Epidemic: क्या कोरोना से भी खतरनाक है ये ब्लैैक और व्हाइट फंगस

यूपी समेत कई राज्यों में ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित किया गया

Pallavi Srivastava
Published on: 24 May 2021 8:58 AM GMT
Epidemic: क्या कोरोना से भी खतरनाक है ये ब्लैैक और व्हाइट फंगस
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लखनऊ। कहते हैं कि पुरानी परंपरा को कभी भूलना नहीं चाहिए। पुराने जमाने में महिलाएं एक धोती पहनकर रसोईघर में खाना बनाती थीं। रसोईंघर में बिना नहाए कोई प्रवेश भी नहीं कर सकता था। उस समय छूआ-छूत का काफी प्रचलन था। बार-बार हाथों को धोना, नहाना, बिना नहाए खाना न मिलना इत्यादि। शायद इसी प्रथा के कारण पहले लोग लंबे समय तक जीवन जीते थे वो भी बिना बीमारी के ग्रसित हुए। पर आज सब लोग वह सारी परंपराएं भूल गये थे इसी का नतीजा है ये एक के बाद एक आ रही महामारी। पर कोरोना ने बार-बार हाथ धोना, सफाई रखना आखिर सिखा ही दिया। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी परंपराओं को न भूलकर अपनी आने वाली पीढ़ी को भी सिखाएं।



पहले के जमाने में लोग सिर्फ दाद-खाज-खुजली को ही फंगल इंफेक्शन जानते थे। अगर किसी को फंगल इंफेक्यान है तो मतलब दाद- खाज ही होगा। पर ये समझ लेना ही काफी नहीं हैै। आज हम देख ही रहे हैं कि फंगस कई प्रकार के होते हैं। पहले जानलेवा ब्लैक फंगस आया और अब व्हाइट फंगस लोगों को प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों की माने तो व्हाइट फंगस का संक्रमण ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरनाक होता है। क्योंकि इसका फेफड़ों और शरीर के अन्य अंगों पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है। व्हाइट फंगस अधिक घातक है क्योंकि जैसे यह फैलता है। ये महत्वपूर्ण अंगों को बहुत नुकसान पहुंचाता है। कोरोना महामारी के बाद यूपी समेत कई राज्यों में ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित कर दिया गया है। आइये जानते हैं क्या है यह ब्लैक और व्हाइट फंगस



ब्लैक फंगस

देश में यूपी समेत कई राज्यों में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया गया है। भारत में म्यूकरमाइकोसिस के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिसे आम तौर पर ब्लैक फंगस के नाम से जाना जाता है। महामारी ऐक्ट के तहत अब राज्यों में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। कोरोना को महामारी घोषित करने के बाद के बाद अब ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित किया गया है। विश्व स्तर पर फैली कोरोना महामारी से जूझ रहे लोगों में बढ़ रहा है ब्लैक फंगस का खौफ। महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित करने के लिए केन्द्र सरकार ने कहा था कोरोना महामारी के बाद ब्लैक फंगस ने भी लोगों को दपने अंदर जकड़ना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इससे सम्बंधित गाइडलाइन भी जारी कर दिया है। ब्लैक फंगस के संक्रमण के मामले में मौत की आशंका बहुत बढ़ जाती है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक राज्य में महामारी घोषित होने के बाद राज्य के सीमा क्षेत्र के भीतर सभी निजी व सरकारी अस्पतालों को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिसर (आईसीएमआर) की गाइडलाइन के मुताबिक ही संक्रमण की जांच करनी होती है। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एंटी-फंगल दवा एम्फोटेरिसिन-बी का इस्तेमाल किया जा रहा है


बता दें कि जब कोई बीमारी लोगों के बीच एक-दूसरे को संक्रमित करती है और तेजी से फैलने लगती है साथ ही उस बीमारी से होने वाली मौत, इंफेक्शन या उससे प्रभावित देशों की संख्या के आधार पर उसे महामारी घोषित कर दिया जाता है। महामारी घोषित करने का फैसला विश्व स्वास्थ्य संगठन को लेना होता है। महामारी पर नियंत्रण करना बहुत मुश्किल होता है। यह धीरे धीरे पूरे विश्व में अपना पैर पसार लेती है। कोरोना संक्रमण से पहले भी चेचक, हैजा, प्लेग जैसी बीमारियां महामारी के रूप में घोषित की जा चुकी हैं।




