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पूर्वांचल में बसपा की भाईचारा रैली, ब्राह्मणों से कहा- सम्मान पाना है तो पार्टी से जुड़ें
पूर्वांचल में दलित-ब्राह्मण भाईचारे को मजबूत करने की जिम्मेदारी पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र पर है। मिश्र को 32 जनसभाएं करनी हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में 9 सीटों में से बसपा ने 4 सीटों पर विजय दर्ज की थी। योगी का गढ़ समझे जाने वाले गोरखपुर में बीजेपी दूसरे नंबर पर थी। उसके 3 प्रत्याशी जीते थे
गोरखपुर: बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र ने कहा है कि ब्राह्मण समाज को सम्मान पाने के लिए बसपा के साथ जुड़ना होगा। गोरखपुर के खजनी में मिश्र ने कहा कि प्रदेश के 14 प्रतिशत ब्राहमण अकेले सरकार नहीं बना सकते। उन्हें 24 प्रतिशत दलितों के साथ सत्ता में भागीदारी हासिल करनी होगी। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि 2007 में ब्राह्मण-दलित समीकरण के कारण ही उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समाज को सत्ता में बड़ी हिस्सेदारी मिली थी।
बसपा की सोशल इंजीनियरिंग
-2017 के चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी ने सुरक्षित विधानसभा सीटों पर पुराने सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले को ही आजमाने की रणनीति बनाई है।
-पार्टी ने एक बार फिर ब्राह्मण-दलित समीकरण को मजबूत करने के लिए गोरखपुर के खजनी में रविवार को भाईचारा रैली रैली की।
-इसकी अगुवाई पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र ने की। रैली में करीब 10 हजार लोग जुटे।
-पूर्वांचल में दलित-ब्राह्मण भाईचारे को मजबूत करने की जिम्मेदारी पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र पर है। मिश्र को 32 जनसभाएं करनी हैं।
-सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि 2002 के चुनाव में बसपा को आरक्षित सीटों पर महज 16 सीटें मिली थीं। लेकिन 2007 में ब्राह्मणों के सहयोग से ये सीटें बड़ कर 62 तक पहुंच गईं।
-बसपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि ब्राहमणों को सम्मान केवल बसपा में ही मिलता है। 2007 में भी पार्टी सुप्रीमो मायावती ने ब्राह्मणों को दूसरे दलों से ज्यादा मंत्रीपद दिए।
-ब्राह्मणों के सहयोग से बनी 2007 की सरकार में मुख्यमंत्री मायावती ने प्रदेश के बड़े पदों पर ब्राह्मणों को जगह दी।
-रैली में बोलते हुए पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र की कुछ देर के लिए तबीयत बिगड़ गई, लेकिन वह फिर माइक पर वापस आ गए।
अहम है क्षेत्र
-2012 के विधानसभा चुनाव में 9 सीटों में से बसपा ने 4 सीटों पर विजय दर्ज की थी।
-योगी का गढ़ समझे जाने वाले गोरखपुर में बीजेपी दूसरे नंबर पर थी। उसके 3 प्रत्याशी जीते थे।
-सपा की लहर होने के बावजूद पार्टी महज पिपराइच विधानसभा सीट ही जीत सकी थी।
-जबकि, कंपियरगंज विधानसभा सीट से एक निर्दलीय प्रत्याशी की विजय हुई थी।
इन्हें मिली थी जीत
-चिल्लूपार से बसपा के टिकट से राजेश त्रिपाठी ने 2012 के विधानसभा चुनाव में विजय हासिल की थी।
-चौरीचौरा विधानसभा सीट से जय प्रकाश निषाद विजयी रहे थे।
-सहजनवा सीट पर बसपा के बृजेश सिंह ने जीत दर्ज की थी।
-बांसगांव विधानसभा क्षेत्र से 2012 में बसपा के प्रत्याशी डॉक्टर विजय ने विजय प्राप्त की थी।
-पिछले चुनाव नतीजों को देखते हुए बसपा के लिए गोरखपुर बेहद अहम है।
-पार्टी ने अपनी सीटें बचाए रखने और नए क्षेत्रों में आधार मजबूत करने के लिए सवर्णों पर दांव खेला है।
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