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Mudiya Purnima: गुरु पूर्णिमा पर कान्हा की नगरी में मुड़िया संतो ने निकाली शोभायात्रा, देखें तस्वीरें

कलयुग में कृष्ण ही जगत के गुरु हैं इसी आस्था को मन मे लिए कान्हा की नगरी में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया।

Nitin Gautam
Report Nitin GautamPublished By Ashiki
Published on: 24 July 2021 4:39 PM IST
Mudiya Purnima
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 मुड़िया संतो ने निकाली शोभायात्रा

Guru Purnima 2021: कलयुग में कृष्ण ही जगत के गुरु हैं इसी मान्यता और आस्था को मन मे लिए शनिवार को कान्हा की नगरी में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही आस्था और भक्ति के साथ मनाया गया। बता दें कि कोरोना काल से पहले हर साल गुरु पूर्णिमा मेले में लाखों करोड़ों भक्त गोवर्धन में आया करते थे।


हालांकि पिछली साल की तरह इस बार भी कोरोना काल में कान्हा की नगरी के गोवर्धन धाम में लगने वाले गुरु पूर्णिमा मेले पर संक्रमण का असर न इसको देखते हुए इस बार भी प्रसाशन ने प्रतिबंध और मेला को निरस्त करा दिया था।


लेकिन मुड़िया शोभायात्रा निकलने की प्रसाशन ने अनुमति दे रखी है उसी अनुमति के आधार पर मुड़िया पूर्णिमा मेला निरस्त होने के बाद गुरु-शिष्य की परंपरा निभाने के लिए शुक्रवार को जहां संतों ने मुंडन कराया वहीं आज शनिवार को मुड़िया शोभायात्रा संतो के द्वारा निकाली गई।


यह यात्रा संतों ने ढोल नगाड़े बाजे गाजे के साथ निकाली। यह शोभा यात्रा चकलेश्वर के श्रीराधा-श्याम सुंदर मंदिर से शुरू हुई ओर प्रमुख मार्गों से गुजरी। इस दौरान यात्रा के साथ पुलिस बल भी मौजूद था ताकि भक्तों की भीड़ इसमें शामिल न हो सके।


आपको बता दें कि पूरे देश में मनाए जाने वाला गुरु पूर्णिमा गोवर्धन धाम में मुड़िया पूर्णिमा मेला के नाम से जाना जाता है। इस अवसर पर श्याम सुंदर दास ने बताया कि यहां सनातन गोस्वामी के 1558 में गोलोकधाम पधारने पर उनके शिष्यों ने सिर मुड़ाकर मानसी गंगा की परिक्रमा लगाई थी।


उसी परंपरा का गोवर्धन के चकलेश्वर स्थित श्रीराधा श्याम सुंदर मन्दिर के संत निर्वहन करते चले आ रहे हैं। शुक्रवार को अनुयायी भक्तों ने मंदिर में सिर मुंडन कराया है। शनिवार को मानसी गंगा में स्नान कर परंपरानुगत 463 वीं बार मुड़िया शोभायात्रा हरिनाम संकीर्तन के साथ निकाली जा रही है।


आपको बता दें कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस साल गुरु पूर्णिमा आज यानी 24 जुलाई दिन शनिवार को है। इसे व्यास पूर्णिमा इसलिए कहते हैं, क्योंकि आषाढ़ पूर्णिमा को वेद व्यास का जन्म हुआ था। इन्होंने मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान कराया था तथा सभी पुराणों की रचना की।

Ashiki

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