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Block Pramukh Election 2021: सपा की जातिगत 'गुगली' से भाजपा असहज, घोरावल में नामांकन से विधायक की दूरी पर उठ रहे सवाल

सपा ने भले ही भाजपा+अपना दल एस को वाकओवर दे दिया हो लेकिन घोरावल में जातिगत गुगली' ने सत्ता पक्ष को असहज कर दिया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 9 July 2021 8:53 PM IST
Saharanpur
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नामांकन करने जाते लोग (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Block Pramukh Election 2021: दस ब्लॉक प्रमुख सीटों में से पांच पर सपा ने भले ही भाजपा+अपना दल एस को वाकओवर दे दिया हो लेकिन घोरावल में फेंकी गई जातिगत गुगली' ने सत्ता पक्ष को असहज कर दिया है। हालांकि बृहस्पतिवार को घेराबंदी कर सपा प्रत्याशी का पर्चा वापस करा लिया गया, लेकिन कुशवाहा (मौर्या) बिरादरी के ही आलोक रंजन के मोबाइल स्विच ऑफ कर लेने के कारण उनका पर्चा वापस कराने में कामयाबी नहीं मिल पाई। इसके चलते जहां असहजता की स्थिति बनी हुई है वहीं घोरावल विधायक अनिल मौर्या की नामांकन से दूरी को लेकर भी सवाल सुलगने लगे हैं।

नगवां में सामान्य उम्मीदवार के मुकाबले पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार को उतारकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया गया है। वहीं चोपन में कड़े प्रतिरोध के बाद अपने प्रत्याशी का पर्चा वैध कराकर इस सीट को भी हॉट सीटों में शुमार किए रखा है। संवैधानिक पद होने के बावजूद प्रमुख के चुनाव को सत्ता पक्ष के लिए ज्यादा मुफीद माना जाता है। यही कारण है कि सपा को जिले की 5 सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी दल अपना दल एस को वाक ओवर देना पड़ा। इसका फायदा उठा कर भाजपा ने राबर्ट्सगंज और चतरा सीट निर्विरोध करा लिया।

अपना दल एस ने भी इसका फायदा उठाया और बभनी सीट से, जिले की जरायम में बड़ा नाम रखने वाले राजन सिंह की पत्नी बेबी की उम्मीदवारी निर्विरोध कराने में कामयाब हो गई। लेकिन मौर्य बिरादरी बाहुल घोरावल प्रमुख की सीट पर भाजपा की तरफ से उतारे गए पटेल बिरादरी के प्रत्याशी के खिलाफ मौर्या बिरादरी का प्रत्याशी उतारकर भाजपा में असहजता की स्थिति उत्पन्न कर दी है। हालांकि बृहस्पतिवार को सपा प्रत्याशी ने अचानक पर्चा वापस ले लिया, लेकिन मौर्य बिरादरी के ही निर्दल उम्मीदवार आमोद रंजन में मैदान में डटे रहने से निर्विरोध की कोशिश कामयाब नहीं हो सकी।

बताया जा रहा है कि दूसरी बार बीडीसी निर्वाचित आमोद रंजन पहले भाजपा खेमे में ही थे। घोरावल से पंछी का टिकट भी मांगा था, लेकिन टिकट न मिलने पर निर्दल के रूप में पर्चा दाखिल कर दिया। आमोद के पिता बीडी सिंह कुशवाहा पूर्व में बसपा के जिला संयोजक रह चुके हैं। आमोद की मौजूदगी शनिवार के मतदान में क्या गुल खिलाएगी यह तो मतगणना का परिणाम ही बताएगा, लेकिन स्थिति पर पूरे जिले की नजरें टिकी हुई हैं। बता दें कि घोरावल से अनिल मौर्या भाजपा के विधायक हैं। यहां के मौर्य बिरादरी के करीब 40,000 वोट उनकी ताकत हैं।

भाजपा से पहले बसपा में भी इस वोट बैंक ने उनको विधायक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में लोगों में जबरदस्त नाराजगी के चलते सपा के रमेश चंद्र दुबे से उन्हें शिकस्त खानी पड़ी थी। बावजूद मौर्य बिरादरी के वोटों की बदौलत 72,000 से अधिक मत हासिल कर घोरावल विधानसभा के सियासत में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी। इसका लाभ उन्हें 2017 में मिला और उनके इसी समीकरण का फायदा उठाने के लिए जिताऊ उम्मीदवार की तलाश कर रही भाजपा ने उन्हें घोरावल से टिकट दिया। वह आसानी से विधायक निर्वाचित भी हो गए लेकिन प्रमुखी के चुनाव में भाजपा ने जब घोरावल सीट से दीपक सिंह पटेल को प्रत्याशी उतारा तो सपा ने विधायक को उन्हीं के गढ़ में घेरने के लिए अवधनारायण मौर्य को प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतार दिया।

नामांकन के दिन इसका असर साफ-साफ दिखा भी। घोरावल में नामांकन के समय विधायक अनिल मौर्या की गैरमौजूदगी जहां पूरे दिन चर्चा का विषय बनी रही। वहीं बृहस्पतिवार को हुए नामांकन में करमा सीट पर सीमा कोल के नामांकन में रहने के बावजूद, वहां से घोरावल की महज 30 किमी की दूरी तय न कर पाना, राजनीतिक गलियारे में खासा चर्चा का विषय बना। उधर, पूर्व एमएलसी केदार सिंह के करीबी एवं जिले में भाजपा नेता के रूप में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले आलोक सिंह नगवा ब्लाक के प्रमुख की दावेदारी कर रहे हैं।

सपा ने यहां हीरालाल यादव की पत्नी राधिका यादव को मैदान में उतारकर चुनाव दिलचस्प बना दिया है। सपा के लोगों ने अपनी पूरी ताकत भी इस सीट पर झोंक दी है। 2015 के चुनाव में सपा की सत्ता रहने के बावजूद, सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को हार सहनी पड़ी थी। इसको देखते हुए, इसे जिले की सबसे हॉट सीट माना जा रहा है। वहीं सदर विधायक भूपेश चौबे, जिलाध्यक्ष अजीत चौबे सहित भाजपा के अन्य दिग्गजों की नगवां क्षेत्र में दिखती मौजूदगी ने सभी की नजरें इस सीट पर गड़ा दी हैं। इसी तरह, चोपन में सपा प्रत्याशी का भी पर्चा वैध घोषित होने के बाद लड़ाई दिलचस्प हो गई है। सपा के जिलाध्यक्ष विजय यादव और जिला पंचायत अध्यक्ष अनिल यादव की यह गृह सीट है। वहीं भाजपा के ओबरा विधायक सुनील गोंड़ भी इसी क्षेत्र के निवासी हैं और उनकी पत्नी लीला देवी गोंड़ चुनाव मैदान में हैं। परिणाम क्या होगा? यह तो शनिवार को होने वाला मतदान तय करेगा। लेकिन राजनीतिक गलियारों के साथ ही जिले के चट्टी चौराहों पर इसकी बतकही जारी है।



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Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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