बजट 2020: मोदी सरकार के 6 साल के कार्यकाल में इनकम टैक्स में हुए ये बड़े बदलाव

2014 में मोदी सरकार के आने के बाद पिछले 6 साल में बहुत सारी परंपराओं में बदलाव देखने को मिला। जैसे पहली फरवरी को बजट पेश करना, बजट पत्र ब्रीफकेस की जगह लाल कपड़े में लिपटे 'बही-खाता' में लाना इत्यादि।

Aditya Mishra
Published on: 1 Feb 2020 5:49 AM GMT
बजट 2020: मोदी सरकार के 6 साल के कार्यकाल में इनकम टैक्स में हुए ये बड़े बदलाव
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नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को 11 बजे जब संसद में बजट पेश करेंगी तो हर वर्ग की निगाह इस पर होगी कि आखिर पिटारे से उनके लिए क्या निकलेगा। मिडिल और वेतनभोगी वर्ग को भी बजट से टैक्स में छूट की उम्मीद है।

निवेश और टैक्स के मामलों की जानकारी रखने वाले लोगों ने 5 लाख रुपये तक की आय को पूरी तरह टैक्स के दायरे से बाहर रखने की उम्मीद जताई है।

2014 में मोदी सरकार के आने के बाद पिछले 6 साल में बहुत सारी परंपराओं में बदलाव देखने को मिला।

जैसे पहली फरवरी को बजट पेश करना, बजट पत्र ब्रीफकेस की जगह लाल कपड़े में लिपटे 'बही-खाता' में लाना इत्यादि। इन बदलावों के बीच आइए जानें मोदी सरकार के कार्यकाल में इनकम टैक्स के मोर्चे पर क्या-क्या बदलाव हुए...

2014 : इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख हुई

2014 के लोकसभा चुनाव में भारी जीत हासिल करने के मोदी सरकार का पहला बजट वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पेश किया। जेटली ने इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दी।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर दी गई। वहीं 80 साल और उसके ऊपर के टैक्स में छूट की सीमा (5 लाख रूपये) में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। 80 सी के तहत मिलने वाली छूट की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख वहीं होम लोन के लिए यह सीमा 1.5 लाख से 2 लाख कर दी गई।

2015: एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट

मोदी सरकार के दूसरे बजट में भी इनकम टैक्स में राहत दी गई।

कर छूट के लिए स्वास्थ्य बीमा की लिमिट 5,000 से 25,000 रुपये अैर सिनियर सिटीजन के लिए 20,000 से बढ़ाकर 30,000 कर दी गई।

यही नहीं इस बजट में परिवहन भत्ता छूट (transport allowance exemption) में भी राहत दी गई।

इसे 800 रुपये से बढ़ाकर 1,600 रुपये मासिक कर दी गई।

इस बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 80 CCD के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट की भी घोषणा की।

वहीं एक करोड़ से ऊपर इनकम वाले लोगों पर सरचार्ज 10 फीसद से बढ़ाकर 12 फीसद कर दिया गया।

2016: मकान किराए पर कर छूट में भारी वृद्धि

मोदी सरकार के तीसरे बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 87A के तहत मिलने वाले टैक्स रीबेट को 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दिया। यह उन लोगों के लिए था जिनकी सलाना कमाई 5 लाख से अधिक थी।

वहीं 80GG के तहत मिलने मकान किराए पर मिलने वाले कर छूट को 24,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपये सलाना कर दिया।

इस साल भी एक करोड़ सलाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज बढ़ाया गया और इसे 12% से 15% कर दिया गया।

2017 : टैक्स स्लैब में बदलाव

मोदी सरकार के चौथे बजट में टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया।

2.5 लाख - 5 लाख वाले स्लैब में टैक्स की दर 10% से घटाकर 5% कर दी गई, इससे इस आयवर्ग के लोगों को कुल 12,500 का फायदा हुआ।

वित्तमंत्री ने 87A के तहत मिलने वाले टैक्स में छूट की सीमा 2,500 रुपये से बढ़ाकर 5,000 कर दी। यह छूट उन करदाताओं के लिए थी, जिनकी सलाना इनकम 3.5 लाख तक थी। जहां तक सरचार्ज की बात करें तो 50 लाख से एक करोड़ के बीच सलाना आय वाले लोगों पर 10% कर दिया गया।

2018: कई तरह के छूट का मिला लाभ

मोदी सरकार के पांचवें बजट में परिवहन भत्ते में मौजूदा छूट के बदले 40,000 रुपये की मानक कटौती और विविध चिकित्सा खर्चों की प्रतिपूर्ति की अनुमति दी।

इस प्रकार करदाताओं को 5,800 रुपये का लाभ हुआ। वहीं इस बजट में सीनियर सिटिजन के लिए मेडिकल खर्च की सीमा 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई।

वहीं बैंक, वरिष्ठ नागरिकों के लिए पोस्ट ऑफिस में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज पर छूट की सीमा 10,000 से बढ़ाकर 50,000 कर दी गई।

जेटली ने गरीब और ग्रामीण परिवारों की शिक्षा और स्वास्थ्य आवश्यकताओं की देखभाल के लिए व्यक्तिगत आयकर और कारपोरेट कर पर मौजूदा 3% शिक्षा उपकर को 4% 'स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर' से बदलने का भी प्रस्ताव रखा। इस बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन ( एक लाख से अधिक) पर टैक्स 10% कर दिया।

2019: पांच लाख तक की आय करमुक्त

यह चुनावी साल था और इस बजट को कार्यकारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने पेश किया।

इस अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स में बड़ी राहत दी गई।

5 लाख तक की आय को करमुक्त कर दिया गया। हालांकि टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया।

वहीं वेतनभोगी लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन 40000 से बढ़ाकर 50000 कर दिया गया।

मानक कटौती में 10,000 रुपये की वृद्धि के परिणामस्वरूप 30% कर ब्रैकेट (अधिभार और उपकर को छोड़कर) में व्यक्तियों के लिए रु. 3,000 की कर बचत हुई।

इसके बाद Modi 2.0 government में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्ण बजट पेश किया जिसमें कर ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया गया।

Aditya Mishra

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