ब्लैक फंगस के मामलों के पीछे स्टेरॉयड है मुख्य

ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के मामले पूरे देश में तेजी से बढ़ रहा है जो कि चिंता का विषय हैं, एम्स के निदेशक डाॅ रणदीप गुलेरिया के अनुसार फंगल संक्रमण नया नहीं है, लेकिन कोरोना वायरस के साथ मामले बढ़ गए हैं। डाॅ गुलेरिया ने कहा कि ब्लैक फंगस के मामलों के पीछे स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल करना ही एक प्रमुख कारणों में से एक है।

डाॅ गुलेरिया ने ये भी बताया कि, ब्लैक फंगस चेहरे, संक्रमित नाक, आंख के ऑरबिट या मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है, जिससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है। साथ ही यह फेफड़ों में भी फैल सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों को अस्पतालों में संक्रमण रोकने के प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए।



इन्हे हो सकता है ब्लैक फंगस

मधुमेह के रोगी, कोविड रोगी और स्टेरॉयड पर रहने वाले लोगों को ब्लैक फंगस संक्रमण होने का अधिक खतरा होता हैं आईसीएमआर-स्वास्थ्य मंत्रालय की एक जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि इस बीमारी के प्रमुख जोखिम कारकों में अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड द्वारा इम्यूनोसप्रेशन, लंबे समय तक आईसीयू में रहना, वोरिकोनाजोल थेरेपी शामिल हैं।



जाने क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण

ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस मुख्य रूप से कारोना वायरस से उबरने वाले लोगों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है। संक्रमण के कारण नाक रंग फीका पडना, धुंधली या दोहरी दृष्टि, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और खांसी से खून आना हो रहा है। चेहरे के एक तरफ सूजन, आंखों का लाल होना मुख्य कारण है। म्यूकरमाइकोसिस में मुख्य रूप से साइनस और आंख शामिल होती है और यह भी देखा गया है कि कभी-कभी यह मस्तिष्क तक जा सकती है। और इसमें नाक शामिल हो सकती है। जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि नाक बंद होना, चेहरे का एकतरफा दर्द व सूजन, सुन्न होना, नाक या तालु के ऊपर कालापन आना, दांत दर्द, दांतों का ढीला होना, आंखों से धुंधला दिखाई देना, सीने में दर्द और सांस संबंधी लक्षणों का बिगड़ना म्यूकरमाइकोसिस से संक्रमित होने के लक्षण हैं।


ब्लैक फंगस को रोकने के उपाय

ब्लैक फंगस को रोकने के लिए शुगर का मेनटेन होना अति आवश्यक है। जिन लोगों को शुगर है वेे अपना शुगर लेवल नियमित जांचते रहें और उसे नियंत्रित कर लें। वहीं शुगर के साथ साथ स्टेरॉयड का ज्यादा खतरनाक है। दूसरा हमें स्टेरॉयड कब लेनी हैं इसके लिए सावधान रहना चाहिए और तीसरा स्टेरॉयड की हल्की या मध्यम डोज लेनी चाहिए।

जारी एडवाइजरी के अनुसार, लोग पर्यावरण में फंगल बीजाणुओं के संपर्क में आने से संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं, इसलिए लोगों को मिट्टी, खाद और मलमूत्र के अलावा सड़ी हुआ खाना, फल और सब्जियों के संपर्क में आने के प्रति आगाह किया गया है। मिट्टी की बागवानी को संभालते समय जूते, लंबी पतलून, लंबी बाजू की शर्ट और दस्ताने पहनने की सलाह दी गयी है।


व्हाइट फंगस

विशेषज्ञों की माने तो व्हाइट फंगस का संक्रमण ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरनाक होता है। क्योंकि इसका फेफड़ों और शरीर के अन्य अंगों पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है। व्हाइट फंगस अधिक घातक है क्योंकि जैसे यह फैलता है ये महत्वपूर्ण अंगों को बहुत नुकसान पहुंचाता है। यह मस्तिष्क, श्वसन अंगों, पाचन तंत्र, गुर्दे, नाखून या यहां तक ​​कि निजी अंगों को भी प्रभावित कर रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हे व्हाइट फंगस सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। यह तब भी हो सकता है जब लोग गंदे पानी के संपर्क में आते हैं या मोल्ड युक्त गंदे वातावरण में आते हैं। यह रोग संक्रामक नहीं है, लेकिन ये महत्वपूर्ण अंगों में फैल सकता है और कठिनाइयों का कारण बन सकता है। कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग, शुगर, कैंसर या नियमित रूप से स्टेरॉयड का उपयोग करने वालों को व्हाइट फंगस से संक्रमित होने का अधिक खतरा होता है।

Pallavi Srivastava

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