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UP Election 2022: बरौली में इस बार बदला हुआ है नजारा, लंबे समय बाद दो सियासी दिग्गजों का आमना-सामना नहीं

UP Election 2022 : यूपी चुनाव में बरौली सीट पर इस बार नजारा बिल्कुल बदला हुआ है, क्योंकि भाजपा ने दलवीर सिंह का टिकट काटकर जयवीर सिंह को ही चुनाव मैदान में उतार दिया है।

Anshuman Tiwari
Report Anshuman TiwariPublished By Ragini Sinha
Published on: 5 Feb 2022 1:57 PM IST
UP Election 2022: बरौली में इस बार बदला हुआ है नजारा, लंबे समय बाद दो सियासी दिग्गजों का आमना-सामना नहीं
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Up Election 2022 : अलीगढ़ (Aligarh news) जिले की बरौली विधानसभा सीट (Barauli assembly seat) पर शुरुआत से ही क्षत्रियों का दबदबा रहा है। 1967 के परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई थी और इस पर पहली बार 1974 में विधानसभा का चुनाव हुआ था। इस सीट पर पिछले दो दशक से ठाकुर जयवीर सिंह (thakur Jaiveer Singh) और ठाकुर दलवीर सिंह (Thakur Dalveer Singh) के बीच सियासी वर्चस्व की जंग चलती रही है। पिछले चुनाव में भाजपा (Bjp) के टिकट पर उतरे दलवीर सिंह ने बसपा प्रत्याशी जयवीर सिंह (BSP candidate Jaiveer Singh) को हरा दिया था मगर इस बार के चुनाव में नजारा बिल्कुल बदला हुआ है क्योंकि भाजपा ने दलवीर सिंह का टिकट काटकर जयवीर सिंह को ही चुनाव मैदान में उतार दिया है।

लंबे अरसे बाद दलवीर सिंह चुनाव मैदान में नहीं उतरे हैं। जयवीर सिंह का मुकाबला करने के लिए रालोद ने प्रमोद गौड़ को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि बसपा के टिकट पर नरेंद्र शर्मा दूसरे उम्मीदवारों को चुनौती दे रहे हैं। कांग्रेस ने अबकी बार गौरांग देव चौहान को अपना प्रत्याशी बनाया है।

लंबे समय से दो दिग्गजों के बीच जंग

बरौली विधानसभा सीट को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और यहां से चुनाव जीतकर कई चेहरे प्रदेश सरकार में मंत्री बने हैं। यह अजीब संयोग है कि मौजूदा समय में दलवीर सिंह और जयवीर सिंह दोनों भाजपा में ही हैं जबकि लंबे समय से दोनों के बीच सियासी उठापटक चलती रही है। दलवीर सिंह ने 1991 की राम लहर में भी जनता दल के टिकट पर यहां से पहला चुनाव जीता था। 1996 में भी वे चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। 2002 के चुनाव में वे रालोद के टिकट पर उतरे मगर उन्हें बसपा उम्मीदवार जयवीर सिंह से पराजित होना पड़ा। 2007 के चुनाव में भी जयवीर ने उन्हें हरा दिया था। 2012 के चुनाव में रालोद के टिकट पर उतरे दलवीर जयवीर को 12000 मतों से हराने में कामयाब रहे। 2017 के चुनाव में वे भाजपा के टिकट पर चुनावी रण में उतरे और बसपा के जयवीर को फिर हराया।

2017 के चुनाव में दलवीर 1,25,545 मत पाने में कामयाब हुए थे जबकि बसपा के जयवीर को 86,782 मत मिले थे। कांग्रेस के केशव सिंह बघेल को 17,229 मत मिले थे जबकि रालोद के नीरज शर्मा सिर्फ 1829 मत ही पा सके थे।

बरौली का जातीय समीकरण

यदि क्षेत्र के जातीय समीकरण को देखा जाए तो इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 90,000 क्षत्रिय मतदाता हैं। क्षत्रिय मतदाता यहां के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। बरौली में करीब 50,000 ब्राह्मण और करीब इतने ही बघेल मतदाता भी हैं। लोध और जाटों मतदाताओं की संख्या 40-40 हजार है जबकि मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 30,000 है। क्षेत्र में 25,000 जाट मतदाता भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं जबकि वैश्य मतदाताओं की तादाद करीब 20,000 है। चुनाव क्षेत्र में उतरे सभी मतदाता जातीय समीकरण साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

जातीय संतुलन साधने की कोशिश

बरौली विधानसभा सीटों पर पहले चरण में 10 फरवरी को मतदान होना है। भाजपा प्रत्याशी जयवीर सिंह के समर्थकों को इस बार पुराने प्रतिद्वंद्वी दलवीर के सामने न होने से चुनाव आसान लग रहा है। इसके साथ ही जयवीर समर्थकों को मोदी-योगी की लोकप्रियता और भाजपा संगठन की मजबूती के दम पर अपनी स्थिति मजबूत लग रही है। दूसरी ओर सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी प्रमोद गौड़ किसानों की नाराजगी और जातीय समीकरण साधने के दम पर अपनी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

वैसे जयवीर की इलाके पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। इस बार वे भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। चुनावी जीत हासिल करने के लिए उन्होंने और उनके समर्थकों ने पूरी ताकत लगा रखी है मगर देखने वाली बात यह होगी कि वे विपक्ष की घेराबंदी को तोड़ने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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