभर ने कहा है कि गाजीपुर में मोदी की रैली सिर्फ राजभर समाज के वोटरों को लुभाने के लिए हो रही है। इसी बहाने भाजपा मुझे रोकना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा मेरी मांगें मान ले, मुझे लोकसभा की एक भी सीट नहीं चाहिए।
सियासत में बड़ा रोल अदा करते हैं राजभर
पूर्वांचल की दर्जनभर सीटों पर राजभर जाति का वर्चस्व है। कहीं कहीं तो ये चुनाव नतीजों में निर्णायक भूमिका में रहते हैं। बीजेपी राजभर जाति के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगी हुई है। वाराणसी के अलावा गाजीपुर, बलिया, सोनभद्र, मिर्जापुर, आजमगढ़, मऊ, जौनपुर और भदोही जिलों में इनकी संख्या 12 लाख से अधिक है। 50 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटों पर इनके वोटों का असर पड़ता है। यही कारण रहा कि भाजपा ने सुभासपा से गठबंधन कर पूर्वांचल की अधिकतर सीटों पर कब्जा किया था। अब इसी समीकरण के सहारे भाजपा लोकसभा चुनाव जीतने की कोशिश में है। 403 सीटों वाले यूपी में राजभर की पार्टी को बीजेपी से गठबंधन के तहत 8 सीटें मिली थीं। सुभासपा इनमें से 4 सीटों पर जीती और उसे 0.70 फीसदी वोट मिला।
ओबीसी में बंटवारे का दांव
ओमप्रकाश राजभर ने पिछड़ी जाति के 27 फीसदी आरक्षण में कैटेगरी की मांग को लेकर 24 दिसंबर से प्रदेश के सभी जिलों में अनशन शुरू करने की बात कही है। उन्होंने मांग पूरी न होने पर यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार खड़े करने की भी बात कही है। उनके मुताबिक 27 फीसदी आरक्षण में कैटेगरी बनाने का वादा पूरा न करने का खामियाजा बीजेपी को चुनाव में भुगतना होगा। एससी-एसटी के चलते भाजपा दूसरे राज्यों में चुनाव हारी है और आगे भी हारेगी। माना जा रहा है कि बीजेपी को घेरने के लिए ओमप्रकाश राजभर ने ये नया दांव खेला है। वह जानते हैं कि गैर यादव ओबीसी में बीजेपी की पकड़ इस वक्त सबसे मजबूत है। ऐसे में अगर ओबीसी का बंटवारा होता है तो बीजेपी को नुकसान होगा। यही नहीं राजभर जाति के बीच वो सबसे बड़े हीरो बनकर उभरेंगे। ओमप्रकाश राजभर की इस रणनीति से बीजेपी की दूसरी सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) भी परेशान हैं। अपना दल की सुप्रीमो अनुप्रिया पटेल ने साफ कह दिया है कि ओबीसी का बंटवारा उन्हें कतई मंजूर नहीं।
सुहेलदेव के सहारे सियासत
बीजेपी का कहना है कि प्रधानमंत्री ने उन महापुरुषों को सम्मान देने का सिलसिला शुरू किया है जिन्हें पिछली सरकार ने उपेक्षित रखा। गाजीपुर की सभा के दौरान पीएम महाराजा सुहेलदेव के सम्मान में डाक टिकट जारी करेंगे और साथ ही यहां एक मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास भी करेंगे। प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की जिले की यह दूसरी यात्रा है। इससे पहले वह नवम्बर 2016 में आए थे। योगी आदित्यनाथ, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी राजा सुहेलदेव को हिन्दुत्व का पैरोकार बताते रहे हैं। बीजेपी लगातार कांग्रेस पर सुहेलदेव की अपेक्षा का आरोप लगाती है। पार्टी ने पहले सुहेलदेव के नाम पर गाजीपुर से दिल्ली के बीच ट्रेन चलाई और अब डाक टिकट जारी कर रही है। पार्टी राजभर जाति के बीच ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस ने हमेशा उनके सबसे बड़े महापुरुष को हाशिए पर रखा लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
ओमप्रकाश राजभर की शिकायत
राजभर की सबसे बड़ी शिकायत है कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते हैं। जब वो बीजेपी नेताओं, मंत्रियों और मुख्यमंत्री से बात करते हैं, तो उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता। राजभर के मुताबिक वो पिछड़ों की सेवा करने के लिए सरकार में आए थे, लेकिन मौजूदा सरकार में मंदिर बनाने की बातें करने के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। राजभर के मुताबिक बड़ी पार्टी के साथ रहकर बदलाव लाने की मंशा से उन्होंने गठबंधन किया, लेकिन अब पार्टी और सरकार में उनकी कोई सुनवाई नहीं है। उनका कहना है कि उन्होंने सीएम योगी से लेकर अमित शाह और सुनील बंसल तक बात पहुंचाई, लेकिन किसी ने कुछ किया नहीं। ओम प्रकाश कहते हैं कि बीजेपी गठबंधन धर्म नहीं निभा रही है। उनके मुताबिक सीनियर पार्टी होने के नाते बीजेपी को अपने सहयोगी दलों को साथ लेकर चलना चाहिए, फिर भले वो मनमाना काम करे।
गाजीपुर, चंदौली, बलिया, जौनपुर, मऊ, आजमगढ़, सोनभद्र, भदोही, संतकबीरनगर, देवरिया में राजभर जाति मजबूत स्थिति में हैं । लगभग 50 विधानसभा सीटों और 10 लोकसभा सीटों पर वे निर्णायक भूमिका में रहते हैं। मूलत: खेती और राजगीर का काम करते हैं राजभर। सुहेलदेव इनके सबसे सम्मानित महापुरुष हैं जिन्होंने मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया था।
नेताओं की प्रतिक्रिया
'जब राशन कार्ड दुरुस्त नहीं कर सकते, पात्रों की मदद नहीं कर सकते, तो दोबारा वोट कैसे मांगेंगे। जिसके लिए बहुमत मिला, उसी पर पानी फिर गया। हमारी पार्टी 24 दिसंबर से सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेगी। बीजेपी अपने वादे से पीछे नहीं हट सकती।
ओमप्रकाश राजभर, सुभासपा सुप्रीमो
29 दिसंबर को गाजीपुर में राजभर जाति का सम्मान होने वाला है। यह गौरव की बात है और इसमें किसी को नाराज नहीं होना चाहिए। ओमप्रकाश राजभर कभी एक विषय पर टिकते ही नहीं। कभी आर्थिक आधार पर तो कभी सामाजिक आधार पर आरक्षण की मांग करते हैं।
अनिल राजभर, स्वतंत्र प्रभार मंत्री