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Lucknow News: अखिलेश यादव को रामचरित मानस की प्रति देने पहुंचे भाजपा कार्यकर्त्ता, पुलिस ने हटाया
Lucknow News: स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस को लेकर दिये गए विवादित बयान के बाद आज सिख समुदाय से जुड़े भाजपा कार्यकर्ताओं ने समाजवादी पार्टी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।
Lucknow News: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस को लेकर दिये गए विवादित बयान के बाद आज सिख समुदाय से जुड़े भाजपा कार्यकर्ताओं ने समाजवादी पार्टी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र के आर्थिक प्रकोष्ठ के भाजपा कार्यकर्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक ज्ञापन देने पहुंचा था, हाथ में रामचरित मानस की प्रति लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी भी की। जिसका समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। इसके बाद पुलिस ने सभी कार्यकर्ताओं को वहां से हटा दिया।
समाजवादी पार्टी कार्यालय के सामने भाजपा से जुड़े सिख समुदाय के लोग रामचरितमानस की पुस्तक लेकर पहुंचे थे और सिख समुदाय के लोग भगवा कपड़ा मुँह में बांधकर रामचरितमानस लेकर नारेबाजी की। भारतीय जनता पार्टी के कानपुर बुंदेलखंड के आर्थिक प्रकोष्ठ क्षेत्रीय सहसंयोजक सिमरनजीत सिंह के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ता सपा कार्यालय के सामने पहुंचे थे। स्वामी प्रसाद मौर्या द्वारा रामचरितमानस की चौपाइयों पर की गई अभद्र टिप्पणी का विरोध किया। इसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी इसका विरोध किया और विवाद बढ़ता देखकर पुलिस ने सबको वहाँ से हटा दिया।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव के लिए यह ज्ञापन लिखा था जिसे पुलिस ने ले लिया
विषय- समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के सनातन धर्म के प्रति की गई खेदपूर्ण टिप्पणी के सन्दर्भ में
महोदय,
निवेदन पूर्वक आपका ध्यान आपकी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य की अज्ञान्ता पूर्ण टिप्पणी की ओर आकर्षित कर रहा हूँ जिसमें प्रसाद ने गोस्वामी तुलसीदास जी की रचना सुन्दरकाण्ड के दोहे का अर्थ का अनर्थ कर न केवल सनातनी सभ्यता को धूमिल किया है अपितु धर्म के प्रति अपने ज्ञान पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया है? उक्त दोहा राम चरितमानस के पृष्ठ संख्या 767 में अंकित सुन्दरकाण्ड से है जिसका अर्थ सहित टीका भी सहज उपलब्ध है। यदि आपके महासचिव महोदय ने उक्त टीका पढ़ा होता एवं उन्हें सनातनी विचार धारा का रंचमात्र भी ज्ञान होता तो वह ऐसी समाज को विघटन करने का बयान कदापि न देते।
ज्ञातव्य हो कि कद्दावर नेताओं के बयान राष्ट्रीय शान्ति में भूचाल ला सकते हैं जिसके कई जीवन्त उदाहरण उपलब्ध है। सिक्ख समाज देश/प्रदेश में शान्ति बनाये रखने का पक्षधर है एवं राष्ट्रीय सौहार्द के प्रति चिन्तित है। यदि सामाजिक द्वेष उत्पन्न होता है तो विघटनकारी शक्तियां प्रभावशाली हो जाती है जिससे आर्थिक सामाजिक क्षति होती है और राष्ट्र की प्रगति बाधित होती है। अतः आपसे अपेक्षा की जाती है कि आप अपने पार्टी के कार्यकार्ताओं को ऐसे विघटनकारी बयानों से बचने के निर्देश पारित करें जो समाज को बांटते हों और राष्ट्रीय एकता के लिये भी खतरा बन सकते हैं। भविष्य में धार्मिक ग्रन्थों के प्रति कोई अभद्र पूर्ण टिप्पणी न हो, इस उद्देश्य से रामचरित मानस की प्रति सप्रेम भेंट करते है, स्वीकार करें।