×

शांति और एकता का संदेश देते है बौद्ध मठ, अब भी बची है आस्था

Newstrack
Published on: 21 May 2016 10:17 AM IST
शांति और एकता का संदेश देते है बौद्ध मठ, अब भी बची है आस्था
X

सहारनपुर: वैसे तो जापान और चीन को बौद्धिष्ट देश माना जाता है, लेकिन इंडिया में बुद्ध की जन्म स्थान होने की वजह से यहां पर भी इस धर्म से जुड़े लोगो की संख्या कम नहीं है। यहां हर शहर में बौद्धिस्ट मिल जाएंगे। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद में स्थित बौद्ध मठों से शांति और एकता का पैगाम दिया जा रहा है। धीरे-धीरे यहां भी बौद्ध मठों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है।

सहारनपुर की अंबेडकर कालोनी में स्थित बौद्ध मठ ज्यादा पुराना तो नहीं है, लेकिन यहां पर शांति की जो धारा बहती है, वह न केवल मानव के तनाव को कम करती है, बल्कि भगवान बुद्ध के शांति और एकता के संदेश को भी दूर-दूर तक पहुंचाती है। इस मठ का निर्माण साल 2002 में हुआ था।

तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री रहे सोम जोंग रिन पौचे और महा बोधी सोसाइटी ऑफ इंडिया के महासचिव पी सिल्ली भंटे के कर कमलों से इस बौद्ध मठ की स्थापना हुई थी। इस मठ मेंं आने से मन को शांति और तनाव को से मुक्ति मिलती है।

यह भी पढ़ें... इन योगों में करेंगे शुभ काम, नहीं पड़ेगा अशुभ प्रभाव

बुद्ध शिक्षा संस्थान द्वारा इस मठ की देखरेख की जाती है। संस्थान के संरक्षक ज्ञान चंद आजाद ने बताया कि इस मठ में न केवल भारत के बल्कि चीन, जापान और दूसरे अन्य बौद्धिस्ट देशों से आने वाले बौद्ध संत मानव को विपश्यना, बुद्ध वंदना और योग के माध्यम से जीवन जीने की कला सिखाने के साथ ही शांति का पैगाम देते हैं।

इसके अलावा सिद्धपीठ मां शाकंभरी देवी के निकट गांव नागल माफी का बौद्ध मठ भी शांति का पैगाम दे रहा है। इस मठ की देखरेख और संचालन अभी प्रेरण ट्रस्ट द्वारा की जाती है। इस ट्रस्ट अध्यक्ष शीला देवी ने बताया कि अनाथपिंडक बुद्ध विहार की स्थापना यूं तो 2000 में हुई थी, लेकिन करुणाकर ने साल 2008 में इसका उदघाटन किया।बताया कि 2 बीघा क्षेत्रफल में बने इस मठ को तीन भाग में विभाजित किया गया है। एक भाग में मठ है, दूसरे में विपश्यना केंद्र और तीसरे में स्कूल का संचालन किया जाता है।

उन्होंने बताया कि जिन बच्चों के माता पिता नहीं है, उन बच्चों को इस स्कूल में निशुल्क शिक्षा, पुस्तक, डेंस आदि उपलब्ध कराई जाती है। इस वक्त करीब 20 ऐसे बच्चे हैं, जिनकी शिक्षा का पूरा खर्च ट्रस्ट वहन कर रहा है। दलित बच्चों को भी नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है।



Newstrack

Newstrack

Next Story