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मायावती ने बागी विधायकों के मंसूबे पर फेरा पानी, जानिए क्यों नहीं बना सकते नई पार्टी

मायावती अब तक 11 विधायकों को बसपा से निलंबित कर चुकी हैं, लेकिन इन विधायकों के निलंबन में मायावती ने जो दिमाग खेला है। उससे उनकी राह आसान नहीं है।

Rahul Singh Rajpoot
Published on: 16 Jun 2021 10:56 AM GMT (Updated on: 16 Jun 2021 11:04 AM GMT)
मायावती ने बागी विधायकों के मंसूबे पर फेरा पानी, जानिए क्यों नहीं बना सकते नई पार्टी
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मायावती, फाइल फोटो

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती (BSP chief Mayawati) अब तक 11 विधायकों को अपनी पार्टी से निलंबित कर चुकी हैं। इन विधायकों कि निलंबन में मायावती (Mayawati) ने जो दिमाग खेला है। उससे उन बागी विधायकों की राह आसान नहीं है। दरअसल मंगलवार को बीएसपी के कुछ बागी विधायकों ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव (SP chief Akhilesh Yadav) से मुलाकात की थी और उनके सपा में शामिल होने की चर्चा है, लेकिन बीएसपी सुप्रीमो ने पहले ही ऐसी चाल चली है कि उनके बागी विधायकों के मंसूबों पर पानी फिरता दिख रहा है और वह चाहकर भी नया दल नहीं बना सकेंगे।

मायावती राजनीति की मझी हुईं खिलाड़ी हैं, उन्हें बखूबी पता है कब, कैसे और क्या करना है? पार्टी से निकाले गए 11 विधायक कहने को तो बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं लेकिन वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते हैं। मायावती ने सबसे पहले उन्नाव के विधायक अनिल सिंह को बाहर निकाला था। उसके बाद हाथरस के रामवीर उपाध्याय का नंबर आया। इसके बाद बीएसपी सुप्रीमो ने सबसे बड़ा निकाला एमएलसी चुनाव के दौरान किया जब असलम राइनी के साथ कुल 7 विधायकों को पार्टी से निकाल दिया था। पंचायत चुनाव के बाद मायावती ने अपने दो खास दो नेता लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को पार्टी से निकाला। अबतक निकाले गए 11 विधायकों के निष्कासन का अलग-अलग मतलब हैं।


बसपा से निष्कासित विधायक, साभार-सोशल मीडिया

मायावती की रणनीति को समझें

मायावती ने पंचायत चुनाव के बाद लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को पार्टी से अलग तरीके से निकाला है। जबकि बाकी 9 विधायकों को अलग तरीके से, इनके निष्कासन में ही मायावती ने बड़ा पैंतरा खेला है। रामअचल राजभर और लालजी वर्मा को पार्टी से निकालने के साथ ही मायावती ने स्पीकर को भी पत्र भेज दिया था। उनके पत्र पर कार्रवाई करते हुए स्पीकर हृदय नरायण दीक्षित ने लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को असम्बद्ध विधायक करार दे दिया। यानी वे विधायक तो हैं लेकिन, किसी पार्टी से उनका नाता अब नहीं है। इस स्थिति में ये दोनों स्वतंत्र रूप से किसी भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। इनपर दल-बदल निरोधक कानून नहीं लागू होगा।


मायावती, लालजी वर्मा और रामअचल राजभर, फाइल फोटो

9 विधायक किसी पार्टी में नहीं जा सकते

लालजी वर्मा और रामअचल राजभर के बाद बचे 9 विधायकों को मायावती ने पार्टी से तो निकाल दिया लेकिन, उनके निष्कासन की औपचारिक जानकारी स्पीकर को नहीं भेजी। यही वजह है कि पार्टी से निकाले जाने के बावजूद वे आज भी रिकार्ड में बसपा के विधायक हैं। ये न तो किसी पार्टी को ज्वाइन कर सकते हैं और ना ही कोई अलग पार्टी बना सकते हैं। ऐसा करने के लिए इन्हें दो तिहाई की टूट करनी पड़ेगी। दो तिहाई से कम संख्या होने पर दल-बदल निरोधक कानून के तहत उनकी विधायकी चली जायेगी। जिससे साफ है कि लालजी वर्मा और रामअचल राजभर तो किसी पार्टी में जा सकते हैं लेकिन बचे 9 विधायक कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं।

जानिए क्या है दल बदल कानून ?

दल बदल कानून कहता है कि अगर किसी भी राजनीतिक दल के दो तिहाई से अधिक लोकसभा या विधानसभा सदस्य पार्टी से बगावत करके अलग गुट बना लेते हैं तो उनकी सदस्य रद्द नहीं की जाती। अर्थात दो तिहाई से ज्यादा सांसद या विधायक पार्टी नेतृत्व से नाराज होकर जो भी निर्णय लेते हैं वो माना जायेगा और उन्हें ही पार्टी का औपचारिक मुखिया माना जाएगा। अगर कोई एक सांसद या विधायक पार्टी छोड़ता है, सदस्यता से इस्तीफा देता है या किसी दूसरी पार्टी में शामिल होता है और वर्तमान पार्टी के खिलाफ काम करता है तो पार्टी अध्यक्ष और सदन सचेतक (Chief Whip) की अनुशंसा पर सभापति उसकी सदस्यता रद्द कर सकते हैं। यदि बगावत करने वाले विधायक या सांसदों की संख्या दो तिहाई से अधिक है तो उनकी सदस्यता नहीं जाएगी और उनके गुट को ही मुख्य पार्टी माना जायेगा।

Rahul Singh Rajpoot

Rahul Singh Rajpoot

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