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Meerut News: जब तक दिल्ली का मंत्री घोटाले में केजरीवाल का नाम नहीं लेगा तब तक उसे नहीं छोड़ेगी पुलिस- राकेश टिकैत
Meerut News: महापंचायत में बिना मनीष सिसोदिया का नाम लिए मोदी सरकार पर साधा निशाना।
Meerut News: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चैधरी राकेश टिकैत ने शुक्रवार की महापंचायत को सफल बताते हुए कहा कि आज के प्रदर्शन में सबने अपनी-अपनी ताकत लगाई। क्योंकि आने वाले समय में वैचारिक क्रान्ति ही देश को पार लगाएगी। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए ही मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ये पकड़-धकड़ कर रहे हैं सबके साथ में। उन्होंने कहा कि एक दिल्ली का मंत्री पकड़ रखा है जब तक वह केजरीवाल का नाम नहीं लेगा कि वो भी घोटाले में था, तब तक उसे नहीं छोड़ेगे। ये सबको एक-एक करके खूंटे में बांध रहे हैं। इनके खूंटे फाड़वनवे पड़ेंगे। सुताई मांग रहे हैं, बगैर सुताई के काम नहीं चल रहा इनका। आवेगा इनका भी टाइम। गांवों में शहरों में ढूंढे नहीं पावेंगे। अब के इन्होंने भर्ती अभियान चला रखा है कि अपने यहां सबको भर्ती कर लो।
अपने खेत में काम करें और नशे से दूर रहें
टिकैत ने किसानों से कहा कि अपने आंदोलन को रखो मजबूत। अपने खेत में काम करो। नशे से दूर रहो। आपस में झगड़े ना करो। इनका (बीजेपी सरकार का ) काम है झगड़े कराओं। उन्होंने कहा कि हमने ज्ञापन अधिकारियों को दे दिया है। उसमें गन्ने की भुगतान की बात है। प्रदेश में आवारा पशुओं की बात आदि शामिल है। टिकैत ने 20 मार्च को दिल्ली में होने वाली किसानों की महापंचायत के लिए किसानों से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने का आह्वान किया। इससे पहले महापंचायत में शामिल होने के लिए राकेश टिकैत ट्रैक्टर चलाकर पहुंचे। यहां पर चैधरी राकेश टिकैत किसान मसीहा चैधरी चरण सिंह व सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस मौके पर जेवर क्षेत्र के रन्हेरा गांव के लोगों ने भाकियू नेता राकेश टिकैत के सम्मान में 73 मीटर लंबी पगड़ी बांधी। एडीएम सिटी दिवाकर सिंह व एसपी सिटी पीयूष सिंह राकेश टिकैत से वार्ता करने पहुंचे।
सरकार किसानों का शोषण कर रही है
महापंचायत में भाकियू के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष गौरव टिकैत ने किसानों के गन्ना भुगतान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार का दावा 14 दिन में गन्ना भुगतान कराने का था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। किसानों को सिर्फ धोखा दिया गया। इसी तरह सरकार की किसानों की आय दोगुनी करने की बात झूठी निकली है। नलकूपों पर मीटर लगाकर सरकार किसानों का शोषण कर रही है। आवारा पशुओं को लेकर सरकार ने कोई इंतजाम नहीं किए, आवारा पशु किसानों की फसलें बर्बाद कर रहे हैं। महापंचायत में वक्ताओं द्वारा टिकैत परिवार को बम से उड़ाने की धमकी को लेकर सरकार को चेतावनी देते हुए कहा गया कि टिकैत परिवार को खरोंच भी आई तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे।
पुलिस ने किए थे सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
महापंचायत में मेरठ समेत वेस्ट यूपी के किसान बड़ी संख्या में शामिल हुए। किसान रणसिंघा के साथ जोश बढ़ाते दिखे तो कुछ किसान ट्रैक्टर के बने बुलडोजर पर सवार होकर महापंचायत में पहुंचे। पड़ोस के राज्यों के किसान आए तो लेकिन, उनकी संख्या काफी कम देखी गई। पुलिस ने किसानों के जमावड़े को देखते हुए सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए थे। कमिश्नरी चैराहे पर आने वाले सभी रास्तों पर नाकबंदी की गई थी। किसानों को छोड़कर आम जनता के लिए रास्ते पूरी तरह बंद रखे गए। सुरक्षा के लिए ड्रोन की भी व्यवस्था की गई थी। किसानों की नलकूपों पर बिजली मीटर लगाए जाने, गन्ना मूल्य न बढ़ाए जाने, आवारा पशुओं की समस्या का समाधान न होने इन सभी मांगों को लेकर आयोजित महापंचायत की अध्यक्षता ठाकुर जगत सिंह व संचालन गजेंद्र दबथुवा, अनुराग चैधरी ने की।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ। मेरठ में हुई पंचायतें लखनऊ और दिल्ली की सत्ता में बैठे लोगों को मुश्किलों में डालती रही हैं। यही वजह है कि इस बार भी सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए भारतीय किसान यूनियन ने मेरठ में किसानों की महापंचायत बुलाई। किसान महापंचायत के लिए मेरठ को चुनने की वजह का खुलासा करते हुए भाकियू (युवा) के जिला अध्यक्ष अनुराग चैधरी कहते हैं कि 27 जनवरी 1988 से लेकर 19 फरवरी 1988 तक किसानों की समस्याओं को लेकर मेरठ कमिश्नरी के समीप सीडीए मैदान में भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चैधरी महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में लाखों किसानों ने जमा होकर सरकार की नींद हराम कर दी थी। इसलिए हमने इस बार भी सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ने के लिए मेरठ की भूमि को चूना है। इस बार भी हम सरकार की नींद हराम करके ही रहेंगे।
किसानों के लिए तैयार हो रही थी सब्जी और पूड़ी
बहरहाल, कार्यक्रम स्थल पर किसानों में सरकार के खिलाफ पहले जैसा ही आक्रोश नजर आया। चारों तरफ रणसिंघा की आवाज गूंज रही थी और किसान बाबा टिकैत अमर रहे का नारा गुंजायमान करते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते रहे। कार्यक्रम स्थल के आसपास ही किसानों के लिए सब्जी और पूड़ी तैयार हो रही थी। वहीं महापंचायत में गायक रागिनी किसानों में जोश भरते दिखे।
किसान आंदोलन ने मेरठ महापंचायत के जरिए बीजेपी के खिलाफ मिशन 2024 का आगाज कर दिया है। मेरठ और मुजफ्फरनगर में महापंचायत के जरिए जब-जब किसानों ने जिस भी सरकार के खिलाफ हुंकार भरी है, उसकी मुश्किलें जरूर बढ़ी हैं। ऐसे में देखना होगा कि किसान महापंचायत का सियासी असर 2024 के चुनाव में क्या पड़ता है?