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UP News: सरकारी कर्मियों को संघ के कार्यक्रम में शामिल होने की छूट पर भड़कीं मायावती, फैसला तुरंत वापस लेने की मांग

UP News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इंदिरा गांधी के शासन के दौरान लगाए गए इस प्रतिबंध को 9 जुलाई को एक आदेश जारी करके हटा दिया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 22 July 2024 1:08 PM IST
Mayawati
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Mayawati  (photo: social media ) 

UP News: केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। पिछले 58 वर्षों से यह प्रतिबंध लगा हुआ था जिसे हटाने का अब बड़ा फैसला लिया गया है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है।

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को राजनीतिक पार्टी बताते हुए कहा कि संघ और भाजपा के बीच पैदा हुई तल्खी को दूर करने के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

भाजपा से संघ की तल्खी दूर करने की कोशिश

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की ओर से 30 नवंबर 1966 को सरकारी कर्मचारियों के संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इंदिरा गांधी के शासन के दौरान लगाए गए इस प्रतिबंध को 9 जुलाई को एक आदेश जारी करके हटा दिया है। मोदी सरकार के इस कदम पर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है जिसमें अब बसपा मुखिया मायावती भी कूद पड़ी हैं।

मायावती ने सोमवार को एक्स पर दो पोस्ट के जरिए केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के संघ की शाखाओं में जाने पर 58 साल से प्रतिबंध लगा था। अब इस प्रतिबंध को हटाने का केंद्र सरकार का फैसला देश हित से परे है।

उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह राजनीति और तुष्टीकरण से प्रेरित है। सरकारी नीतियों और भाजपा के अहंकारी रवैए के कारण लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और संघ के बीच तल्खी पैदा हो गई थी। इस तल्खी को दूर करने के लिए ही केंद्र सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है।

संघ की गतिविधियां पूरी तरह राजनीतिक

बसपा मुखिया ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को संविधान और कानून के दायरे में रहकर काम करना चाहिए। उन्हें पूरी निष्पक्षता के साथ जनकल्याण से जुड़े कामों में जुटना चाहिए। कई बार प्रतिबंधित रह चुके संघ की गतिविधियां पूरी तरह राजनीतिक हैं। यह संगठन चुनाव के दौरान पार्टी विशेष के लिए काम करता रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार का यह फैसला पूरी तरह अनुचित है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

कांग्रेस ने भी केंद्र के फैसले पर उठाए सवाल

कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सरकार की ओर से जारी आदेश के साथ आलोचना करते हुए कहा कि सरदार पटेल ने महात्मा गांधी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि इसके बाद संघ की ओर से अच्छे व्यवहार के आश्वासन पर प्रतिबंध हटा लिया गया। इसके बाद भी आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया।

1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह सही निर्णय भी था। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भी यह प्रतिबंध लागू था। उन्होंने कहा कि 4 जून को घोषित चुनाव नतीजे के बाद प्रधानमंत्री मोदी और संघ के बीच तल्खी पैदा हुई है। रमेश ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से यह प्रतिबंध हटाए जाने के बाद सरकारी कर्मचारी हाफ पैंट में नजर आ सकते हैं।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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