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Chitrakoot: धधक रहे पाठा के जंगल, UP से MP तक उठ रही आग की लपटें
Chitrakoot: हर साल गर्मी के दौरान महुआ बीनने वाले, जंगल-झाड़ साफ करने के लिए आग लगा देते हैं। यही आग जंगलों में फैल जाती है। पिछले एक सप्ताह के भीतर क्षेत्र के कई जंगलों में आग लग चुकी है।
Chitrakoot News: उत्तर प्रदेश-मध्यप्रदेश सीमा में दुर्गम पहाड़ियों के बीच पाठा के घनघोर जंगलों (Forests of Patha) में तापमान बढ़ने के साथ आग लगने का सिलसिला जारी है। दिनोंदिन यह बढ़ता ही जा रहा है। थमने का नाम नहीं ले रहा। सोमवार को मानिकपुर क्षेत्र के बांसा पहाड़ समेत कई जंगलों को आग ने अपनी आगोश में ले लिया। किसी तरह बांसा पहाड़ की आग को काबू में पाया गया। लेकिन यूपी से लेकर एमपी तक पाठा के जंगलों में अभी आग की लपटें नहीं थमी है।
रानीपुर वन्य जीव विहार के बेधक, रोझौंहा, निही चिरैया के अलावा सीमा से सटे एमपी के धारकुंडी जंगल में आग की लपटें उठ रही है। बता दें, कि हर साल गर्मी के दौरान महुआ बीनने वाले, जंगल-झाड़ साफ करने के लिए आग लगा देते हैं। यही आग जंगलों में फैल जाती है। पिछले एक सप्ताह के भीतर मानिकपुर, मारकुंडी, रैपुरा व बरगढ़ रेंज क्षेत्र के कई जंगलों में आग लग चुकी है। जिसमें वन संपदा को भारी नुकसान हुआ है।
पाठा के जंगलों में अभी आग थमी नहीं
एक दिन पहले ही बांसा पहाड़ के जंगल में आग लगने से प्रशासन में हड़कंप मच गया था। किसी तरह शाम तक वन विभाग व अग्निशमन की टीमों ने आग पर काबू पाया है। लेकिन पाठा के जंगलों में अभी आग थमी नहीं है। आग की लपटें जंगलों में इस कदर उठ रही है कि जंगल में विचरण करने वाले जीव-जंतु जान बचाकर इधर-उधर भागते नजर आ रहे है। आग बुझाने के लिए कोई नजदीक पहुंचने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा। खास बात यह है कि यह जंगल इतने अधिक घनघोर होने के साथ इनमें रास्ते बहुत ही दुर्गम हैं, जिसकी वजह से इनमें आग बुझाना मुश्किल भरा काम है। फिर भी वन विभाग की टीमें प्रयास में जुटी है।
वन्य जीव विहार के जंगलों में कई दिनों से आग
रानीपुर वन्य जीव विहार के जंगलों में आग कई दिनों से सुलग रही है। मानिकपुर रेंज के ऐलहा, नागर, रानीपुर, गिदुरहा व निही चिरैया व मारकुंडी क्षेत्र के डोडा माफी, परासिन वीट मे आग लगने की सूचना है। जिस पर वन्य जीव विहार के रेंजर कृष्णदत्त पांडेय व रवि कुमार अपनी-अपनी टीम के साथ ग्रामीणों के सहयोग से आग पर काबू पाया है। रेंजर का कहना है कि जंगल में कोल आदिवासी महुआ बीनने के लिए सूखे पत्तों में आग लगाते है। यही आग हवा के कारण जंगल में बढ जाती है। रविवार की शाम नागर जंगल मे लगी आग को बुझा दिया गया। जबकि अन्य जगह आग को बुझाने का प्रयास किया जा रहा है।
वन विभाग ने आग पर नजर रखने को लगाई टीमें
जंगलों में रोजाना लग रही आग को देखते हुए वन विभाग की टीमें लगातार गश्त कर रही है। इसके लिए मारकुंडी छह तथा मानिकपुर की 11 वीटो में आग नियंत्रण के लिए फायर लाइन किया गया है। इसके साथ ही जंगलों में लगातार आग के बचाव को लेकर कंट्रोल वार्निग की गई है। रानीपुर वन्य जीव के प्रभारी वार्डेन डीएफओ आरके दीक्षित ने बताया कि जंगलों में आग लगने से जीव जंतु दहशत मे रहते है, बेशकीमती पेड़ भी जल जाते है। इसलिए दोनों रेंज की सभी वीटों पर जंगलों की सुरक्षा के लिए टीमें लगातार लगी है। जंगल में सूखे पत्तों को हटाने के साथ आग न फैले, इसके लिए फायर लाइन किया गया है। ग्रामीणों को हिदायत दी गई है कि गर्मी को देखते हुए बीडी, सिगरेट, माचिस लेकर जंगल मे न जाएं।
जंगलों को गर्मी में बचाने की जरूरत
डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने मानिकपुर विकासखंड क्षेत्र के ऐचवारा गांव के मजरा लौघटा में चौपाल लगाई। ग्रामीणों को जंगलों में आग न लगाने के लिए जागरूक किया गया। यह मजरा जंगल के बीच में बसा हुआ है। डीएम ने कहा कि वह कौन लोग हैं जो जंगलों में आग लगाते हैं, इसके संबंध में जानकारी जुटाएं। वर्ष 2022 में सबको संकल्प लेने की जरूरत है कि हम लोग ऐसा कार्य न करें, जिससे कि आग लग जाए। यह जंगल हमें जीवन देते हैं। जून तक हम लोगों को जंगल बचाने की जरूरत है। अगर कहीं थोड़ी भी आग दिखे तो उसे बुझाएं। एसडीएम व अग्निशमन अधिकारी को सूचित करें। उन्होंने कहा कि ऐसी गलती करने वाले लोगों पर वन विभाग व आईपीसी की धारा में गिरफ्तारी की जाएगी। जंगल हमें फल-फूल देता है। इसका अगर पोषण नहीं कर सकते तो नुकसान भी न करें। लोगों का फल-फूल पर अधिकार है, लेकिन जंगल को नष्ट करने का अधिकार नहीं है।