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UP Election 2022: नाराज युवा कर रहे पलायन, भाजपा के लिए बन सकता है मुसीबत

UP Election 2022: बुंदेलखंड (Bundelkhand Vidhan Sabha Chunav 2022) की धरती पर राजनीतिक सियासी दलों के लिए हमेशा से बड़ी चुनौती रही है। यहां की जनता का बदलता मिजाज किसी को झटका दे जाता है तो किसी को अर्श पर पहुंचा देता है।

B.K Kushwaha
Report B.K KushwahaPublished By Divyanshu Rao
Published on: 6 Dec 2021 3:46 PM GMT
Bundelkhand Vidhan Sabha Chunav 2022
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Bundelkhand Vidhan Sabha Chunav 2022

UP Election 2022: अब बुंदेलखंड (Bundelkhand Vidhan Sabha Chunav 2022) का युवा काफी नाराज नजर आ रहा हैं। यहां के जमीनी नेता बुंदेलखंड के युवाओं पर खरे नहीं उतर रहे हैँ। यही कारण है कि युवा ने अब नेताओं के मुंह पर तमाचा मारना शुरु कर दिया है। इसके अलावा बुंदेलखंड से अभी भी पलायन जारी है मगर प्रशासन ने इस पलायन को मानने को तैयार नहीं हैं। रेलवे स्टेशन के बाहर बने यात्री शेड में बुंदेलखंड की जनता को देखा जा सकता हैं।

वहीं, बुंदेलखंड की धरती पर राजनीतिक सियासी दलों के लिए हमेशा से बड़ी चुनौती रही है। यहां की जनता का बदलता मिजाज किसी को झटका दे जाता है तो किसी को अर्श पर पहुंचा देता है। यही कारण है कि केवल 19 विधानसभा सीटों वाले इस इलाके में अपनी जड़ें बनाए रखने के लिए जहां भाजपा एड़ी चोटी जोर लगा रही है, तो वहीं सपा, बसपा व कांग्रेस के रूप में विपक्ष पहले से मौजूद चुनौतियों को पार पाने की कोशिश में है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) कई चुनावी सौगातों के साथ यहां कई बार दौरा कर चुके हैं। इसमें जलजीवन मिशन की महत्वाकांक्षी परियोजना से लेकर डिफेंस कारीडोर व बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway) के जरिए उद्योग कारोबार बढ़ाने वाली योजनाओं को रफ्तार देना शामिल है। भाजपा ने यहां अपनी जीत को बरकरार रखने के लिए खास रणनीति बनाते हुए जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को भी दुरुस्त किया है।

अखिलेश यादव के लिए बुंदेलखंड सबसे कमजोर कड़ी है। इसीलिए उन्होंने यहां पूरा फोकस करते हुए अपनी विजय रथयात्रा का पहला चरण कानपुर-बुंदेलखंड में गुजारा और अब पांचवे चरण में भी वह अपनी रथयात्रा लेकर इस इलाके में घूमते रहे। उन्होंने महिलाओं की पांच सौ रुपये वाली पेंशन तिगुनी करने का चुनावी वायदा भी यहीं से किया है। जब सपा ने 224 सीटें लेकर यूपी में सरकार बनाई थी तब उसे इस इलाके में महज पांच सीटें ही मिली थीं। यही नहीं तब बुंदेलखंड के हमीरपुर, ललितपुर, महोबा में तो उसका खाता तक नहीं खुला था।

उससे पहले 2007 के चुनाव में सपा केवल 6 सीट जीत पाई थी। एक वक्त बसपा का मजबूत किला रहा बुंदेलखंड अब इस पार्टी की धमक कुछ कमजोर सी हुई है। फिर भी बसपा यहां प्रबुद्ध सम्मेलन कर अपनी सक्रियता बढ़ाई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पिछले महीने ही चित्रकूट जाकर चुनावी अभियान चलाया।

