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Mathura Vishram Ghat: यहां भाई दूज स्नान का विशेष महत्व, जानिए भाई-बहन क्यों लगाते हैं यमुना में आस्था की डुबकी

Mathura Vishram Ghat: भाई दूज के दिन बहन भाई के माथे पर टीका कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है। वहीं कान्हा की नगरी में भाई दूज पर्व का यमुना किनारे विश्राम घाट पर मनाने का पौराणिक महत्व है।

Nitin Gautam
Report Nitin GautamPublished By Shraddha
Published on: 6 Nov 2021 3:02 PM IST
मथुरा के विश्राम घाट पर भाई दूज स्नान का है विशेष महत्व
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मथुरा के विश्राम घाट पर भाई दूज स्नान का है विशेष महत्व

Mathura Vishram Ghat Mathura History: गोवर्धन पूजा के बाद आज देश मे भाई दूज पर्व (bhai dooj festival) बड़े ही धूम धाम से मनाया जा रहा है। भाई दूज के दिन बहन भाई के माथे पर टीका कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है। वहीं कान्हा की नगरी में भाई दूज पर्व का यमुना किनारे विश्राम घाट (Vishram Ghat) पर मनाने का पौराणिक महत्व है। यहां देश के कोने कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं और बड़े ही हर्षोल्लास के साथ यम द्वितीया पर्व मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो भी भाई बहन एक दूसरे का हाथ पकड़ कर यमुना में स्नान करता है उन्हें यम यानी नरक की फाँस से मुक्ति मिलती है।

यम द्वितीया पर्व को मनाने के लिए जहाँ देर रात से ही श्रद्धालु विश्राम घाट पर एकत्रित होने लगे और यमुना जी की आरती में शामिल हुए। वही भाई दूज स्नान पर्व को सकुशल व शांति पूर्वक मनाने के लिए देर रात से ही पुलिस प्रशाशन एलर्ट मोड़ पर रही। आधी रात बाद होने वाले स्नान की व्यवस्थाओं को देखने के लिए एस पी सिटी मार्तण्ड प्रकाश सिंह ने अधीनस्थों के साथ घाट व पॉइंट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को चेक कर व्यवस्थाओं को मुस्तैदी से पूरा करने के निर्देश दिए।

भाई बहन क्यों लगाते हैं यमुना में आस्था की डुबकी

क्या है यम दुतिया

आज के दिन यहाँ पर देश के कोने कोने से भाई बहन पहुँचते हैं और यमुना में हाथ पकड़ कर डुबकी लगाते हैं । बहने भाई को अरक देती है और उनके माथे पर लंबी उम्र का टीका लगाती हैं और मीठा खिला खुशहाली की कामना करती है। भाई बहन के पैर छूते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। भाई भी बहन को दक्षिणा देते हैं और उनके सम्मान की रक्षा का वचन देते है। इसके बाद भाई बहन विश्राम घाट पर ही मौजूद यमराज और यमुना के मंदिर में जाते है और बहने यमुना महारानी को सोलह श्रृंगार के साथ भोग अर्पित करती हैं और भाई को यम की फाँस से मुक्ति दिलाने की कामना करती हैं।

भाई दूज पर्व का यमुना किनारे विश्राम घाट पर मनाने का पौराणिक महत्व

यमराज मौत के देवता है और यमुना उनकी बहन। मृत्यु के देवता के भय से मुक्ति के लिए आज सनातन धर्मी यमुना में स्नान कर यमराज के त्रास से मुक्ति की कामना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि यमराज सूर्य पुत्री यमुना के भाई हैं। आज के दिन यमराज अपनी बहन के घर आते हैं। जहां पर बहन उनका स्वागत करती हैं साथ ही खाना खिलाती हैं। बहन के सत्कार और प्रेम से अभिभूत होकर भाई यमराज उनसे वर मांगने को कहते हैं। यमुना अपने भाई से यह मांगती हैं कि जो भी मेरा आचमन करे उसे मुक्ति मिल जाये। बहन की माँग को देख यमराज ने बहन से कहा कि इससे उसका कार्य ही समाप्त हो जाएगा। जिस दिन यमराज बहन के यहाँ से विदा हो रहे थे उस दिन भाई दूज का ही दिन था इसलिए फिर यमुना ने कहा कि भाई दूज के दिन जो भी भाई बहन हाथ पकड़ कर यमुना का आचमन कर स्नान करेंगे उन्हें यम फाँस से मुक्ति मिले। इसी मान्यता के चलते आज हजारों की संख्या में यमुना के विश्राम घाट पर भाई बहन ने बड़ी संख्या में स्नान करते हैं।

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