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Mayawati: मायावती को सपा से जान का खतरा! योगी सरकार से दफ्तर के लिए मांगी सुरक्षित जगह

Mayawati: मायावती ने योगी सरकार से लखनऊ में अपनी पार्टी के दफ्तर के लिए सुरक्षित जगह की मांग की है। उन्होंने बसपा के प्रदेश दफ्तर पर सपा द्वारा हमला कराने की आशंका जताई है।

Krishna Chaudhary
Published on: 8 Jan 2024 11:57 AM IST (Updated on: 8 Jan 2024 1:14 PM IST)
Mayawati and Akhilesh Yadav (Photo:Social Media)
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Mayawati and Akhilesh Yadav (Photo:Social Media)

Mayawati: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच लड़ाई तेज हो गई है। दोनों पार्टी के शीर्ष नेता के द्वारा एक-दूसरे पर जमकर शब्दों के तीर छोड़े जा रहे हैं। इस जंग का आगाज सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पिछले दिनों बलिया में किया। जब उन्होंने बसपा के इंडिया गठबंधन में शामिल होने से जुड़े एक सवाल के जवाब में मायावती की सियासी विश्वसनीयता पर ही सवाल उठा दिया। इसका बाद बसपा प्रमुख की ओर से इस पर जोरदार पलटवार आया।

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आज एकबार फिर समाजवादी पार्टी पर करारा हमला बोला है। उन्होंने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र कर सपा को दलित विरोधी बताया। इतना ही नहीं उन्होंने योगी सरकार से राजधानी लखनऊ में अपनी पार्टी के दफ्तर के लिए सुरक्षित जगह की मांग भी की है। मायावती ने बसपा के प्रदेश दफ्तर पर सपा द्वारा हमला कराने की आशंका जताई है।

सपा का दलित विरोधी एजेंडा आया सामने

बसपा प्रमुख मायावती ने एक्स पर एक के बाद एक कई ट्वीट कर समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया अखिलेश यादव पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है, हालाँकि बीएसपी ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेण्डे पर आ गई।

गेस्ट हाउस कांड का किया जिक्र

इसके आगे उन्होंने कहा, ‘और अब सपा मुखिया जिससे भी गठबन्धन की बात करते हैं उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है, जिसे मीडिया भी खूब प्रचारित करता है। वैसे भी सपा के 2 जून 1995 सहित घिनौने कृत्यों को देखते हुए व इनकी सरकार के दौरान जिस प्रकार से अनेकों दलित-विरोधी फैसले लिये गये हैं।‘

जिनमें बीएसपी यूपी स्टेटआफिस के पास ऊँचा पुल बनाने का कृत्य भी है जहाँ से षड्यन्त्रकारी अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों व राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुँचा सकते हैं जिसकी वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहाँ से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर शिफ्ट करना पड़ा।

योगी सरकार से दफ्तर के लिए मांगी सुरक्षित जगह

मायावती ने बसपा के स्टेट दफ्तर पर सपा द्वारा हमला कराए जाने की आशंका व्यक्त की है। उन्होंने इस संबंध में एक्स पर पोस्ट कर कहा कि असुरक्षा को देखते हुए सुरक्षा सुझाव पर पार्टी प्रमुख को अब पार्टी की अधिकतर बैठकें अपने निवास पर करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि पार्टी दफ्तर में होने वाली बड़ी बैठकों में पार्टी प्रमुख के पहुँचने पर वहाँ पुल पर सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती करनी पड़ती है। ऐसे हालात में बीएसपी यूपी सरकार से वर्तमान पार्टी प्रदेश कार्यालय के स्थान पर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर व्यवस्था करने का भी विशेष अनुरोध करती है, वरना फिर यहां कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। साथ ही, दलित-विरोधी तत्वों से भी सरकार सख़्ती से निपटे, पार्टी की यह भी मांग है।

कहां से शुरू हुआ पूरा मामला ?

2019 के आम चुनाव में बड़े उत्साह के साथ मायावती के साथ गठबंधन करने वाले अखिलेश यादव को मुंह की खानी पड़ी थी। बसपा की तो सीटें बढ़ गईं लेकिन सपा वहीं के वहीं रही। इसके बाद मायावती ने गठबंधन भी तोड़ दिया। तब से अखिलेश यादव मायावती के साथ किसी भी प्रकार के अलायंस के विरोध में हैं। वे इंडिया गठंबधन में भी मायावती की एंट्री नहीं चाहते। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि 2024 के चुनाव के बाद मायावती क्या करेंगी, इसका कोई भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर वह आती हैं तो कौन भरोसा दिलाएगा कि चुनाव बाद भी वह हमारे साथ ही रहेंगी।

इस पर बसपा सुप्रीमो ने पलटवार करते हुए कहा था कि अपनी व अपनी सरकार की ख़ासकर दलित-विरोधी रही आदतों, नीतियों एवं कार्यशैली आदि से मजबूर सपा प्रमुख द्वारा बीएसपी पर अनर्गल तंज़ कसने से पहले उन्हें अपने गिरेबान में भी झांककर जरूर देख लेना चाहिए कि उनका दामन भाजपा को बढ़ाने व उनसे मेलजोल के मामले में कितना दाग़दार है।

तत्कालीन सपा प्रमुख द्वारा भाजपा को संसदीय चुनाव जीतने से पहले व उपरान्त आर्शीवाद दिए जाने को कौन भुला सकता है। और फिर भाजपा सरकार बनने पर उनके नेतृत्व से सपा नेतृत्व का मिलना-जुलना जनता कैसे भूला सकती है। ऐसे में सपा साम्प्रदायिक ताकतों से लड़े तो यह उचित होगा।



Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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