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Meerut: भाकियू में टूट तो खूब हुई, लेकिन किसानों पर टिकैत परिवार का ही वर्चस्व कायम रहा

Meerut: भाकियू का अभी तक का जो इतिहास रहा है उसमें टिकैत परिवार से बगावत कर अलग होने वाले किसान नेता (Kisan Neta) हमेशा हाशिए पर ही रहे हैं।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Shreya
Published on: 16 May 2022 6:11 PM IST
Meerut: भाकियू में टूट तो खूब हुई, लेकिन किसानों पर टिकैत परिवार का ही वर्चस्व कायम रहा
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टिकैत परिवार (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Meerut News: इस दिल के टुकड़े हजार हुए की तर्ज पर भारतीय किसान यूनियन (BKU) के भी कई टुकड़े (BKU Split) हुए हैं, लेकिन किसानों पर टिकैत परिवार (Tikait Family) का ही वर्चस्व कायम रहा है। मसलन, भाकियू भानू, भाकियू तोमर, भाकियू अंबावत, भाकियू लोक शक्ति, भाकियू असली और भाकियू स्वराज सहित भाकियू का नाम जोड़कर अन्य संगठन बनाए गए। इस बार राजेंद्र सिंह मलिक (Rajendra Singh Malik) और राजेश सिंह चौहान (Rajesh Chauhan) ने मिलकर भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक (BKU Non Political) संगठन का गठन किया है।

टिकैत परिवार से बगावत करने वाले किसान नेता हाशिए पर रहे

बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खाप चौधरियों ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए 17 अक्टूबर 1986 को भाकियू की नींव रखी थी। बालियान खाप के चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को अध्यक्ष बनाया गया। भाकियू का अभी तक का जो इतिहास रहा है उसमें टिकैत परिवार से बगावत कर अलग होने वाले किसान नेता (Kisan Neta) हमेशा हाशिए पर ही रहे हैं। यानी ऐसे नेताओं ने भाकियू से अलग होकर अपना अलग संगठन तो खड़ा कर लिया। लेकिन, किसानों पर पकड़ कायम नहीं रख सके। इसकी सबसे बड़ी वजह यही रही कि वे किसानों को भाकियू से अपने अलग होने को सही साबित नहीं कर सके।

पश्चिमी यूपी से जुड़े राजू अहलावत (Raju Ahlawat) को ही लें। वह सात साल तक भाकियू के मुजफ्फरनगर इकाई के अध्यक्ष रहे और उनके नेतृत्व में किसानों के हितों को लेकर कई बड़े आंदोलन यहां हुए। राजू अहलावत भाकियू के राजनीतिक होने का विरोध करते करते अचानक विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होकर अराजनैतिक से राजनीतिक हो गए। भाजपा में शामिल होने के बाद अभी तक भी राजू अहलावत स्थानीय किसानों पर अपनी पकड़ कायम नही रख सके हैं।

कमोवेश यही हाल भानु प्रताप सिंह, ऋषिपाल अंबावता, अध्यक्ष संजीव तोमर, चौधरी हरिकिशन मलिक, गुलाम मोहम्मद जौला, राजकिशोर पिन्ना, ठाकुर पूरन सिंह, वीरेंद्र सिंह प्रमुख किशन सिह मलिक का हुआ है। जो कि भाकियू से अलग होने के बाद किसानों के बीच अपना वर्चस्व कायम नहीं रख सके। अब राजेश चौहान नये बने संगठन भाकियू अराजनैतिक के अध्यक्ष बने हैं। राजेश चौहान बार-बार यह दोहराते रहे हैं कि टिकैत और उनका संगठन राजनीतिक हो चुका है। यही वजह उन्होंने भाकियू से अलग होकर नया संगठन बनाने की बताई है।

राकेश टिकैत ने लगाया यह आरोप

वैसे भाकियू में ताजा टूट की संभावनाएं तभी से लगाई जाने लगी जब पिछले दिनों गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र सिंह की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से लखनऊ में मुलाकात हुई थी। बता दें कि राजेन्द्र सिंह इस नए बने संगठन के संरक्षक हैं। भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने राजेन्द्र सिंह की मुख्यमंत्री से हुई मुलाकात के बारे में खुलकर कुछ नहीं कहते हुए इतना ही कहा है कि राजनीतिक दबाव में दूसरा संगठन बनाया गया। उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलन नहीं तोड़ सकी, लेकिन संगठन को तोड़ना शुरू कर दिया है।

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