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Bulandshahr News: कारगिल युद्ध में बुलंदशहर के 5 सैनिक हुए थे शहीद, रण बाकुरें योगेंद्र यादव ऐसे फतेह की थी टाइगर हिल
Bulandshahr News: औरंगाबाद निवासी ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव ने सीने पर 19 गोली खाकर आठ दुश्मनों को मारकर टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था। इसके बाद भारत सरकार ने योगेंद्र यादव को परमवीर चक्र से सम्मानित किया था।
Bulandshahr News (Pic: Newstrack)
Bulandshahr News: ऑपरेशन विजय के तहत हुआ कारगिल युद्ध में बुलंदशहर के रणबांकुरों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। कारगिल युद्ध में बीबीनगर के गांव सैदपुर निवासी नायब सूबेदार सुरेन्द्र सिंह, गुलावठी के गांव खैरपुर निवासी लांसनायक ओमप्रकाश, गांव खंगावली निवासी सिपाही राज सिंह, गांव कुरली निवासी नायब सूबेदार ऋषिपाल सिंह और खुर्जा के गांव पिसवागढ़ी और सहारनपुर के सिपाही कंछी सिंह ने दुश्मन के छक्के छुड़ाते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
सभी शहीदों की शहादत पर उनके पैतृक गांव में शहीद स्मारकों की सरकार ने स्थापना भी कराई और शहीदों के आश्रितों को आर्थिक सहायता,पेट्रोल पम्प/गैस एजेंसी, सरकारी नौकरी आदि भी दी थी। जब कि गुलावठी के गांव औरंगाबाद अहीर निवासी ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव ने सीने पर 19 गोली खाकर आठ दुश्मनों को मारकर टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था। इसके बाद भारत सरकार ने योगेंद्र यादव को परमवीर चक्र देकर सम्मानित किया था।
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ऐसे की थी टाइगर हिल फतेह
यूपी के बुलंदशहर जनपद के गांव औरंगाबाद अहीर निवासी योगेंद्र यादव के भाई रामबल सिंह यादव और दीपक यादव ने हमारे संवाददाता संदीप तायल को बताया कि 1 मई 1980 को जन्म हुआ था। योगेंद्र यादव ने महज 19 साल की उम्र में अदम्य साहस का ऐसा परिचय दिया कि देश उनको आज भी देश सलाम करता है। दरअसल फौजी करण सिंह यादव के पुत्र योगेंद्र यादव 1996 में 18 ग्रेनेडियर बटालियन में भर्ती हुए थे। सन 1999 में शादी के 5 माह बाद ही उन्हें कारगिल युद्ध पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से जंग लड़ने के लिए बुलावा आ गया परिवार में खुशियों का माहौल था और योगेंद्र यादव उसे माहौल को छोड़ देश की सेवा के लिए कारगिल युद्ध के लिए निकल पड़े।
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ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव को 7 सदस्यीय घातक प्लाटून का कमांडर बनाया गया और 3 जुलाई 1999 की रात को टाइगर हिल फतेह करने का टास्क दिया गया था। टाइगर हिल पर खड़ी चढ़ाई, बर्फ से ढका और पथरीला पहाड़ था। ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव जोखिम की परवाह किए बिना अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए ऊपर चढ़ने लगे।
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भारतीय जाबांजों को आता देख घुसपैठियों ने फायरिंग शुरू कर दी, ग्रेनेड, रॉकेट से हमले किए, जिसमें 6 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, साथियों की शहादत को देख प्लाटून रुक गई। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव ने सीने पर 19 गोली खाने के बाद भी दुश्मन के ठिकानो पर हमला बोल दिया, हाथ की हड्डी दुश्मनों को गोली लगने से बाहर निकल गई थी।
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योगेंद्र यादव ने अदम्य साहस दिखाया और रेंगते हुए टाइगर हिल की तरफ बढ़ते रहे। मौका पाकर तीन तरफ से दुश्मनों पर फायरिंग की जिससे दुश्मन घबराकर पीछे हटे और फिर योगेंद्र यादव ने 8 दुश्मनों को हल्ला कर टाइगर हिल पर तिरंगा फहरा फतह हासिल कर ली। योगेंद्र यादव कई महीने के इलाज के बाद स्वस्थ हो सके। इसके बाद भारत सरकार ने उन्हें उनके अद्मय साहस और वीरता के लिए जीवित रहते हुए परमवीर चक्र से सम्मानित किया। कारगिल युद्ध को आज 25 साल हो गए लेकिन योगेंद्र यादव और उनके परिजन आज भी 25 साल पुरानी कारगिल युद्ध की गाथा को नहीं भूले हैं। योगेंद्र यादव के परिजनों ने बताया कि 26 जुलाई को कारगिल में कारगिल विजय दिवस मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए योगेंद्र यादव कारगिल गए हुए हैं।