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Firozabad News: बेभाव होता सब्जी का राजा आलू , रंक होता किसान, लागत के पड़े लाले
सब्जी का राजा कहा जाने वाला आलू आजकल बेभाव हो गया है जो किसानों को रंक बना रहा है भाव 250 रुपये से 450 रुपये तक बिक रहा है जिससे आलू की लागत भी नही निकल रही है।
Firozabad News: सब्जी का राजा कहा जाने वाला आलू आजकल बेभाव हो गया है जो किसानों को रंक बना रहा है भाव 250 रुपये से 450 रुपये तक बिक रहा है जिससे आलू की लागत भी नही निकल रही है। आलू की फसल में बहुत ज्याद लागत होती है। उसके बाद कोल्ड स्टोरेज का 110 रुपये का रखने का किराया। अब किसान की लागत के भी लाले पड़ गए हैं ।
किसानों की लागत न निकलने से किसान आज कल परेशान दिख रहे हैं। आलू को किसानों ने बड़ी ही लगन और मेहनत से पैदा किया था किसानों की बड़ी उम्मीद थी कि इस बार उसका आलू बड़ा महंगा बिकेगा जिससे वह नए सपने सजोये बैठा था। कोई तो सपना देख रहा था कि कार खरीदेगा। तो कोई इस पैसे से से बेटी की शादी करेगा। लेकिन बे भाव हुए आलू ने किसानों की आखों में आंसू ला दिए है। अब वो कैसे खाद बीज पानी तथा मजदूरों का खर्चा व कोल्ड में रखने का पैसा कहां से लाएगा ।
किसान बड़ी मेहनत से आलू पैदा करता है
किसान आलू बड़ी मेहनत के साथ पैदा करता है पहले खेत में जैविक खाद (घूर ) डालता है उसके बाद खेत को कई बार जुताई की जाती है जुताई के बाद काफी महंगी खाद खरीद कर खेत में डाला जाता है कीट नाशक दवा डाली जाती है। जो काफी महंगी आती है बीज भी काफी महंगा खरीद कर किसान बोता है। पूरे परिवार की आशा की किरण होता है। आलू की फसल आलू को सही भाव मिलेगा ये उम्मीद के साथ पूरा परिवार फसल की देखभाल में जुट जाता है। थोड़ा भी आलू का पौधा मुरझा जाता है तो किसान के परिवार का चेहरा अपने आप मुरझा जाता है। चिंता की लकीर चेहरे पर पूरे परिवार के होती है। हमारी फसल में ब्लाइट झुलसा जैसा रोग न आ जाये इसी चिंता के साथ काफी महंगी रोग नाशक दवा लाकर डालता है।
कोल्डस्टोरेज की फीस भी देना मुश्किल
आलू की फसल को पानी की विशेष आश्यकता होती है। जब पानी की जरूरत होती है। तब विजली की आंख मिचौली काफी परेशान करती है। दिनरात खेत पर रहकर पलेवट की जाती है। काफी मेहनत के बाद आलू की फसल तैयार होती है। फिर खुदाई में काफी खर्चा होता है। काफी लेबर लगती है। तब फसल को कोल्डस्टोरेज लाया जाता है। कोल्डस्टोरेज में आलू रख दिया जाता है। फिर इंतजार व्यापारी का आलू का सही भाव मिलेगा तब परिवार का भरण पोषण होगा। लेकिन इस वर्ष बेभाव सब्जी का राजा रंक होता किसान, उम्मीद पर पानी फिरता देख किसान आत्महत्या को मजबूर हो गया है। इस वर्ष आलू किसानों की आंखों का पानी बता रहा है कि कड़े परिश्रम के बाद भाव नही मिल रहा, आगे क्या होगा इसी उम्मीद में आलू किसान इंतज़ार में है।