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Mathura News: साध्वी ऋतंभरा ने कल्याण सिंह को किया याद, बताया उन्हें क्यों कहा जाता था 'बाबूजी'
Mathura News: कल्याण सिंह जी को उस घटना ने अमर बना दिया । हम आज शक्तियां देखते हैं सत्ता और शक्ति के दुनिया भर के प्रपंच को देखते है लेकिन उद्दात लक्ष्य के लिए इस तरह का कार्य करना जैसे सांप केंचुली छोड़ देता है जैसे परिपक्व फल वृक्ष को छोड़ देता है ।
Mathura News: राजनीति के बाबूजी कल्याण सिंह नही रहे। कल्याण सिंह (Kalyan Singh) के साथ राम जन्मभूमि आंदोलन (Ram Janmabhoomi Movement) में अग्रणी भूमिका निभाने वाली ऋतंभरा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि कल्याण सिंह के निधन के साथ ही एक ऐसे युग की समाप्ति हुई है जो साक्षी बना उद्देश्यों के लिए सत्ता प्राप्त करना और देश के लिए सत्ता शक्ति को न्योछावर करने का साहस करने का जीवंत उदाहरण है । कल्याण सिंह को उस घटना ने अमर बना दिया ।
हम आज शक्तियां देखते हैं सत्ता और शक्ति के दुनिया भर के प्रपंच को देखते है लेकिन उद्दात लक्ष्य के लिए इस तरह का कार्य करना जैसे सांप केंचुली छोड़ देता है जैसे परिपक्व फल वृक्ष को छोड़ देता है । ऐसा त्याग ऐसी अपरिग्रहिता माननीय कल्याण सिंह जी मैं देखने को मिली श्री राम जन्म भूमि के आंदोलन में इतना साहस इतनी स्वच्छता आने वाले राजनीतिक शक्तियों को एक बहुत बड़ी प्रेरणा देती है । साध्वी ऋतंभरा (Sadhvi Ritambhara) ने कहा कि कल्याण जी का जीवन देश धर्म के लिए समाज के लिए रहा है । इसीलिए मैं सोच रही हूं कि उनका जाना है कि युग की समाप्ति है ।
कल्याण सिंह 'बाबूजी' (Kalyan Singh 'Babuji')
उधर राजनीति में कल्याण सिंह को बाबूजी कहे जाने के पीछे उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति बहुत बड़े पदों या शिखर पर चला जाता है और तब वह बहुत से लोगो से परे हो जाता है लेकिन इतनी बड़ी ऊचाईयों पर पहुंचने के बावजूद भी कल्याण सिंह एक छोटे से कार्यकर्ता की पहुंच में रहा करते थे और ऐसे ही लोगों के जुबान से ये शब्द मिलता है । कल्याण सिंह बाबूजी थे बाबूजी है और बाबूजी रहेंगे ।
साध्वी ऋतंभरा ने कल्याण सिंह के साथ अपनी सबसे महत्वपूर्ण स्मृति को याद किया और बताया कि जब मैं प्रयागराज में सभा कर रही थी तब उनकी कल्याण सिंह जी से भेंट हुई और कल्याण सिंह जी ने कहा कि साध्वी जी आपको पता नहीं है 15 सभाओं में आपका पीछा करते हुए आ रहा हूं आप आगे आगे और हम पीछे पीछे । जिस पर मैंने कहा कि हम एक लक्ष्य के राही हैं इसलिए एक दूसरे में मिले या ना मिले हमारा एक ही भाव प्रदेश है। और राम मंदिर आंदोलन के बाद मुझे राजनीति में जाना चाहिए था और मौका मिला लेकिन मैं अपने व्यवहार को जानती थी मेरा बच्चों माताओं के लिए काम करने का मेरा संकल्प था । जिस पर कल्याण सिंह ने हमें सहयोग करने का पूरा भरोसा दिया और जब हमने उनसे कहा मैं वृंदावन में माँ यशोदा के रूप में काम करना चाहती हूं तब कल्याण सिंह जी ने बड़े ही शिद्दत लगन से एकाग्रता से एकनिष्ट होकर मेरी इस वात्सल्य ग्राम की कल्पना को साकार करने के लिए परमशक्ति पीठ को सिद्ध किया । उस समय लोगो ने व्यंग भी किये लेकिन हमें इससे इनकार नही है । भाई बहन तो एक दूसरे को तोहफा देते है और जब श्रेष्ठ लोगो मे किसी चीज का आदान प्रदान होता है तो वह समाज और राष्ट्र को ही समर्पित होता है । और जब कल्याण सिंह ने पूछा कि साध्वी धन है तो मैंने कहा संकल्प है भाई साहब , और आप भी जहाँ डटे हो खड़े हो वो संकल्प के ही बल पर है संकल्प जब होता है तो सामर्थ्य व शक्ति भी आ जाती है तो इस तरह मैं उनका पुण्य स्मरण करना चाहती हु कि जब भूमि की जरूरत थी तब उन्होंने जो योगदान दिया मैं सदैव उनकी ऋणी रहूंगी । इसी योगदान के चलते लोग बाबुजी कहते थे जो इतनी ऊचाईयों पर पहुँचने के बाद व्यक्ति में कम मिलता है ।