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Black Fungus का कहर: UP में 112 मरीजों ने तोड़ा दम, 54 की निकालनी पड़ी आंखें

Black Fungus: उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के 1069 मामलों में 112 लोगों की जान जा चुकी है। जबकि 54 की आंखें निकालनी पड़ी।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 31 May 2021 9:25 AM GMT
Black Fungus का कहर: UP में 112 मरीजों ने तोड़ा दम, 54 की निकालनी पड़ी आंखें
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ब्लैक फंगस (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Black Fungus: कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी की दूसरी लहर के दौरान म्यूकर माइकोसिस (Mucormycosis) यानी ब्लैक फंगस (Black Fungus) ने भी देश के विभिन्न हिस्सों में कहर बरपा रखा है। पूरे देश में ब्लैक फंगस के करीब 20,000 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें एक हजार से अधिक मामले अकेले उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हैं। उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के 1069 मामलों में 112 लोगों की जान जा चुकी है। प्रदेश में ब्लैक फंगस के संक्रमण के गंभीर हो जाने पर 54 मरीजों की आंखें तक निकालनी पड़ी हैं।

केंद्र सरकार के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भी इस बीमारी को अधिसूचित किया जा चुका है। मगर अभी तक प्रदेश के छोटे शहरों और कस्बों में इस बीमारी की न तो दवाई मिल रही है और न इंजेक्शन। मजबूरी में अधिकांश मरीजों को बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। बड़े शहरों में तमाम पापड़ बेलने के बाद मरीजों की भर्ती तो हो जाती है मगर तब तक मरीज गंभीर हालत में पहुंच जाता है। यही कारण है कि यह बीमारी लोगों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है।

दवाओं व इंजेक्शन की कमी से हो रहीं मौतें

गाजियाबाद में तो एक ऐसा मामला सामने आया जिसने चिकित्सा विशेषज्ञों को भी हैरान कर दिया। यहां के एक मरीज में तीनों ही फंगस के लक्षण पाए गए थे। इस मरीज की जान बचाने के लिए इंजेक्शन की जरूरत थी मगर इंजेक्शन न मिलने के कारण मरीज ने दम तोड़ दिया। समय पर इलाज और दवाई न मिलने के कारण मौत की घटनाएं दूसरे शहरों में भी हो रही हैं।

शाहजहांपुर में ब्लैक फंगस के 5 मरीजों को रेफर किया गया था मगर वे जब तक बड़े शहरों के अस्पताल में दाखिल होते तब तक दो मरीजों की मौत हो गई। पीलीभीत में भी ऐसा ही मामला सामने आया है जहां एक मरीज की मौत हो गई।

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मुरादाबाद, वाराणसी और मेरठ में कहर

प्रदेश में मुरादाबाद और वाराणसी में ब्लैक फंगस का जबर्दस्त कहर देखने को मिला। मुरादाबाद में मिले 17 मरीजों में से सभी की आंखें ब्लैक फंगस के कारण निकालनी पड़ीं। उधर वाराणसी में ब्लैक फंगस के 128 मरीजों में से 19 ने दम तोड़ दिया है जबकि 14 मरीजों की आंखें निकालने पड़ीं।

बिजनौर में अतिरिक्त जिला जज राजू प्रसाद की मौत में भी ब्लैक फंगस को ही कारण बताया जा रहा है। हालांकि प्रशासन की ओर से अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की गई है मगर विशेषज्ञों के मुताबिक उनमें ब्लैक फंगस के ही लक्षण पाए गए थे।

मेरठ में भी ब्लैक फंगस ने कहर बरपा रखा है और इससे पीड़ित 84 मरीजों का इलाज चल रहा है। इन मरीजों में से 51 मरीज कोरोना निगेटिव हैं मगर फिर भी वे ब्लैक फंगस से पीड़ित हैं।

सरकार ने किया पूरी तैयारी का दावा

दूसरी ओर सरकार की ओर से ब्लैक फंगस बीमारी से लड़ने के लिए पूरी तैयारी होने का दावा किया जा रहा है। प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री सुरेश कुमार खन्ना का कहना है कि ब्लैक फंगस के खिलाफ प्रदेश सरकार की ओर से पूरी योजना बनाई जा रही है और इस बीमारी से निपटने के लिए प्रदेश पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में सरकार की ओर से 5 विशेषज्ञों की कमेटी भी बनाई गई है। उन्होंने प्रदेश के सभी अस्पतालों में ब्लैक फंगस की जरूरी दवाएं होने का भी दावा किया है।

पीजीआई को सौंपी समन्वय की जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्लैक फंगस के मामले में हेल्पलाइन के जरिए मरीजों से बातचीत कर उन्हें उचित सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। लखनऊ में पीजीआई को ब्लैक फंगस के इलाज के लिए नोडल सेंटर बनाया गया है।

यहां 13 डॉक्टरों की टीम को प्रदेश के दूसरे शहरों के डॉक्टरों से समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मरीजों की मॉनिटरिंग की व्यवस्था न होने के कारण निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों का स्वास्थ्य विभाग के पास कोई आंकड़ा नहीं है। जानकारों का कहना है कि इसी कारण पीड़ित मरीजों को उचित इलाज भी नहीं मिल पा रहा है।

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