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Etah News: सरकारी चिकित्सालय में नहीं मिल रहा इलाज, मासूम बच्ची का लाचार बाप खा रहा दर-दर की ठोकरें

ईश्वर का रुप माने जाते वाले डाक्टर जब शैतान बन जाये तो वह भी दंड के भागीदार होते हैं जो जान बचाने के स्थान पर जान लेने पर उतारू हैं।

Sunil Mishra
Report Sunil MishraPublished By Shashi kant gautam
Published on: 15 Sep 2021 9:58 AM GMT (Updated on: 15 Sep 2021 12:40 PM GMT)
Government hospital is not getting treatment, the helpless father of innocent girl is eating stumbling blocks
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एटा: सरकारी चिकित्सालय में मासूम बच्ची नहीं मिल रहा इलाज

Etah News: उत्तर प्रदेश सरकार गरीबों को मुफ्त इलाज देने का चाहे कितना भी दावा कर रही हो, चाहे कितने भी हॉस्पिटल, मेडिकल कालेज बनाये लेकिन स्वास्थ्य विभाग( Health Department) के अधिकारी और कर्मचारी गरीबों का इलाज करने को तैयार ही नहीं है। उन्हें तो सरकारी चिकित्सालय( Government Hospital) में इलाज के स्थान अपनी निजी प्रेक्टिस( Private Practice) करने व चिकित्सालय के मरीज अपने क्लिनिक ले जाने की चिंता है।

स्वास्थ्य विभाग(Health Department) के कारनामे आये दिन चर्चा में बने रहते हैं। जिसमें चाहे कोरोना काल में आक्सीजन ब्लैक करने का मामला हो या भोजन व उपचार न किये जाने का मामला हो या चाहे चिकित्सालय के चिकित्सकों की मरीजों से अवैध वसूली या चिकित्सालय के दलाल रैकेट, चाहे शव वाहन से डीजल के नाम पर वसूली, चाहे जनपद में झोला छाप डॉक्टरों द्वारा अवैध हास्पिटल के संचालन का मामला हो आदि विषयों पर चर्चा में बने रहते हैं।

बुखार से पीड़ित 3 वर्षीय बच्ची को लेकर भटक रहा है पिता

जनपद के स्वास्थ्य विभाग का एक और शर्मनाक कारनामा सामने आया है जिसमें एक 3 वर्षीय बच्ची जो बुखार पीड़ित है बच्ची के परिजन उसे गंभीर हालत में एटा के मेडिकल कालेज की इमर्जेंसी में बीती देर शाम लेकर आते हैं। जो एटा से लगभग 20 किलोमीटर दूर से इलाज के लिये एटा आये और एटा के मेडिकल कालेज के आपात कालीन कक्ष में बच्ची को भर्ती कराते हैं जहाँ डाक्टर बच्ची को बिना इलाज किये रेफर कर देते हैं और उसे बोतल लगे ही इमर्जेंसी से बाहर निकाल दिया जाता है।

बच्ची के परिजन इमरजेंसी के बाहर खुले में खडे होकर स्वास्थ्य कर्मियों के आगे बेटी की जान बचाने के लिये रोते हैं, गिड़गिड़ाते है पर किसी का दिल नहीं पसीजता मजबूरी में बच्ची की मां अपनी बेटी को ग्लूकोज की बोतल लगे ही गोदी में लेकर बाहर आ जाती है जिसकी बोतल पकड़कर उसका पिता साथ रहता है।

इलाज के नाम पर कर रहे रेफर

पीड़ित पिता विजय पाल ने मेडिकल कालेज के आपात कालीन कक्ष के बाहर बताया कि वह जनपद के कस्बा मारहरा का निवासी है वह अपनी 3 वर्षीय पुत्री को इलाज कराने लाया था जहां डाक्टर ने मेरी बेटी का कोई इलाज नहीं किया गया सिर्फ एक बोतल लगाकर रैफर या प्राईवेट इलाज कराने की बात कह रहे हैं। उसने बताया कि इमर्जेंसी में किसी भी डाक्टर ने उसकी बेटी को नहीं देखा और न कोई इलाज किया न दवा दी इलाज करने की कहने पर रेफर करने की कह रहे हैं।

समझ में नहीं आता कहां जाऊं

उन्होंने इलाज के नाम पर सिर्फ ग्लूकोज की बोतल लगाई गयी है मेरी बेटी काफी परेशान हैं। आखिर में जाऊं तो जाऊं कहां, मै यहां के डाक्टरों के आगे काफी रोया, गिड़गिड़ाता रहा कि मेरी बेटी की जान बचा लो, मेरी किसी ने न सुनी। समझ में नहीं आता कहां जाऊं और उसका चिकित्सालय में इलाज नही किया गया।

आखिर करोड़ों अरबो की लागत से बनाये जा रहे यह मेडिकल कालेज व चिकित्सालय है किसके लिये? अगर यहां गरीबों का इलाज नहीं होगा तो क्या होगा? इस लापरवाही के लिए जिम्मेदारी किसकी? क्यों नहीं होती ऐसे समाज विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगो के विरुद्ध कार्रवाई। ईश्वर का रुप माने जाते वाले डाक्टर जब शैतान बन जाये तो वह भी दंड के भागीदार होते हैं जो जान बचाने के स्थान पर जान लेने पर उतारू हैं।

Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

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