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फर्जी दस्तावेजों पर करोड़ों का लोन दिलाने वाले वकीलों को नहीं मिली राहत

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बैंक आॅफ बड़ौदा रिजनल कार्यालय आगरा के पैनल अधिवक्ता अमिताभ शर्मा के खिलाफ सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद में दाखिल चार्जशीट व जारी गैर जमानती वारण्ट व संज्ञान लेने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। हा

Anoop Ojha
Published on: 19 Feb 2018 10:14 PM IST
फर्जी दस्तावेजों पर करोड़ों का लोन दिलाने वाले वकीलों को नहीं मिली राहत
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इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बैंक आॅफ बड़ौदा रिजनल कार्यालय आगरा के पैनल अधिवक्ता अमिताभ शर्मा के खिलाफ सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद में दाखिल चार्जशीट व जारी गैर जमानती वारण्ट व संज्ञान लेने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। हालांकि दो हफ्ते में याची के कोर्ट में समर्पण करने की दशा में गैर जमानती वारण्ट पर तब तक के लिए अमल पर रोक लगा दी है। याची पर फिरोजाबाद की फर्म मेसर्स भोले फ्लोर मिल्स को फर्जी बंधक जमीनों के एवज में करोड़ों का लोन दिलाने में मदद करने का आरोप है।

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति के.पी. सिंह की खण्डपीठ ने अमिताभ शर्मा की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश त्रिवेदी व सीबीआई अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश ने बहस की। याचिका द्वारा सीबीआई की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए गैर जमानती वारण्ट आदेश की वैधता को चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने कहा है कि भले ही पुलिस रिपोर्ट में आरोपी को क्लीनचिट दी गयी हो, कोर्ट को गवाहों के बयान व विवेचना में आए साक्ष्यों पर संज्ञान लेकर प्रक्रिया शुरू करने का कानूनी अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि यह रेयर आॅफ रेयरेस्ट केस नहीं है, जिसमें कोर्ट अपनी अन्तर्निहित शक्तियों का प्रयोग कर हस्तक्षेप करे। फर्म द्वारा बैंक से लोन लेने के लिए जिन जमीनों को बंधक रखा गया, उनके अभिलेख बनावटी व फर्जी है। मामले की विवेचना सीबीआई द्वारा की गयी।

मालूम हो कि बैंक आॅफ बड़ौदा की शिकोहाबाद शाखा से फर्म ने करोड़ों का लोन मांगा और बंधक के लिए कई जमीनों को बंधक रखा गया। इस संबंध में बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय आगरा के पैनल अधिवक्ता याची से कानूनी राय व सम्पत्तियों के सत्यापन की रिपोर्ट मांगी गयी। सब कुछ सही होने की रिपोर्ट पर लोन स्वीकृत किया गया। जो दो गारण्टर दिये गये श्रीमती राधा रानी व श्रीमती रागमूर्ति देवी पहले ही मर चुकी थी। उन्होंने अपनी सम्पत्ति भी बेच दी थी। सात गारण्टरों को जमीन का मालिक बताते हुए लोन देने की संस्तुति कर दी गयी। तीस साल तक के रिकर्ड का खर्च नहीं किया गया। जमीन की गलत बाउण्ड्री दिखाकर जमीन बंधक रखी गयी और वकील ने सभी जमीनों की सत्यापन रिपोर्ट में पाकसाफ होने की राय दी। जिससे बैंक को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा। बैंक ने ही सीबीआई जांच की मांग की थी और प्राथमिकी दर्ज करायी थी।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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