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ये क्या हो रहा BJP में: अपनी ही सरकार में पिट रहे कार्यकर्ता, बंटी दिख रही पार्टी इकाई
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ जिले में अगर आप बीजेपी कार्यकर्ताओं से पूछें, तो वे आपको बताएंगे कि उन्हें लग ही नहीं रहा कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया है। दरअसल, पिछले एक सप्ताह से प्रतापगढ़ में बीजेपी के विस्तारक की पिटाई के मामले में नाराजगी ने ऐसा सोचने पर मजबूर किया है।
अपने ही पार्टी कार्यालय के सामने खड़ी गाड़ी के विवाद को लेकर प्रतापगढ़ के सीओ ने बीजेपी नेता आदित्यकांत द्विवेदी को पीट दिया। इस मुद्दे पर बीजेपी की स्थानीय गुटबाजी चरम पर दिखाई दी। कुछ नेता तो पुलिस अधिकारियों के बचाव तक में उतर गए। इस मुद्दे पर लखनऊ बुलाए गए कार्यकर्ताओं ने अपना दुखड़ा सुनील बंसल से रोया। बहरहाल, कार्यकर्ताओं के रुख को जल्द ही शांत नहीं किया गया तो 2019 के लोकसभा चुनाव पर कम से कम इस सीट पर भी असर पड़ सकता है।
क्या है मामला?
बीते 7 जनवरी को बीजेपी के जिला कार्यालय के सामने ही आदित्यकांत द्विवेदी ने अपनी जाइलो गाड़ी खड़ी की थी। इस दौरान सीओ सिटी रवि सिंह ने पहले उन्हें पीटा, फिर कार्यालय उठा ले गए। इसे लेकर कार्यकर्ताओ ने हंगामा किया, तो सीओ सिटी का जिले में ही ट्रांसफर कर दिया गया। कोतवाल को गैरजनपद ट्रांसफर कर दिया। पहले गनर और चौकी इंचार्ज को लाइन हाजिर किया गया था। पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा नहीं थमा तो दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है।
बंट गई है प्रतापगढ़ में बीजेपी
इस मुद्दे पर बीजेपी प्रतापगढ़ में बंटी दिख रही है। एक गुट कार्यकर्ताओं के सम्मान की लड़ाई के लिए लखनऊ और वाराणसी एक किए हुए है, वहीं दूसरा गुट पुलिस अधिकारियों को बचा रहा है। इस गुट की कमान जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश त्रिपाठी के हाथ दिख रही है। वहीं, प्रतापगढ़ के तीन विधायक नीरज ओझा, संगमलाल और आरके वर्मा समेत करीब-करीब पूरी बीजेपी एसपी के ट्रांसफर समेत और कड़ी कार्यवाही की बात कर रही है। इस गुट का मानना है कि चौकी इंचार्ज, गनर और सीओ के खिलाफ मुकदमा लिखा जाए।
अपनों ने ही रची साजिश
दरअसल, माना जा रहा है कि आदित्यकांत की पिटाई के पीछे भी पार्टी के अंदर से ही साजिश रची गई है। क्योंकि आदित्य के कुछ फैसलों से पार्टी के कुछ बड़े नेताओं पर प्रभाव पड़ रहा था। आदित्य की पिटाई पर कई दिन तक प्रदेश नेतृत्व को यह तक बताया गया कि कार्यवाही पर्याप्त है। ऐसे में साफ है कि प्रतापगढ़ में पार्टी का बंटवारा एक खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।
घातक है बंटवारा
पार्टी के सत्ता में आने के बाद भी जिला विस्तारक की सरेआम पिटाई से गलत संदेश ने पूरी बीजेपी इकाई को हिला दिया है। आदित्य के समर्थन में भाजयुमो और पार्टी के ज्यादातर कार्यकर्ता हैं, तो कुछ नेता अब भी पुलिस की रहनुमाई में है। इस तरह का बंटवारा पार्टी के लिए घातक माना जा सकता है। क्योंकि, अब लोकसभा चुनाव में करीब एक साल से थोड़ा ज्यादा का समय बचा है। ऐसे में कार्यकर्ताओं का मनोबल और इस तरह की खींचतान किसी तरह से सही नहीं कही जा सकती है।