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Dengue in Firozabad: फ़िरोज़ाबाद में डेंगू का कहर, सरकारी आंकड़ों में 52 की मौत, हकीकत कुछ और
फ़िरोज़ाबाद में डेंगू बुखार का कहर जारी है। जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि सरकारी आंकड़ों में अब तक 52 लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
Dengue in Firozabad: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में इस समय डेंगू बुखार का कहर जारी है। फ़िरोज़ाबाद की अगर बात की जाए तो यहां स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा चुकी है वहीं अगर स्वास्थ्य विभाग के किसी भी अधिकारी से बात की जाए तो हर कोई अपनी सेवाओं को दुरस्त बताने में जुटा हुआ है। ऐसे में जब हमारी टीम ने अपनी जांच पड़ताल की तो पता चला कि सरकारी आंकड़ों में अब तक 52 लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। कई लोग अभी भी ऐसे हैं जिन्हें ठीक से इलाज नही मिल पा रहा है। आज भी कई लोग इलाज के लिए दर दर भटक रहे हैं, और क्यों ना भटकें आखिर उनके नौनिहालों की जिंदगी और मौत का सवाल है।
फ़िरोज़ाबाद जिला अस्पताल में इस समय कई लोग अपने बच्चों को कंधों पर ले जाते दिख जाते हैं, शायद इस उम्मीद से कि किसी जिला अस्पताल में उन्हें बेहतर इलाज मिलेगा, ऐसे में कई लोगों को अभी भी इलाज नहीं मिल पा रहा है, ऐसे में पीड़ितों का आरोप है कि या तो उन्हें टेबलेट (पैरासिटामोल) दे दी जाती है और घर जाने को कह दिया जाता है या तो कहीं और दिखाने के लिए कह दिया जाता है।
क्यों प्रतिदिन मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है?
वहीं स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कई अधिकारियों ने निरीक्षण किया लेकिन कोई खामी उन्हें नजर नही आई अगर खामी नही है तो फिर क्यों उन्हें उचित इलाज नही मिल रहा। आखिर क्यों इतनी मौतें बढ़ती जा रही हैं? क्यों प्रतिदिन मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है?
जिला हॉस्पिटल से बच्चों के शव ले जाते परिजनों के विलाप, करुण क्रन्दन अब विचिलित करने लगा है, आंखों के तारे की जीवन डोर टूटते, ठीक होने की खत्म होती उम्मीद को कब होगा नया सबेरा? कब थमेगा मौतों का सिलसिला सुनी होती मां की गोद मिटते आखों के तारे अब एक ही आवाज जिंदगी किसके सहारे?
सरकारी धन की कमी नहीं, इलाज में दिन रात एक करते डॉक्टर, परेशान जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, राज्य से केंद्र के अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार, प्रदेश के नोडल अधिकारी सुधीर एम बोबडे , जिले के नॉडल अधिकारी, सीडीओ पूरी तरह समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं लेकिन इस बीमारी का इलाज क्या है? कब रुकेगा मौतों का सिलसिला कब बचेगी नौनिहालों की जिंदगी? किस पर है इसका जवाब देने की जिम्मेदारी।