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Umesh Pal Murder Case: जेल में बंद अतीक अहमद ने अपने दुश्मन को निपटाया, जानें राजूपाल हत्याकांड के बारे में सब कुछ

Umesh Pal Murder Case: उमेल पाल जब इससे बचने के लिए घर की ओर भागे तो उनपर बम से हमला किया गया। इस पूरी घटना में पाल के दो अंगरक्षक संदीप मिश्रा और राघवेंद्र सिंह भी गंभीर रूप से जख्मी हो गए।

Krishna Chaudhary
Published on: 25 Feb 2023 3:26 AM GMT (Updated on: 25 Feb 2023 3:47 AM GMT)
Umesh Pal Murder Case
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Umesh Pal Murder Case (Pic: Social Media)

Umesh Pal Murder Case: बसपा विधायक रहे राजूपाल हत्याकांड के एकमात्र मुख्य गवाह उमेश पाल की शुक्रवार को दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। पाल जब इस मामले में चल रही सुनवाई में हिस्सा लेकर कोर्ट से वापस घर जा रहे थे, तभी उनकी हत्या कर दी गई। प्रयागराज पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के हवाला देते हुए बताया कि हमलावर कोर्ट से ही उमेश पाल के पीछे लग गए थे। पाल जैसे ही कार से उतरे 4-5 हमलावरों ने उनपर गोलियां बरसानी शुरू कर दी।

उमेल पाल जब इससे बचने के लिए घर को ओर भागे तो उनपर बम से हमला किया गया। इस पूरी घटना में पाल के दो अंगरक्षक संदीप मिश्रा और राघवेंद्र सिंह भी गंभीर रूप से जख्मी हो गए। हालांकि, पहले ये सूचना आई थी कि गनर संदीप मिश्रा की भी मौत हो गई है। लेकिन फिलहाल वो वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। हमले को देखकर साफ लगता है कि इसे पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया गया है।

गुजरात के साबरमती जेल में बंद माफिया डॉन अतीक अहमद ने जिस तरह विधायक राजूपाल की हत्या करवाई, कुछ उसी अंदाज में इस केस के मुख्य गवाह उमेश पाल को भी रास्ते से हटा दिया। उमेश पाल के वकील का कहना था कि केस में फाइनल बहस चल रही थी। कुछ दिनों में इस मामले में कोर्ट का फैसला आना था लेकिन उससे पहले ही इस घटना को अंजाम दिया गया। उमेश पाल हत्याकांड ने प्रयागराज के लोगों को 18 साल पुराने उस हत्याकांड की याद दिला दी है, जब एक सीटिंग एमएलए को दिनदहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया गया था। तो आइए एक नजर राजूपाल हत्याकांड पर डालते हैं।

चुनाव में हार और फिर कत्ल की साजिश

प्रयागराज इलाके में बाहुबली और माफिया अतीक अहमद की एक जमान में कितनी तूती बोलती थी, ये किसी से छिपी नहीं है। सांसद, विधायक रह चुका अतीक का इस इलाके में दबदबा था। 2004 में उसने फूलपुर से सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में प्रवेश कर लिया था। अतीक उस दौरान इलाहाबाद पश्चिम सीट से विधायक हुआ करते थे, लिहाजा सांसद बनने के बाद उन्हें विधायकी छोड़नी पड़ी।

इलाहाबाद पश्चिम सीट पर हुए उपचुनाव में अतीक ने सपा के टिकट पर अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को उतारा। जबकि बसपा ने राजूपाल जो कि कभी माफिया अतीक का करीबी हुआ करता था। उपचुनाव में पाल ने अतीक के भाई को हरा दिया। भाई के हार से बौखलाए अतीक ने राजूपाल के कत्ल की साजिश रचनी शुरू कर दी। 25 जनवरी 2005 को विधायक राजूपाल दोपहर 3 बजे एसआरएन अस्पताल से निकले। उनके काफिले में दो गाड़ियां क्वालिस और स्कॉर्पियो थी। पाल काफिले की क्वालिस खुद ड्राइव कर रहे थे।

काफिला सुलेमसराय के जीटी रोड पर पहुंचा था तभी बगल से तेज रफ्तार में आ रही स्कॉर्पियो ने पाल की गाड़ी को ओवरटेक किया। बसपा विधायक कुछ समझ पाते इससे पहले उनकी गाड़ी की कांच को तोड़ते हुए एक बुलेट उनके सीने में आ धंसी। इसके बाद पांच हमलवार गाड़ी से उतरे और ताबड़तोड़ गोली बरसानी शुरू कर दी।

शरीर से निकली थी 19 गोलियां

बताया जाता है कि हमलावर तब तक बसपा विधायक की गाड़ी पर गोलियां बरसाते जब तक कि उनके बंदूक की गोलियां खत्म नहीं हो गई। राजूपाल के दम तोड़ने के बाद सभी हमलावर मौके से भागे। वहीं, दूसरी तरफ दिनदहाड़े गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा इलाका कांप उठा। पूरा अटैक किसी एक्शन मूवी की तरह अंजाम दिया गया था। काफिले की दोनों गाड़ियां बुलेट से छलनी हो गई थी और अंदर केवल खून ही खून था।

