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UP Politics: मुस्लिमों पर डोरे डाल रहीं मायावती, नौशाद अली को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी, आज़म पर भी नजर!
UP Politics: यूपी चुनाव में करारी शिकस्त झेलने के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती अब नए सिरे से एकबार फिर अपनी पार्टी और संगठन के कमजोर नब्ज को ढूंढकर उसे कसने में लगी हैं।
Lucknow: यूपी चुनाव में करारी शिकस्त झेलने के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) अब नए सिरे से एकबार फिर अपनी पार्टी और संगठन के कमजोर नब्ज को ढूंढकर उसे कसने में लगी हैं। वह जातीय समीकरण (caste equation) को भी साथ रही हैं, अपने पुराने नेताओं को आगे कर अलग-अलग दायित्व भी सौंप रही हैं। जिससे संगठन को फिर से खड़ा कर खोये जनाधार को वापस लाकर 2024 की लड़ाई दमदारी के साथ लड़ी जाये।
इसी रणनीति के तहत मायावती ने अपने पुराने विश्वासपात्र नौशाद अली (BSP leader Naushad Ali) को कानपुर मंडल (Kanpur Division) का प्रभारी नियुक्त किया है। इसके पहले पूर्व एमएलसी नौशाद अली के पास आजमगढ़ और बनारस मंडल की जिम्मेदारी थी। इस तरह से अब वह तीन बड़े मंडलों का कार्यभार देखेंगे। नौशाद अली मुस्लिम चेहरा होने के साथ मायावती (Mayawati) के भरोसेमंद सिपाही हैं। इसीलिए उन पर मायावती (Mayawati) ने भरोसा जताया है और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
संगठन को मजबूत करने में जुटीं मायावती
मायावती जहां अपने संगठन की ढीली नब्ज को टटोल कर उसे टाइट कर रही हैं। वहीं दूसरे दलों के मुस्लिम नेताओं पर भी नजरें गड़ाई हैं। मसलन आजम खान (Azam Khan) को लेकर इस वक्त चर्चाओं का बाजार गर्म है। उन्होंने रामपुर के बीएसपी नेताओं को अलर्ट किया है कि वह पूरे घटना पर नजर बनाए रखें और उन्हें पल-पल की रिपोर्ट दें। जिस तरह से एक दिन पहले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के विधायक आज़म खान से बिना मिले सीतापुर जेल के बाहर से वापस लौटे उसके बाद अब इस खबर को और बल मिल गया है कि अखिलेश (Akhilesh Yadav) और आजम के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा।
मुस्लिम नेताओं को आगे कर मुस्लिमों को संदेश
भले ही अखिलेश यादव उसके बाद यह बयान जारी कर यह बताएं हो कि वह आजम खान के लिए सदन से सड़क तक लड़ाई लड़ेंगे और पूरी पार्टी इसके लिए संघर्ष करेगी। लेकिन आजम और अखिलेश के रिश्ते में कुछ कड़वाहट जरूर है जो रामपुर में उनके मीडिया प्रभारी की जुबान से सुनाई दिया था। अब मायावती इसी का फायदा उठाकर अपने मुस्लिम नेताओं को आगे कर मुस्लिमों में यह संदेश देना चाहती हैं कि समाजवादी पार्टी को उन्होंने 2022 में अपना पूरा वोट दिया लेकिन फिर भी सरकार नहीं बन सकी।
मायावती यह संदेश देना चाहती हैं कि अगर मुस्लिम दलित एक होकर उनके साथ आ जाये तो बीजेपी को रोका जा सकता है। इसी प्लान के तहत अब वह आगे कार्य कर रही हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections 2024) के लिए ताना-बाना अभी से बुनना शुरू कर दिया है।