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UP के एक गांव ने किया फैसला, मोबाइल पर तलाक दिया तो सामाजिक बहिष्कार

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Published on: 15 Oct 2016 10:12 PM GMT
UP के एक गांव ने किया फैसला, मोबाइल पर तलाक दिया तो सामाजिक बहिष्कार
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मुजफ्फरनगरः बेटी होने पर पत्नी को मोबाइल से तलाक देने के मामले में चरथावल के न्यामू गांव के मुस्लिमों ने शनिवार को पहल की है। उन्होंने पंचायत कर इस तरह तलाक देने वालों के परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का फैसला किया है। पंचायत का कहना था कि शरीयत के हिसाब से तो तलाक जायज है, लेकिन मोबाइल के जरिए तलाक देना बिल्कुल गलत है।

वहीं, लड़के के घरवालों का कहना है कि मोबाइल पर तलाक इसलिए दिया क्योंकि पति सऊदी अरब में है। मामला पैसों के लेन-देन का है। उनका कहना है कि बेटी होने की वजह से तलाक नहीं दिया। बेटी तो 11 महीने की हो गई। अगर वजह यही थी तो उसके पैदा होते ही युवक अपनी बीवी को तलाक देता।

पंचायत पीड़ित युवती (बाएं) और तलाक देने वाले की फाइल फोटो

क्या है मामला?

न्यामू गांव के गरीब किसान ताहिर की बेटी को उसके पति शाहनवाज ने मोबाइल पर तीन बार तलाक कह दिया। वह सऊदी अरब में रहता है। बेटी पैदा होने की सजा उसने अपनी पत्नी को तलाक के रूप में दी। गांव के लोग इस मामले में अपने गांव की बेटी के साथ खड़े हो गए हैं। बुजुर्गों और युवाओं ने पंचायत में एक सुर से कहा कि मोबाइल के जरिए तलाक गलत है और तलाक देने वाले के परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। वहीं, शाहनवाज के भाई शाहनजर ने पैसे के लेन-देन को लेकर तलाक दिए जाने की बात कही। बता दें कि युवती की शादी दो साल पहले शाहनवाज से हुई थी।

पीड़ित का क्या है कहना?

पीड़ित युवती के मुताबिक बेटी पैदा होने के बाद ससुराल के लोग उससे मारपीट करते थे। उसका आरोप है कि एक दिन सास ने सोते वक्त उसे आग के हवाले करने के लिए केरोसीन भी डाल दिया था। बुखार होने पर मायके भेज दिया। फिर उसका पति सऊदी अरब चला गया और 16 दिन पहले मोबाइल पर तीन बार तलाक बोल दिया। युवती के पिता ताहिर का आरोप है कि बेटी के ससुराल वाले मारुति डिजायर की मांग कर रहे थे।

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