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माया का एक्शन: अपने 9 प्रदेश अध्यक्षों को बाहर का रास्ता दिखाने वाली इकलौती पार्टी है बसपा

बसपा अध्यक्ष मायावती अब तक 9 प्रदेश अध्यक्षों को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Chitra Singh
Published on: 5 Jun 2021 10:26 AM GMT
BSP Supremo Mayawati
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मायावती (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

बसपा: देश के अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक ताकतवर बसपा (BSP) ही एक ऐसी पार्टी है, जिसने इस प्रदेश में अपने सबसे अधिक प्रदेश अध्यक्षों को हटाने का काम किया है। पार्टी की स्थापना के बाद से अनुशासन के मामले में किसी भी तरह का समझौता न करने वाली पार्टी अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने वैसे तो न जाने कितने विधायकों और सांसदों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है, पर प्रदेश अध्यक्षों को उनके पद से हटाने का काम सबसे अधिक इसी पार्टी ने किया है। मायावती अब तक 9 प्रदेश अध्यक्षों को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। इसके अलावा चार पूर्व केन्द्रीय मंत्री भी पार्टी से बाहर जा चुके हैं। इनमें विदेश मंत्री नटवर सिंह तक शामिल हैं।

खास बात यह रही कि इनमें से जिन्हें बसपा से निकाला गया, उन सब नेताओं ने नए दल का गठन भी किया, पर वह इन दलों को ज्यादा आगे नहीं ले जा सके। अन्तोगत्वा उनको किसी ने किसी दल में खुद को शामिल करना पड़ा।

हाल ही में बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा व पूर्व मंत्री राजअचल राजभर को अनुशासनहीनता के आरोप में बाहर का रास्ता दिखाया गया। यह दोनों ही नेता पहले प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इससे पहले पार्टी के कद्दावर नेता रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी, इन्द्रजीत सरोज, कमलाकांत गौतम को भी बाहर का रास्ता दिखा चुकी थी।

लालजी वर्मा व अचल राजभर (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

कब शुरू हुआ ये सिलसिला

जब कांशीराम जीवित थें, तभी से यह सिलसिला शुरू हुआ था। मायावती ने पार्टी की कमान संभालने के बाद से जिन सात प्रदेशाध्यक्षों को निष्कासित किया, उनमें सबसे पहले अध्यक्ष रहे राजबहादुर, सोनेलाल पटेल, भागवत पाल,(दोनो दिवंगत) दयाराम पाल, इन्द्रजीत सरोज, जंगबहादुर पटेल बरखूराम वर्मा ( दोनो दिवंगत) शामिल थे। इनमें से कुछ पार्टी बाद में पार्टी में वापस भी आ गए पर उनकी फिर वो छवि नहीं बन सकी जो बसपा से निकाले जाने के पहले हुआ करती थी।

सोनेलाल पटेल ने बनाया अपना नया दल

पार्टी संस्थापक कांशीराम के समय ही डॉ. सोने लाल पटेल (दिवंगत) और राजबहादुर कभी कांशीराम के करीबियों में शामिल थे। डॉ. सोनेलाल पटेल (दिवंगत) ने अपना दल बनाया तो राजबहादुर ने बसपा(रा) का गठन किया। डॉ. सोने लाल पटेल के निधन के बाद उनकी पत्नी कृष्णा पटेल ने पार्टी की बागडोर संभाली, तो राजबहादुर कांग्रेस में शामिल हो गए। कांशीराम के ही करीबी रहे आरके चौधरी और बरखू राम वर्मा (दिवंगत) दोनो प्रदेश अध्यक्षों को एक साथ पार्टी से बाहर किया गया। इन नेताओं ने बाद में राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी बनाई और भाजपा से मिलकर चुनाव लड़ा पर सफलता नहीं मिल सकी। कामयाबी नहीं मिली तो आरके चौधरी एक बार से 2002 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया था। इस चुनाव में आरके चौधरी तो जीते लेकिन बरखूराम वर्मा (दिवंगत)को हार का सामना करना पड़ा।

सोने लाल पटेल (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

जब 1997 में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) का भाजपा से गठबन्धन टूटा तो बसपा से अलग होकर कुछ नेताओं ने अपना अलग दल बनाया। जो बाद में टूट गया। इनमें एक दल का नाम जनतांत्रिक बसपा पडा तो दूसरे का नाम किमबपा पड़ा। एक के नेता चौ. नरेन्द्र सिंह थें तो दूसरे के जयनारायण तिवारी थें। आज यह सारे दल मिट्टी में मिल चुके हैं।

बाबू सिंह कुशवाहा ने बनाया जनअधिकार मंच

इसी तरह मायावती सरकार के दौरान सबसे ताकतवर मंत्रियों में से एक बाबू सिंह कुशवाहा के एनआरएचएम घोटालें में जेल जाने के बाद पार्टी ने उनसे किनारा किया। उन्होंने अपना जनअधिकार मंच बनाया। पर यह दल अपनी उपस्थिति तक दर्ज नहीं करा पाया। बसपा सरकार में एक और ताकतवर मंत्री रहे दद्दू प्रसाद को भी पार्टी से निकाला गया, तो उन्होंने बहुजन मुक्ति पार्टी बनाई। अन्य दलों की तरह यह भी दल इतिहास के पन्नों में सिमट गया। 1993 में पहली बार सत्ता में आने वाली बहुजन समाज पार्टी के विधायक डा मसूद अहमद के बारे में जब यह पता चला कि उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियां कुछ बढती जा रही हैं तो मायावती ने न सिर्फ उनको मंत्री पद से हटवाया बल्कि रातो रात सरकारी मकान भी खाली करा दिया गया। इसके आद डा मसूद ने नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया। पर हर चुनाव में जब पूरी तरह से नाकाम होते गए तो उन्होंने अपने दल का सपा में विलय कर लिया। इसके बाद कांग्रेस में गए फिर यहां से रालोद में चले गए।

बाबू सिंह कुशवाहा (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

मायावती सरकार में राज्यमंत्री रहे भगवती प्रसाद सागर भी जब बसपा से बाहर हुए उन्होंने भागीदारी पार्टी का गठन किया बाद में भाजपा में शामिल हो गए। बहुजन समाज पार्टी में जिन पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है उनमें विदेश मंत्री रहे नटवर सिंह, आरिफ मोहम्मद खान, अखिलेश दास (दिवंगत) अरविंद नेताम सरीखे पुराने कांग्रेसी नेता शामिल है।

Chitra Singh

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