मिशन 2022 विधानसभा चुनाव की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

भाजपा का गढ़ बन चुका है बुंदेलखंड

सात साल से यह इलाका भाजपा का गढ़ बना हुआ है। भाजपा ने सभी सीटें एक लाख से लेकर 15 हजार तक जीत के अंतर से जीतीं हैं। पर बुंदेलखंड का सियासी मिजाज कुछ ऐसा रहा है कि वह किसी एक दल का होकर नहीं रहा है। यहां बसपा को भी ऊंचाईयों पर बिठाया तो सपा को भी खासी तवज्जो मिली। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा पांच,बसपा सात, कांग्रेस चार व भाजपा ने तीन सीटें जीती थीं। उसके बाद से दो विधानसभा व एक विधानसभा चुनाव में भाजपा का यहां डंका रहा है।

यह हैं बुंदलेखंड की सीटें

माधोगढ़, काल्पी, उरई, बबीना, झांसी नगर, मऊरानी पुर, गरौठा, ललितपुर, हमीरपुर, राठ, महोबा, चरखारी, तिंदवारी, बबेरू, नरैनी, बांदा, चित्रकूट, मानिकपुर। बुंदेलखंड में दो मंडल झांसी व चित्रकूट आते हैं। इसमें सात जिले जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, बांदा व चित्रकूट हैं। पिछड़ा व दलित बाहुल्य इलाके में किसान काफी गरीब हैं। विकास बड़ा मुद्दा है। सूखा पड़ जाना, छुट्टा जानवर गरीबी व पलायन यहां बड़ी समस्या रहे हैं।

क्या बीजेपी लगा पाएगी जीत की हैट्रिक?

झाँसी सीट पर रहा है ब्राहमणों का वर्चस्व

झाँसी। बुंदेले हर बोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी। ये हमने बचपन से पढ़ा और सुना है। झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई का किला है, जिसे झाँसी फोर्ट के नाम से जाना जाता है। लेकिन पर्यटन की दृष्टि से इस किले का कोई विकास नहीं हो सका है। वहीं चुनाव के लिहाज से देखें तो झाँसी विधानसभा सीट ब्राह्मणों के वर्चस्व वाली सीट मानी जाती है।

झाँसी सदर विधानसभा सीट पर वर्तमान में कुल 3,98,008 मतदाता हैं। झाँसी सदर सीट पर जातीय समीकरणों के लिहाज से ब्राह्मण वोटर सबसे अधिक निर्णायक माना जाता है। संख्या को लेकर जरूर यहां मतभिन्नता दिखाई देती है। अन्य बिरादरियों के मतदाता अलग-अलग चुनाव में बदलते रुझानों के मुताबिक मतदान करते रहे हैं। इस विधानसभा सीट पर 11 चुनाव में से 10 बार ब्राह्मण प्रत्याशी ही विधायक चुने गए हैं।

झाँसी सदर विधानसभा सीट पर 2017 में भाजपा के प्रत्याशी रवि शर्मा ने जीत दर्ज की है। चुनाव में उन्हें 117873 मत मिले हैं, जबकि बहुजन समाज पार्टी के सीताराम कुशवाहा दूसरे स्थान पर रहे। उन्हें 62095 मत मिले। वहीं 2012 में भी इस सीट पर भाजपा के रवि शर्मा नहीं जीत दर्ज की है लेकिन उन्हें इस चुनाव में 67043 मत मिले। जबकि बसपा के सीताराम कुशवाहा को 58963 मत मिले थे। वहीं 2007 में प्रदीप जैन आदित्य एक गैर ब्राह्मण प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस से जीत दर्ज की थी। वहीं इस सीट पर 2002 में बहुजन समाज पार्टी के रमेश कुमार शर्मा की जीत हुई थी। फिलहाल पिछले दो चुनावों से बीजेपी के रवि शर्मा जीत दर्ज कर रहे हैं। अगर 2022 में बीजेपी की जीत होती है तो वह इस सीट पर अपनी हैट्रिक को पूरा करेंगे।

एक नजर में झाँसी नगर विधानसभा सीट

सीट का नाम- 223 झाँसी नगर विधानसभा

कुल मतदाता - 3,98,008 (2017 के अनुसार)

जिला- झांसी

वर्तमान विधायक- रवि शर्मा

पार्टी- बीजेपी

Divyanshu Rao

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