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Banda News: बुंदेलखंड की शख्सियत को पदम श्री मिलने से खुशी की लहर, जानिए क्यों मिला सम्मान

Banda News: जल योद्धा कहे जाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता उमा शंकर पांडे जिन्होंने पानी की विकराल समस्या से ना सिर्फ अपने गांव को निजात दिलाई बल्कि उन्होनें जल संरक्षण के लिए मुहिम भी चलाई।

Anwar Raza
Report Anwar Raza
Published on: 1 Feb 2023 6:57 PM IST
Banda News
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Banda News (Newstrack Samachar)

Banda News: आजादी के बाद 74 सालों में इस गणतंत्र दिवस पर बुंदेलखंड में बांदा की एक शख्सियत को पदम श्री पुरस्कार से नवाजा गया है, पदम श्री पुरस्कार बांदा जनपद में 30 वर्षों से जल संरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे। जल योद्धा कहे जाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता उमा शंकर पांडे को दिया गया है, जिन्होंने पानी की विकराल समस्या से ना सिर्फ अपने गांव को निजात दिलाई बल्कि उमा शंकर पांडे की जल संरक्षण को लेकर अपनाई और प्रचारित की गई इस तकनीक को पूरे प्रदेश और देश में भी लोग अपनाना शुरू कर चुके हैं। बुंदेलखंड जैसे सूखे क्षेत्र में उमा शंकर पांडे की यह मुहिम बेहद कारगर भी साबित हुई और इसी मुहिम के चलते इन्हें जल योद्धा भी कहा जाने लगा है। सूखे के खिलाफ उमा शंकर पांडे की इसी जंग ने राज्य और केंद्र सरकार से इन्हें पदम श्री पुरस्कार से अब सम्मानित कराया है।

ऐसी है पद्म श्री विजेता की कहानी

"खेत में मेड़, मेड़ में पेड़" यह वह नारा है जो 30 साल पहले उमा शंकर पांडे ने किसानों को दिया था। बांदा मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर जखनी गांव के रहने वाले उमा शंकर पांडे ने अपने ही गांव में पानी की विकराल समस्या को खत्म करने के लिए 30 साल पहले एक संकल्प लिया था और गांव के कुछ लोगों के साथ मिलकर इस मुहिम में जुटे थे। इस मुहिम के जरिए उमा शंकर पांडे और उनके साथियों ने सबसे पहले अपने ही खेतों में मेड़ बनाकर और मेड़ों में पेड़ लगाकर बरसात के पानी को खेतों में ऊपर ही रोकना शुरू किया और उनका यह प्रयास सफल रहा। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे गांव ने इस तकनीक को अपनाया और कभी सूखा और बंजर कहा जाने वाला जखनी गांव कुछ सालों में ही जलगांव में परिवर्तित हो गया। आज हालात यह है कि जिस जखनी गांव में गर्मी के 4 महीने 5 किलोमीटर दूर से पीने के लिए भी पानी लाना पड़ता था। अब उस गांव में हर कुएं हर तालाबों में गर्मी के महीनों में भी चार पांच फीट गहराई पर ही पानी उपलब्ध है। उमा शंकर पांडे बताते हैं कि यह तकनीक उनके पुरखों की है कि हर खेत में मेड़ बांध हो और हर मेड़ में पेड़ लगा दो जिससे बरसात का पानी कहीं दूसरी जगह बहने के बजाय खेत में ही समा जाए और बरसात के पानी को संरक्षित किया जा सके।

सम्मान मिलने से बढ़ गई जिम्मेदारी - उमा शंकर पांडे

30 सालों से लगातार इस मुहिम में जुटे सामाजिक कार्यकर्ता उमा शंकर पांडे का ना तो कोई ऑफिस है ना कोई एनजीओ। खेत की मेड़ में बैठकर और नीम के पेड़ों के नीचे बसेरा कर जल संरक्षण की इस योजना पर पिछले 30 साल से अमल करने वाले इस जल योद्धा की मुहिम से प्रभावित होकर सरकार ने उन्हें पदम श्री सम्मान से नवाजा है। इसको लेकर उमा शंकर पांडे और उनका परिवार बेहद खुश है। उमा शंकर पांडे और उनकी पत्नी का कहना है कि सरकार ने जिस तरह उनकी तीन दशकों की इस तपस्या का फल दिया है। उसके लिए वह प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त करते हैं। पदम श्री सम्मान मिलने से उत्साहित उमाशंकर का कहना है कि सम्मान मिलने के बाद मेरी जिम्मेदारी भी काफी बढ़ गई है। अब इस अभियान को पूरे देश में बढ़ाना उनका लक्ष्य है।



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Durgesh Sharma

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