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मायावती का सपा पर वार, कहा- बड़े दलों ने किया किनारा, छोटे दलों के साथ जाना उनकी 'महालाचारी'

मायावती ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा कि सपा से बड़ी पार्टियों ने किनारा कर लिया है, छोटे दलों से गठबंधन करना उनकी महालाचारी है।

Rahul Singh Rajpoot
Written By Rahul Singh RajpootNewstrack Network
Published on: 2 July 2021 8:24 AM GMT
मायावती का अखिलेश पर वार, कहा- सपा से बड़े दलों ने किया किनारा, छोटे दलों के साथ जाना ‘महालाचारी’
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मायावती, अखिलेश यादव, फाइल फोटो

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हैं, बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती (Mayawati) भी आगामी चुनाव को लेकर सक्रिय हो गई हैं। उन्होंने ये पहले ही एलान कर दिया है कि 2022 के चुनाव में वह किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी बल्कि बीएसपी अकेले दम पर चुनाव मैदान में उतरेगी। मायावती चुनाव तैयारियों को लेकर जहां लगातार बैठकें कर रही हैं तो वहीं उनके निशाने पर समाजवादी पार्टी (samajwadi party) भी है। मायवती ने सपा को एक बार फिर आड़े हाथों लिया है।

बीएसपी सुप्रीमो ने आज (शुक्रवार) को एक बार फिर ट्वीट कर समाजवादी पार्टी को निशाने पर लिया। मायावीत ने ट्वीट कर कहा 'समाजवादी पार्टी की सोच स्वार्थी एवं दलित विरोधी है। जिसका नतीजा है कि सभी प्रमुख पार्टियां समाजवादी से किनारा कर रही हैं। जिसके बाद अब सपा सिर्फ छोटी पार्टियों के सहारे है। बसपा सुप्रीमो ने छोटे दलों के साथ गठबंधन को सपा की लाचारी बताई'।

मायावती ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा 'सपा को सिर्फ छोटी पार्टियों का ही सहारा है। जिसके चलते वह आगामी चुनाव छोटी पार्टियों के सहारे ही लड़ेगी। ऐसा करना और कहना सपा की महालाचारी है। बता दें इससे पहले भी मायावती अपने पार्टी के बागी विधायकों के सपा में शामिल होने की खबरों के बीच हमला बोला था।

2019 के लोकसभा चुनाव में किया था सपा से गठबंधन

गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के आगे बीएसपी उत्तर प्रदेश में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने जहां अपनी सत्ता गवां दी तो मायावती की पार्टी भी कुछ खास नहीं कर सकी और वह तीसरे नंबर पर रही। इसके बाद अखिलेश यादव ने पुरानी दुश्मनी को भुलाकर मायावती से अपने रिश्ते मजबूत करने शुरू कर दिए। कई मौकों पर वह मायावती से मिले और 2019 का लोकसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने मिलकर साथ लड़ा। ये गठबंधन भी कुछ कमाल नहीं दिखा पाये जैसा कि तमाम दिग्गज अंदाजा लगा रहे थे। इसमें सपा का काफी नुकसान हुआ और मायावती शून्य से सीधे 10 पर पहुंच गईं। अखिलेश यादव सिर्फ अपने परिवार की 5 सीटें ही जीत सके। जिसमें डिंपल यादव कन्नौज से दुबारा हार गईं।

बीजेपी से मायावती की नजदीकियां

सपा से गठबंधन तोड़ने के बाद मायावती बीजेपी के प्रति नरम रुख अपना लिया और अक्सर बीजेपी के सपोर्ट में खड़े देखा गया। लगता तो ऐसा ही है जैसे मायावती के शब्द भले अलग हों, लेकिन उनके स्टैंड खुल कर बीजेपी के एजेंडे के सपोर्ट में हो गया है।

Rahul Singh Rajpoot

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