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बुलंदशहर गैंगरेपः आरोपी ने की नारको टेस्ट की मांग, CBI नहीं पेश कर पाई सबूत

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Published on: 23 Aug 2016 1:24 PM GMT
बुलंदशहर गैंगरेपः आरोपी ने की नारको टेस्ट की मांग, CBI नहीं पेश कर पाई सबूत
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bulandshahar-gangrape accused in court

बुलंदशहर: नेशनल हाईवे एनएच 91 पर हुए गैंग रेप मामले में मंगलवार को सीबीआई तीन आरोपियों को लेकर कोर्ट पहुंची। तीनों आरोपियों ने अपने आप को बेगुनाह बताते हुए पुलिस पर फसाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कोर्ट से नार्को टेस्ट की मांग भी की है। इस दौरान सीबीआई घटना स्थल से बरामद ज्वेलरी कोर्ट में पेश नहीं कर पाई।

पास्को कोर्ट में थी पेशी

नेशनल हाईवे एनएच 91 पर हुए गैंग रेप मामले में 19 अगस्त को सीबीआई ने घटना स्थल का निरीक्षण कर तीन आरोपियों की कोर्ट से रिमांड ली थी। सीबीआई ने कोर्ट से सलीम बाबरिया, जुबैर और साजिद की तीन दिनों की रिमांड लेकर उन से घटना के बारे में पूछताछ की। मंगलवार को सीबीआई ने सलीम बाबरिया और उसके दो साथियों को पाक्सो कोर्ट में पेश किया। सलीम बाबरिया ने कहा कि उन्हें पुलिस ने इस केस में फंसा दिया है। उन्होंने किसी घटना को अंजाम नहीं दिया है और न ही वह गुनाहगार है। अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए आरोपियों ने अदालत से कहा कि उनका नारको टेस्ट करा लिया जाए। नारको टेस्ट से उनका इस मामले से संबंध है या नहीं, साबित हो जाएगा।

क्या कहते हैं आरोपी पक्ष के वकील?

आरोपी पक्ष की वकील मंजू शर्मा ने बताया कि सलीम और उसके दोनों साथियों ने कोर्ट से नार्को टेस्ट की मांग की है। उन्होंने बताया कि सीबीआई ने भी नार्को टेस्ट के लिए कोर्ट से कहा है। आरोपी पक्ष की वकील ने अदालत से यह भी कहा कि सीबीआई ने इस मामले में पुलिस द्वारा बरामद किया गया सामान कोर्ट के समक्ष नहीं रखा है। पुलिस ने अपनी तफ्तीश के दौरान आरोपियों से पीड़ित पक्ष से लूटी गई ज्वैलरी और मौके पर मिली आरोपियों की चप्पलें बरामद करने का दावा किया था। अदालत ने सीबीआई को 24 अगस्त को कोर्ट के समक्ष बरामद सामान प्रस्तुत करने को कहा है। सीबीआई ने कोर्ट के इस आदेश पर अपनी सहमति दी है।

आखिर नारको टेस्ट क्यों?

आमतौर पर अपराधियों से सच उगलवाने के लिए नारको टेस्ट का सहारा लिया जाता है। ऐसा तब होता है जब अपराधी से वाछिंत जानकारियां नहीं मिल पाती। अपराधियों के मन का सत्य टुथ सीरम इंजैक्शन की सहायता से उगलवाया जाता है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति स्वाभाविक रूप से बोलता है। यह एक फोरेंसिक परीक्षण होता है, जिसे जांच अधिकारी, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सक और फोरेंसिक विशेषज्ञ की मौजूदगी में किया जाता है। सामान्यतया अपराधी इस प्रक्रिया से गुजरना नहीं चाहते। क्योंकि इस पद्धति के टेस्ट में सच सामने आ जाता है, इससे अपराधी को सजा होना तय है।

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