आननफानन में धूमनगंज पुलिस मौके पर पहुंची और विधायक को टैक्सी से अस्पताल ले जाया गया। विधायक को देखते ही डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। पोस्टमार्टम के दौरान उनके शरीर से 19 गोलियां निकली। इस हमले में बसपा विधायक के सहयोगी संदीप यादव और देवीलाल की भी मौके पर मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, आबिद, फहरान, गुफरान और रंजीत पाल के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया।

उमेश पाल की अतीक गैंग से अदावत शुरू

बसपा विधायक राजूपाल हत्याकांड मामले में उमेश पाल मुख्य गवाब बना। उमेश राजूपाल की पत्नी पूजा पाल के सगी बुआ का बेटा था। उमेश के गवाह बनते ही वह अतीक गैंग के हिट लिस्ट में आ गया। माफिया अतीक अहमद के गैंग ने उमेश पाल को डरा-धमाकर पीछे हटने के लिए मजबूर करने की कई कोशिशें की लेकिन हर बार वे असफल रहे। पाल पर कई बार जानलेवा हमले भी कराए गए।

28 फरवरी 2008 को अतीक गैंग के लोगों ने उमेश पाल का अपहरण कर लिया था। उनके साथ मारपीट की गई, धमकी दी गई। बाद में पुलिस के दवाब में उन्हें छोड़ दिया गया। इसके बाद उमेश ने फूलपुर में अतीक, अशरफ समेत गिरोह के कई लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 11 जुलाई 2016 को एकबार फिर अतीक के गुर्गों ने उनपर कचहरी में ही जानलेवा हमला कर दिया था। लेकिन वे किसी तरह बच निकले। इस मामले में भी उन्होंने अतीक, अशरफ समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। धमकी और हमलों से जब काम नहीं चला तब उमेश पाल को फर्जी मुकदमे में फंसाने की साजिश रची गई।

2016 में उन्हें धूमनगंज के जीतेंद्र पटेल हत्याकांड में नामजद करवा दिया। हालाकिं, जांच के बाद उन्हें बरी कर दिया गया था। पिछले साल यानी 2022 में भी उन्हें अतीक के लोगों से जान से मारने की धमकी दी थी। उमेश पाल पर लगातार हो रहे हमलों को देखते हुए उन्हें दो गनर मुहैया कराए गए थे लेकिन फिर भी उन्हें नहीं बचाया जा सका।

पत्नी संभाल रहीं सियासी विरासत

बसपा विधायक राजूपाल ने विधायक बनने के तीन महीने बाद 15 जनवरी 2005 को पूजा पाल से विवाह किया था। लेकिन विवाह के 9 दिन बाद ही उनकी हत्या कर दी गई। पूजा पाल के हाथों की मेंहदी ठीक से सूखी भी नहीं थी कि वो विधवा बन गईं। इसके बाद इलाहाबाद पश्चिम में एकबार फिर उपचुनाव कराने की नौबत आई। बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजूपाल की विधवा पूजा पाल को अपना प्रत्याशी बनाया। वहीं सपा के टिकट पर एकबार फिर बाहुबली अतीक के भाई अशरफ मैदान में उतरे।

लोगों के सहानुभूति होने के बावजूद पूजा चुनाव जीत नहीं सकीं। अशरफ इस बार चुनाव जीतने में कामयाब रहा। दो साल बाद विधानसभा चुनाव में एकबार फिर पूजा और अशरफ एक दूसरे के सामने थे। लेकिन इसबार पूजा पाल ने अशरफ को पटखनी दे दी। 2012 के विधानसभा चुनाव में माफिया अतीक अहमद खुद पूजा पाल के सामने था लेकिन फिर भी वह राजूपाल की विधवा पूजा पाल को हरा नहीं सका।

लगातार दो बार चुनाव जीतकर पूजा पाल ने इलाके में अपनी पकड़ भी बना ली थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में एकबार फिर वह बसपा के टिकट पर मैदान में थीं। लेकिन इस बार मोदी लहर के कारण उन्हें बीजेपी प्रत्याशी सिद्धार्थनाथ सिंह के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा। इसके बाद पूजा सपा में शामिल हो गईं और लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन यहां भी उन्हें असफलता हाथ लगी।

2022 के विधानसभा चुनाव में पूजा पाल ने अपनी परंपरागत सीट छोड़कर कौशांबी जिले की चायल सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं और जीत भी हासिल की। वर्तमान में वह विधायक हैं। हालांकि, उन्होंने अपना नया जीवनसाथी भी चुन लिया है। चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उन्होंने अपने पति का नाम बृजेश वर्मा लिखा है।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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