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#Budget: पहली बार रक्षा क्षेत्र का बजट तीन लाख करोड़ से ज्यादा
मोदी सरकार ने 2019 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए खजाना खोल दिया है। देश के इतिहास में पहली बार रक्षा क्षेत्र के लिए बजट का आवंटन तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होगा।
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने 2019 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए खजाना खोल दिया है। देश के इतिहास में पहली बार रक्षा क्षेत्र के लिए बजट का आवंटन तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होगा। पिछले साल रक्षा क्षेत्र का बजट 2.95 लाख करोड़ था और इस तरह रक्षा क्षेत्र के बजट में पांच हजार करोड़ की वृद्धि की गयी है। इसके साथ ही हाई रिस्क में ड्यूटी कर देश की रक्षा करने वाले जवानों के भत्ते में भी इजाफा किया गया है।
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हाई रिस्क वाले इलाकों में जवानों का भत्ता बढ़ा
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट पेश करते हुए कहा कि हमारी सरकार के लिए रक्षा क्षेत्र का काफी महत्व है। मौजूदा केंद्र सरकार ने 40 साल से लटकी वन रैंक वन पेंशन यानी ओआरओपी लागू की। उन्होंने बताया कि केंद्र ने ओआरओपी के लिए 35 हजार करोड़ रुपये दिए हैं। गोयल ने कहा कि रक्षा बजट में पहली बार तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का आवंटन किया गया है। सरकार हाई रिस्क वाले इलाकों में ड्यूटी देकर देश की रक्षा करने वाले सैन्य कर्मियों के जज्बे को सलाम करती है और इसी कारण इन जवानों के भत्ते में इजाफा करने का फैसला किया गया है।
पिछले बजट से पांच हजार करोड़ ज्यादा का आवंटन
वैसे जहां तक रक्षा क्षेत्र के बजट आवंटन में बढ़ोतरी का सवाल है तो यह पिछले साल से कम ही है। पिछले साल रक्षा बजट में 21 हजार करोड़ की बढ़ोतरी की गयी थी। 2017 का रक्षा बजट 2.74 लाख करोड़ रुपये था जबकि 2018 में उसे बढ़ाकर 2.95 लाख करोड़ किया गया था। इस बार रक्षा बजट में करीब पांच हजार करोड़ की वृद्धि कर इसे तीन लाख करोड़ कर दिया गया है। वैसे पाकिस्तान और चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के चलते रक्षा बजट में वृद्धि की उम्मीद पहले से ही की जा रही थी।
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कई कारणों से जरूरी थी बढ़ोतरी
रक्षा बजट में बढ़ोतरी को कई कारणों से जरूरी माना जा रहा था। 15 लाख सैनिकों वाली विशाल भारतीय सेना को आधुनिक हथियारों की भी जरुरत है। साथ ही सेना का कहना था कि मेक इन इंडिया के 25 प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए उसके पास धन नहीं है। उसे ज्यादा रक्षा बजट आवंटन चाहिए। देश को हाल-फिलहाल चीन से चुनौती मिलती रही है।
चीन का रक्षा बजट से भारत से तीन गुना ज्यादा है। भारत अपनी जीडीपी का मात्र 1.56 फीसदी रक्षा पर खर्च करता है। जबकि अमेरिका अपनी जीडीपी का 4 फीसदी, चीन 2.5 और पाकिस्तान 3.5 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित करता है। सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को चीन-पाकिस्तान से मिल रही चुनौतियों के कारण हमें अपनी जीडीपी का कम के कम 3 प्रतिशत जीडीपी पर खर्च करना चाहिए। वैसे रक्षा बजट में बढ़ोतरी से सेना के जरूरी हथियार व अन्य सामानों की खरीद की जा सकेगी।
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