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राजनीति का अखाड़ा बना बुंदेलखंड, न तो बुझी प्‍यास, न खत्‍म हुई आस

Newstrack
Published on: 5 May 2016 5:57 PM IST
राजनीति का अखाड़ा बना बुंदेलखंड, न तो बुझी प्‍यास, न खत्‍म हुई आस
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महोबाः बुंदेलखंड प्यास से दम तोड़ने को मजबूर है। पानी की समस्या से आम आदमी जूझ रहा है। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। हालात महाराष्‍ट्र के लातूर जैसे हो गए हैं। सूखे से तड़प रहे महोबा को सपा ने समाजवादी राहत पैकेज दिया तो अब केंद्र की बीजेपी सरकार ने इनका गला तर करने के लिए ट्रेन भेज दी। लेकिन वास्‍तविकता यह है कि न तो अभी तक इनकी प्‍यास बुझी और न तो इनकी आस।

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क्‍या कहती है आवाम

-केंद्र और राज्‍य सरकार सियासत कर अपनी रोटियां सेक रहे हैं।

-किसी को हमारी प्‍यास से कोई सरोकार नहीं है। अगर नेताओं को वास्‍तविकता देखनी है तो वो हमारे क्षेत्र में आएं और यहां के हालात देखें।

-अगर केंद्र सरकार ने पानी की ट्रेन भेजी है तो यूपी सरकार को उसे लेना चाहिए।

-ग्राम टीकामऊ में रहने वाले अरुण तिवारी और रामशंकर गोस्वामी की मानें तो महोबा में पानी की किल्‍लत है पर कोई सुनने वाला नहीं।

-गांव में 70 फीसदी हैंडपंप खराब पड़े हैं। पानी की समस्या इतनी है कि घरों की महिलाएं कई किमी से पानी लाने के लिए मजबूर हैं।

-गुगौरा और गुढ़ा गांव में भी पेयजल की समस्या है तो वहीं ग्राम सालत भी पानी की समस्या से जूझ रहा है।

क्या कहते हैं समाजसेवी

-सामजसेवी एच के पोद्दार भी मानते हैं कि बुंदेलखंड के महोबा में पानी की समस्या से निदान के लिए वाटर ट्रेन बेहतर विकल्प है।

-इस ट्रेन के आने से पानी की समस्या से राहत मिलने की उम्मीद है।

-इसके आलावा यदि स्थायी निदान के लिए भी सरकारें सोचें तो महोबा से पानी समस्या हमेशा के लिए खत्म हो सकती है।

-बीजेपी इस ट्रेन को केंद्र सरकार की पहल मानती है।

महोबा के डीएम वीरेश्वर सिंह का कहना है कि

-इस वाटर ट्रेन की जरूरत नहीं है। यहां पानी की ऐसी किल्लत नहीं है और लोगों को टैंकर से पानी सप्लाई की जा रही है।

-डीआरएम झांसी का फोन हमारे पास आया था उन्होंने कहा था कि ट्रेन के वैगन के माध्यम से पानी भेजने की व्यवस्था है।

-हमने उनको बताया कि 40 गांव पानी की समस्या झेल रहे है।

-उन 40 गांवों में ऐसा नहीं है कि सभी हैंडपम्प काम करना बंद कर दिए है।

-अभी भी 50 फीसदी हैंडपंप काम कर रहे हैं।



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