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Elephant Appreciation Day 2021 : एलीफैंट एप्रीसिएशन डे पर हाथियों ने 'जंबो बुफे' का जमकर लिया मजा
Elephant Appreciation Day 2021 : वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सकों और देखभाल कर्मचारियों द्वारा हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में रह रहे हाथियों के लिए एक विशेष बुफे का आयोजन किया गया।
Elephant Appreciation Day 2021 : मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा संचालित हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र (ईसीसीसी) में आजीवन देखभाल में रह रहे हाथियों के लिए, संस्था के कर्मचारियों ने एलीफैंट एप्रीसिएशन डे पर 'जंबो बुफे' का आयोजन किया।
वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सकों और देखभाल कर्मचारियों द्वारा हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में रह रहे हाथियों के लिए एक विशेष बुफे का आयोजन किया गया। जैसे ही हाथी अपनी सुबह की सैर के लिए निकले, कर्मचारियों ने हरा चारा, मक्का, तरबूज, केले, कद्दू और पपीते का एक भव्य बुफे बनाया, जिसका बाद में हाथियों ने मज़े से लुफ्त उठाया।
दो नई हथनियां नीना और एम्मा
हर साल एलीफैंट एप्रीसिऐशन डे पर वाइल्डलाइफ एसओएस स्टाफ, सेंटर में रह रहे हाथियों के लिए फल और सब्जियों का बुफे तैयार करता है, और इसे अधिक मनोरंजक बनाने के लिए नए विचारों के साथ और भी ज्यादा विकसित करने के लिए बहुत प्रयास करता है। इस साल फलों को एक के ऊपर एक रख दिया गया ताकि हाथी इस भव्य बुफे का और अधिक आनंद ले सकें !
सुबह की सैर से वापस लौटने पर, हाथी सभी स्वादिष्ट फलों को देख, मुंह में पानी लाने वाले भोजन की ओर दौड़ पड़े। यह वार्षिक जंबो दावत सेंटर में आई नयी हथनियां नीना और एम्मा के लिए एक नया अनुभव था, जिन्होंने उनके लिए की गई तैयारियों का पूरा आनंद लिया और बड़े ही चाव से फल और सब्जियां खाए। नर हाथी, सूरज और राजेश की उपस्थिति ने दावत को और भी यादगार बनाया, जो अन्य हाथियों के साथ पार्टी में शामिल हुए !
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, "हमारे हाथी हम सभी के लिए प्रेरणा स्तोत्र रहे हैं। यह साल और भी खास था, क्योकि इस साल दो नई हथनियां नीना और एम्मा हमारे साथ जुड़े। इन दोनों को ही इस साल जुलूस में उपयोग होने वाली हथनियों के रूप में बचा कर यहाँ लाया गया है। हम उन्हें वह प्यार और सराहना देने में कोई कमी नहीं रखेंगे जो लंबे समय से उन्हें नहीं मिला और जिसकी वह पूर्ण रूप से हकदार हैं।"
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, "जब हाथियों को जंगल से पकड़ कर उनके अपनों से अलग कर दिया जाता है, तो उनका शारीरिक और मानसिक रूप से इस कदर शोषण होता है, कि वे जंगल में लौटने में असमर्थ होते हैं। वाइल्डलाइफ एसओएस इन बचाए गए हाथियों को एक सुरक्षित और आनंदमय घर प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। "
भारत एशियाई हाथियों का गढ़
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा, "वाइल्डलाइफ एसओएस टीम इन हाथियों की देखभाल के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करती है। हम अपने समर्थकों के आभारी हैं, जिन्होंने हमें अपने हाथियों को आवश्यक प्यार और ध्यान देने में हर संभव प्रयास में मदद करी है।"
भारत दुनिया में एशियाई हाथियों की 50% से अधिक आबादी का घर है, जिससे भारत एशियाई हाथियों का गढ़ बन गया है। फिर भी, इन हाथियों की आबादी को विभिन्न खतरों का सामना करना पड़ रहा है जैसे कि आवास अतिक्रमण, अवैध शिकार और पर्यटन और भीख मांगने वाले उद्योगों में इस्तमाल के लिए कैद में रखना।
1995 में स्थापित वन्यजीव संरक्षण संस्था वाइल्डलाइफ एसओएस ने 2010 में हाथियों के संरक्षण पर काम करना शुरू किया। एनजीओ ने उसी वर्ष हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र की स्थापना की।
2018 में, संस्था ने हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र से सटे भारत का पहला हाथी अस्पताल परिसर भी बनाया। अत्याधुनिक पशु चिकित्सा सुविधाओं के साथ, अस्पताल वृद्ध या घायल हाथियों की देखभाल करता है। वर्तमान में केंद्र 25 से अधिक हाथियों का इलाज किया जा रहा है !