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Kalyan Singh: कल्याण सिंह बचपन से ही थे पढ़ने के शौकीन, ऐसे रखा राजनीति में कदम

अतरौली सूबे के मुख्यमंत्री रहे बाबू कल्याण सिंह बचपन से ही पढ़ने के शौकीन हैं और बड़े होने पर पढ़ाने के अपने पैतृक गांव महोली में बाबूजी कल्याण सिंह का बचपन अपने गांव की गलियों में गुजरा।

Garima Singh
Report Garima SinghPublished By Shashi kant gautam
Published on: 21 Aug 2021 11:16 PM IST (Updated on: 21 Aug 2021 11:27 PM IST)
Kalyan Singh was fond of reading since childhood, stepped into politics like this
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कल्याण सिंह: फोटो- न्यूजट्रैक  

Kalyan Singh: अतरौली सूबे के मुख्यमंत्री रहे बाबू कल्याण सिंह बचपन से ही पढ़ने के शौकीन हैं और बड़े होने पर पढ़ाने के अपने पैतृक गांव महोली में बाबूजी कल्याण सिंह का बचपन अपने गांव की गलियों में गुजरा। बाबूजी ने प्राथमिक पढ़ाई गांव गद्यावर्ली स्थित विद्यालय से की थी उसके बाद के में इंटर कॉलेज अतरौली से कक्षा 12 तक की पढ़ाई की थी। इसके बाद अलीगढ़ से M.A. किया।

M.A. करने के बाद शिक्षक के रूप में 1956 से नगर पालिका इंटर कॉलेज अतरौली में 1960 तक रहे इसके बाद शिक्षक रायपुर मुजफ्फर स्थिति की सीए इंटर कॉलेज में शिक्षक के रूप में तैनात रहे वहां उन्होंने कुछ समय तक बच्चों को पढ़ाई के बाद नौकरी छोड़ दी। इसी दौरान पढ़ने के दौरान से ही वह बाबूजी संघ से जुड़े हुए थे।

कल्याण सिंह: फोटो- न्यूजट्रैक


1962 में कल्याण सिंह राजनीति में रखा कदम

1962 में उन्होंने राजनीति में रखा कदम बाबूजी का अपने जीवन में पहला चुनाव विधायक के रुप में जनसंघ से 1962 में दीपक के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था मगर उसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। उसके बाद 1967 में बाबूजी चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की बाबूजी विधानसभा क्षेत्र अतरौली के 10 बार विधायक रहे जबकि दो बार बुलंदशहर और एटा के सांसद रहे और उत्तर प्रदेश सरकार 1977 में स्वास्थ्य मंत्री रहे।

उन्होंने अपने स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल में 30 बेड का सीएससी अस्पताल गांव खेड़ा चौराहे अमन तिवारी चौराहा पर बनवाया और राजनीति की बुलंदियों को छूते हुए बाबूजी राजनीति को बुलंदियों को छोड़ते गए और पहली बार भारतीय जनता पार्टी से 1991 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। करीब 1 साल तक बाबूजी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान है।

कल्याण सिंह: फोटो- न्यूजट्रैक

अपनी तीसरी पीढ़ी संदीप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा

उसी दौरान बाबरी मस्जिद का ढांचा ना टूटने पर उन्होंने कुर्सी को छोड़ दिया बाबूजी सूबे के तीन बार मुख्यमंत्री रहने के साथ राजस्थान के राज्यपाल रहे उन्होंने राजनीति की ऊंचाइयों तक पहुंचकर लोधी समाज का नाम रोशन करने के साथ अपनी तीसरी पीढ़ी संदीप सिंह को चुनाव मैदान में उतारते हुए पहली बार में ही विजय प्राप्त कराई और अपने बेटे राजवीर सिंह राजू को स्वास्थ्य मंत्री से लेकर कई बार अतरौली और दवाई से विधायक बनवाया।


अब एटा के सांसद रहे बुलंदशहर के सांसद रहे थे 2014 में तब राजस्थान का राज्यपाल के लिए जयपुर जा रहे थे तेरे गांव में होली पर अपने धर्म पत्नी रामवती ने स्वागत किया गांव के लोगों ने खुशी मनाई उन्होंने कहा कि इसी पैतृक गांव बरौली कि मैं मुझे कहां से कहां पहुंच आया है मैं इस माटी को नमन करता हूं बाबूजी मैं एक बात की काफी अच्छी रही की होली मिलन में भी कभी नहीं लोकेश चाहे मुख्यमंत्री टाइम रहा हूं राजपाल चाहे विपक्ष चाहे विधायक समय निकालकर अतरौली की लोगों से मिलते रहे थे।




Shashi kant gautam

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