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जमीनों का बिना अधिकार मुआवजा उठाने मामले में बुक्कल नवाब ने कोर्ट में दी सफाई, जांच हाई पॉवर कमेटी को
लखनऊ: गोमती नगर विस्तार में सरकारी जमीनों का मुआवजा गैरकानूनी तरीके से उठाने के मामले में गुरुवार को समाजवादी पार्टी के नेता बुक्कल नवाब ने हाईकोर्ट में अपनी सफाई पेश की। कोर्ट ने बुक्कल नवाब की ओर से अपनी सफाई में पेश कुछ कागजातों की हाई पॉवर कमेटी को परीक्षण कर रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए। यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राकेश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने हरीश चंद्र वर्मा की जनहित याचिका पर दिए।
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बुक्कल नवाब की ओर से गुरुवार को कुछ कागजात पेश करते हुए, जमीनों पर अधिकार का दावा किया गया। कहा गया कि उन्हें सरकार की ओर से गैर कानूनी मुआवजा मिलने की बात गलत है। उनकी ओर से 1977 और 1981 के कागजात पेश किए गए।
परीक्षण के बाद पेश करें पूरक रिपोर्ट
इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि यह सभी कागजात हाई पॉवर कमेटी के समक्ष रखे जाएं। कोर्ट ने कहा, चूंकि कमेटी जांच रिपोर्ट पहले ही दाखिल कर चुकी है लिहाजा उक्त कागजातों का परीक्षण करने के बाद पूरक रिपोर्ट दाखिल की जाए।
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कोर्ट ने जताई नाराजगी
कोर्ट ने अपने 7 मार्च के आदेश का अनुपालन न होने पर नाखुशी भी जताई। दरअसल, कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में प्रमुख सचिव, राजस्व की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सीनियर जज के समक्ष पेश हो मामला
कोर्ट के सामने यह बात आने पर कि मामला जनहित से जुड़ा है लिहाजा इसे पीआईएल सुनने वाली बेंच के सामने पेश किया जाना चाहिए। कोर्ट ने मामले को सीनियर जज के समक्ष पेश करने के आदेश दिए।
क्या है मामला?
बताते चलें, कि याचिका में आरोप लगाया गया है कि गोमतीनगर विस्तार क्षेत्र में द्वितीय गोमती बैराज से ला मार्टिनियर तक प्रस्तावित रिंग रोड योजना के लिए अधिग्रहित की जा रही जमीन का मुआवजा सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी लोगों को बांटे गए।
सरकार ने रिपोर्ट के लिए मांगा था वक्त
कोर्ट ने आरोपों को गंभीरता से लेते हुए 26 अक्टूबर 2016 को राज्य सरकार को 10 दिनों के भीतर हाई पावर कमेटी बनाकर 3 माह में जांच कराने और 30 जनवरी 2017 को रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। लेकिन 30 जनवरी को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कुछ दिनों पहले ही कमेटी बनाई गई है, इसलिए अभी रिपोर्ट देने के लिए वक्त चाहिए।
कोर्ट ने पूछा था जिम्मेदार कौन?
इस पर कोर्ट ने मुख्य सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा था कि इस देरी का जिम्मेदार कौन है। आदेश के अनुपालन में मुख्य सचिव ने जवाब दाखिल किया लेकिन कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुई। कोर्ट के सख्त रुख के बाद मामले की जांच करते हुए रिपोर्ट दाखिल की गई।