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बुलंदशहर हिंसा: SP सिटी डॉ. प्रवीण रंजन का हुआ ट्रांसफर, 5 अफसरों पर गिर चुकी है गाज

बुलंदशहर हिंसा की गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं पाई है। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के कातिलों तक सुरक्षा और जांच एजेंसियां अभी तक नहीं पहुंच पाई हैं। वहीं, अब तो इस बात को एसआईटी भी मानने लगी है कि उनके पास अभी भी कातिलों के संबंध में कोई पुख्ता सुबूत नहीं हैं।

Manali Rastogi
Published on: 12 Dec 2018 2:47 PM IST
बुलंदशहर हिंसा: SP सिटी डॉ. प्रवीण रंजन का हुआ ट्रांसफर, 5 अफसरों पर गिर चुकी है गाज
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बुलंदशहर: बुलंदशहर हिंसा की गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं पाई है। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के कातिलों तक सुरक्षा और जांच एजेंसियां अभी तक नहीं पहुंच पाई हैं। वहीं, अब तो इस बात को एसआईटी भी मानने लगी है कि उनके पास अभी भी कातिलों के संबंध में कोई पुख्ता सुबूत नहीं हैं।

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उधर, मंगलवार देर शाम शासन ने बुलंदशहर के एसपी सिटी डॉ. प्रवीण रंजन सिंह को हटाते हुए अलीगढ़ से अतुल कुमार श्रीवास्तव को बुलंदशहर का नया एसपी सिटी बना दिया है। डॉ. प्रवीण रंजन सिंह को यूपी 100 मुख्यालय लखनऊ भेज दिया गया है। इस मामले में अब तक शासन पांच अफसरों पर गाज गिरा चुकी है।

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बुलंदशहर कांड में आरोपी सेना के जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू को लेकर उसके बड़े भाई धर्मेंद्र फौजी ने कहा कि मेरा भाई निर्दोष है। मेरे पास ऐसे सबूत हैं, जिनसे वह जीतू को बेगुनाह साबित कर देंगे। धर्मेंद्र कहते हैं, मेरा भाई 2013 में 22 राष्ट्रीय राइफल्स में भर्ती हुआ था। वह 19 नवंबर को 16 दिनों की छुट्टी पर घर आया था। उसे 4 दिसंबर को वापस जॉइन करना था।

जानिए जीतू के बारे में

  1. जीतू का कोई आपराधिक रेकॉर्ड नहीं है।
  2. इंटर कॉलेज चित्सौना से हाईस्कूल तक पढ़ाई की।
  3. इसके बाद पब्लिक इंटर कॉलेज स्याना से 12वीं की परीक्षा पास की।
  4. जीतू की उम्र 24 साल के लगभग है
  5. 4 साल पहले ही सेना में भर्ती हुआ है।
  6. जीतू शादीशुदा है, 10 महीने का एक बच्चा भी है।
  7. जब से सेना में भर्ती हुआ है तबसे छुट्टियों में ही घर आता था।

क्या कहती है एफआईआर?

जीतू का नाम स्याना में हिंसा, आगजनी और हत्या के मामले में लिखी एफआईआर में आरोपी नंबर 11 के तौर पर है और उसका नाम जीतू फौजी पुत्र राजपाल सिंह लिखा हुआ है।

विरोधाभास भी है

एसटीएफ जहां जीतू को हत्या का आरोपी मान रही है। वहीं पुलिस के कुछ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं हैं। ग्रामीण भी उसे निर्दोष मानते हैं। जांच अधिकारियों के पास भी कोई ऐसे सबूत नहीं हैं जो ये साबित कर सकें कि जीतू दोषी है।



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