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Ambedkar Smarak: मायावती ने लखनऊ को दी बाबा साहेब की पहचान, राष्ट्रपति ने बढ़ाया आगे

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर स्मृति स्मारक का शिलान्यास किया। इससे पहले मायावती ने लखनऊ में अंबेडकर स्मारक पार्क का निर्माण कराया था।

Rahul Singh Rajpoot
Written By Rahul Singh RajpootNewstrack Network
Published on: 29 Jun 2021 5:04 PM IST (Updated on: 29 Jun 2021 5:05 PM IST)
Ambedkar Smarak: मायावती ने लखनऊ को दी बाबा साहेब की पहचान, राष्ट्रपति ने बढ़ाया आगे
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अंबेडकर स्मृति स्थल का शिलान्यास करते राष्ट्रपति, व मायावती फाइल फोटो

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां अपना ट्रंप कार्ड खेलना शुरू कर दिया है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी भी मतदाताओं को लुभाने के लिए भरसक कोशिशों में लगी है। इसी क्रम में योगी सरकार दलितों को रिझाने के लिए लखनऊ के ऐशबाग में करीब 50 करोड़ रुपये की लागत से डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र स्थापित करने जा रही है। इस स्मारक में बाबा साहेब की 25 फुट ऊंची प्रतिमा लगाई जाएगी। जिसका शिलान्यास महामहिम रामनाथ कोविंद ने किया।

शिलान्यास समारोह में राष्ट्रपति को स्मृति चिन्ह प्रदान करते सीएम योगी

इससे पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने मुख्यमंत्री रहते लखनऊ से लेकर नोएडा तक अंबेडकर पार्क और स्मारक का निर्माण करा चुकी हैं। जो दलितों के लिए प्रेरणा स्थल के लिए जाना जाता है। आइए आपको बताते हैं लखनऊ का अंबेडकर स्मारक पार्क के बारे में कैसा है ये पार्क और क्यों दलितों के लिए है खास?

अंबेडकर स्मारक पार्क की नींव और निर्माण


1995 में रखी गई थी नींव

मायावती जब पहली बार 1995 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं थीं तब उन्होंने इस इस पार्क की नींव रखी थी। इससे पहले पार्क का नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर उद्यान रखा गया था। 2002 में इसका नाम बदलकर डॉ. भीमराव अम्बेडकर मेमोरियल कर दिया गया और विकास कार्य 2002-03 तक जारी रहा। 2007 में पार्क में और नवीनीकरण और विकास हुआ। इसे शुरू में मुख्यमंत्री मायावती द्वारा 14 अप्रैल 2008 को जनता के लिए खोल दिया गया था।

डॉ भीमराव अंबेडकर को नमन करतीं मायावती, फाइल फोटो

ये पार्क डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को समर्पित है और स्मृति चिन्ह के रूप में पार्क के अंदर उनकी प्रतिमा भी लगाई गई है। यह पार्क करीब 107 एकड़ में फैला हुआ है। दलित समुदाय भी इसे अपने उत्थान का प्रतीक मानता है। इस पार्क में हर वर्ष 14 अप्रैल को यहां अम्बेडकर जयंती काफी धूमधाम से मनाई जाती है।

अंबेडकर स्मारक पार्क में लगी बाबा साहेब की प्रतिमा, सोशल मीडिया

लगभग 700 करोड़ रुपये हुए थे खर्च

भीमराव अंबेडकर मेमोरियल पार्क का निर्माण बलुआ पत्थर से किया गया है। जोकि राजस्थान से मंगवाए गए थे। इस पार्क को बनाने में कुल करीब 700 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इस पार्क में आप अन्यों पार्कों की तरह पेड़ पौधे नहीं बल्कि कई कलाकृतियों और स्मारकोण को देख सकते हैं। इस पार्क में सामाजिक परिवर्तन स्तम्भ पार्क के अंदर बाईं ओर एक ऊंचा स्तंभ देखा जा सकता है जोकि अशोक चक्र से मिलता-जुलता एक चक्र और उसके चारों और हाथी बने है। स्तंभ एक चबूतरे पर बना हुआ है और बहुत ऊंचा और बड़ा है।

अंबेडकर स्मारक पार्क

पार्क के अंदर बने हैं स्तूप

अम्बेडकर स्तूप पार्क के अंदर एक स्तूप मौजूद है, जोकि गुंबद के आकार में बने हुए दो स्तूप हैं, दोनों स्तूप ऊंचाई पर बने है और अंदर से आपस में जुड़े हुए है। स्तूप तक जाने के लिए सीढ़ियां भी बनी हैं और इस मार्ग के किनारे पत्थर के कुछ छोटे हाथी बने हुए है। मार्ग के आस-पास की फोटो खींचते हुए हम स्तूप की ओर बढ़ते रहे, स्तूप के सामने एक बगीचा भी है जिसमें सफेद संगमरमर के गोल छोटे-2 पत्थर रखे हुए है।


स्तूप के अंदर लगी हैं प्रतिमाएं

अम्बेडकर पार्क के अंदर जो स्तूप बने हैं उसके अंदर जाने का एक विशाल द्वार है, स्तूप के अंदर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, छत्रपति साहूजी महाराज, ज्योतिबा फूले, काशीराम, और मायावती की प्रतिमाएं लगी हैं। अधिकतर प्रतिमाएं सफेद पत्थर की बनी है और प्रतिमाओं के नीचे ही व्यक्तिगत जानकारी भी दी गई है।

सबसे आकर्षित करते हैं हाथी

अम्बेडकर पार्क के अंतिम छोर में हाथियों की विशाल प्रतिमा लगाई गई है, जो इस पार्क में सबसे ज्यादा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। स्मारक के अंदर पत्थर से बने हुए दर्जनों हाथी हैं, जिसमें विशाल हाथी के 48 मूर्तियां लगी हैं, जो एक लाइन से आमने-सामने लगाए गए हैं। पार्क में मौजूद एक हाथी की कीमत 40 लाख रुपये बताई जाती है। अंबेडकर स्मारक में कुल 78 हाथी लगाए गए हैं, जिस पर अनुमानित करीब 36 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।


लगभग 51 लाख पर्यटक अब तक कर चुके हैं सैर

अंबेडकर में आने वाले पर्यटकों की करें तो सन 2011 से लेकर 17 अप्रैल 2021 तक लगभग 51 लाख लोग इस पार्क को देखने आए हैं। जिससे इसकी भव्यता और आकर्षण का अंदाजा लगाया जा सकता है।

पार्क में मौजूद पर्यटक, फाइल फोटो

पार्कों की देखरेख के लिए सुरक्षा दल गठित

2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) ने भी लखनऊ और नोएडा में अपने स्मारकों और मूर्तियों के लिए सुरक्षा दल गठित किया था। बसपा शासन में पत्थरों के बने हाथी और प्रतिमाओं की देखभाल के लिए अलग सुरक्षा वाहिनी का गठन किया गया था, जिस राज्य विशेष परिक्षेत्र सुरक्षा बल नाम से जाना जाता है। इस दल में शामिल हर एक सदस्य के पास इस बात का अधिकार था कि स्मारक को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति को वे बिना वारंट के मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार गिरफ्तार कर सकते थे। फोर्स के गठन में तकरीबन 53 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। जिन स्मारकों के लिए बसपा शासनकाल में सुरक्षा दल गठित किया दया था वह अंबेडकर स्थल, कांशीराम स्मारक, रमाबाई अंबेडकर मैदान, स्मृति उपवन और बुद्ध विहार शामिल है।




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