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BJP ने बनाया नया यूपी प्लान, केशव मौर्या को जोर का झटका लगा धीरे से

Admin
Published on: 20 April 2016 7:07 AM GMT
BJP ने बनाया नया यूपी प्लान, केशव मौर्या को जोर का झटका लगा धीरे से
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लखनऊ: भले ही कल्याण सिंह की तर्ज पर पिछड़ों का वोट अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी ने कोइरी समुदाय के केशव प्रसाद मौर्या को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि वह सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष के पद पर एक चेहरा मात्र है। दरअसल अध्यक्ष बनने के बाद मौर्या का कद छोटा ही हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, मौर्या को केवल पूर्वांचल में बीजेपी को जिताने के लिए जिम्मेदारी दी गई है, जबकि यूपी के अन्य क्षेत्रों में उनसे बड़े चेहरे ये जिम्मेदारी संभालेंगे। साल 2014 के लोकसभा चुनावों की मोदी लहर में 5,03,564 वोट हासिल कर उन्होंने एक इतिहास बना दिया था। विहिप नेता अशोक सिंघल के करीबी होने के कारण वह बीजेपी के सहयोगी हिन्दू संगठनों के बीच काफी लोकप्रिय भी रहे हैं।

इनके जिम्मे हैं ये क्षेत्र

बीजेपी ने 2017 विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति के तहत केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, महेश शर्मा, बीजेपी के दिग्गज नेता स्वतंत्र देव सिंह और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या को जिम्मेदारी सौंपी है।

1-स्मृति ईरानी

बीजेपी ने यूपी के महत्वपूर्ण क्षेत्र मध्य यूपी की जिम्मेदारी स्मृति ईरानी को सौंपी है, जो इस इलाके के अहम संसदीय क्षेत्र अमेठी में हार के बाद भी लगातार राहुल गांधी को चुनौती दे रही हैं। साथ ही काफी हद तक अमेठी की जनता को यह समझाने में कामयाब भी रही हैं कि कांग्रेस के शासन काल में क्षेत्र का विकास नहीं हुआ है। इसके साथ ही स्मृति ईरानी राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का तेज तर्रार चेहरा मानी जाती हैं।

2-महेश शर्मा

केंद्रीय मंत्री और पश्चिमी यूपी से ताल्लुक रखने वाले महेश शर्मा को पश्चिमी यूपी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। महेश शर्मा की पहचान कट्टर हिंदुवादी नेता की है। वह अपने हिंदुवादी बयानों के लिए अक्सर चर्चा में भी रहते हैं। माना जा रहा है कि पश्चिमी यूपी में वोटों की ध्रुवीकरण की नीति के तहत उनको इस इलाके की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

3-स्वतंत्र देव सिंह

यूपी बीजेपी के महामंत्री और पूर्व एमएलसी स्वतंत्र देव सिंह कुर्मी समाज से आते हैं। उन्हें बुंदेलखंड की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यूपी में पिछड़े वोट बैंक की बात करें तो यादवों के बाद कुर्मी समाज ही सबसे बड़ा वोट बैंक है। अखिल विद्यार्थी परिषद का बैकग्राउंड होने के नाते उनकी पकड़ युवा बीजेपी कार्यकर्ताओं पर अच्छी मानी जाती है। उनके जरिए बीजेपी बुंदेलखंड इलाके के कुर्मी वोटबैंक और युवाओं के वोट अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगी।

4-केशव मौर्या

केशव मौर्या को बीजेपी ने पिछड़ों के वोट अपने पक्ष में करने के लिए बनाया है। उनके हिस्से केवल पूर्वांचल की जिम्मेदारी आई है। खुद एक पिछड़े समुदाय का होने की वजह से माना जा रहा है कि मौर्या पूर्वांचल का पिछड़ा वोटबैंक बीजेपी के खाते में ले आएंगे। केशव मौर्या श्रीराम जन्म भूमि, गोरक्षा और हिंदू हित के लिए किए गए आंदोलन में शामिल रहे और इसके लिए जेल भी गए। विश्वहिंदू परिषद से उनका बहुत पुराना नाता रहा है। 1989-2002 तक अशोक सिंघल के साथ काम किया।

क्या बोले केशव मौर्या ?

-उन्होंने कहा- बीजेपी अगले विधानसभा चुनाव में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी।

-बीजेपी राष्ट्रवाद और सुशासन को लेकर आगे बढ़ेगी। बीजेपी में कोई गुटबाजी नहीं है।

-जनता के बीच जाऊंगा और केंद्र की नीतियों को बताऊंगा।

-मुझे विशवास है कि मैं यूपी में बीजेपी को सत्ता में ले आऊंगा।

-मेरे ऊपर लगे सभी मुकदमे राजनीतिक हैं।

-मैं प्रदेश सरकार के खिलाफ जब उतरूंगा तो मुमकिन है कि और भी मुकदमे मेरे ऊपर दर्ज हों।

बतौर नेता केशव ने बीजेपी का परचम लहराया

-विहिप से जुड़े केशव 18 साल तक गंगापार और यमुनापार में प्रचारक रहे।

-2002 में शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी के रूप में राजनीतिक सफर शुरू किया।

-उन्हें बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने हराया था। इसके बाद वर्ष 2007 के चुनाव में भी उन्होंने इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। इस बार भी उन्हें जीत हासिल नहीं हुई।

-2012 के चुनाव में उन्हें सिराथू विधानसभा सीट से भारी जीत मिली। यह सीट पहली बार भाजपा के खाते में आई थी। दो साल तक विधायक रहने वाले केशव ने फूलपुर सीट पर भी पहली बार भाजपा का झंडा फहराया।

-मोदी लहर में इस सीट पर 5,03,564 वोट हासिल कर उन्होंने एक इतिहास बना दिया।

जिसका प्रभाव ज्यादा, सीएम घोषित होगा वही!

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस तरह बीजेपी ने यूपी के चार क्षेत्रों की जिम्मेदार्रियां सौंपी हैं, वह सीएम पद के लिए योग्य उम्मीदवार चुनने के लिए है। इन चारों में स्मृति ईरानी का नाम सबसे ऊपर चर्चा में रहा है, लेकिन उनके ऊपर यूपी में इम्पोर्टेड नेता होने का ठप्पा लगा है। इसके अलावा महेश शर्मा और स्वतंत्र देव सिंह का नाम भी सीएम पद की उम्मीदवारी की रेस में रहा है। चारों क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपकर बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अपना काम आसान कर लिया है। माना जा रहा है कि अगर 2017 में बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में आती है तो उसी को सीएम घोषित किया जाएगा, जो अपने क्षेत्र में पार्टी को सबसे ज्यादा वोट दिलाने में सक्षम होगा। ऐसे में सीएम पद के लिए नाम घोषित किए जाने पर पार्टी में होने वाली संभावित कलह पर भी लगाम लग जाएगी।

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