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Chaitra Navratri Hamirpur: जयकारों से गूंज उठा मां माहेश्वरी का दरबार, आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना मंदिर

Chaitra Navratri 2022: आज नवरात्रि के प्रथम दिन मन्दिर में पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रही। मंदिर परिसर में लगने वाला वार्षिक मेला भी शुरू हो गया है।

Ravindra Singh
Report Ravindra SinghPublished By Shreya
Published on: 2 April 2022 5:49 PM IST
Hamirpur: जयकारों से गूंज उठा मां माहेश्वरी का दरबार, आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना मंदिर
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मां माहेश्वरी मंदिर (फोटो- न्यूजट्रैक)

Chaitra Navratri 2022: हमीरपुर के सरीला क्षेत्र (Sarila Chetra) के भेंड़ी डांडा में स्थित मां माहेश्वरी मंदिर (Shri Maheshwari Mandir) का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। जिसमें हजारों की संख्या में श्रदालु आते हैं और बेतवा नदी (Betwa River) में नहाकर मंदिर में जल चढ़ाते हैं। सभी की मन्नतें पूरी होती हैं। चैत्र नवरात्रि के शुरू होते ही देवी मंदिर में मां माहेश्वरी के जयकारे गूंजने लगे। आज नवरात्रि (Navratri 2022) के प्रथम दिन मन्दिर में पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रही। मंदिर परिसर में लगने वाला वार्षिक मेला भी शुरू हो गया है, जिसमें दूर दराज से आये दुकानदार अपनी दुकानों को सजाने में जुटे हैं। मेले में सुरक्षा व्यवस्था हेतु पीएसी बल व सर्किल व थाना जलालपुर से पुलिस फोर्स तैनात हो गया है।

मां माहेश्वरी मेला विकास समिति (Maa Maheshwari Fair Development Committee) के अध्यक्ष ग्राम प्रधान धीरज सिंह चौहान (Dheeraj Singh Chauhan) ने बताया कि मेले में दुकानदारों को पानी, बिजली, सफाई सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर लिया गया है। जगह जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मां माहेश्वरी देवी विकास समिति अध्यक्ष अरुण द्विवेदी ने बताया कि मंदिर परिसर में नौ दिन तक कन्या भोज व हवन पूजन निरंतर चलता है। 10 अप्रैल को विशाल जवारा व सांग यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें कई लाख माँ भक्तो के आने की संभावना है।

नवरात्रि के समय मंदिर में लगती है खासी भीड़

मां माहेश्वरी देवी विकास समिति कोषाध्यक्ष संजय द्विवेदी ने बताया कि हमीरपुर जिले से मात्र 50 किलोमीटर दूरी पर जलालपुर क्षेत्र के भेड़ी डांडा में माता महेश्वरी देवी के मंदिर का इतिहास हजारो वर्ष पुराना है। मंदिर में चैत्र और शारदीय के नवरात्रि में बुंदेलखंड के श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। क्योंकि उनकी मन्नत पूरी होती है। हालाकि पूरे क्षेत्र में व अन्य प्रांतों से माता रानी के दर्शन के लिये सैलाब उमड़ पड़ता है। देवी गीत और जयकारों से माहौल भक्तिमय बना हुआ है। माता महेश्वरी देवी का मंदिर बेतवा नदी के किनारे बना हुआ है। मंदिर बहुत पुराना है, यहां प्रशासन के द्वारा पुलिस बल श्रद्धालुओं की सहुलियत के लिये बड़ी संख्या में लगा दिया गया है। यह मन्दिर बेतवा नदी किनारे स्थित है।लोग नदी में स्नान करने के पश्चात मंदिर में दर्शन करने आते हैं।

(फोटो- न्यूजट्रैक)

मां महेश्वरी मंदिर

यह माँ का दरवार 52 शिद्ध पीठो में 22 वां शक्ति पीठ स्थान है। यह मंदिर देवी शक्ति पीठों में एक है। यहां पर मां महेश्वरी पत्थर की शिला के रूप में प्रगट हुईं थीं। नित्य दर्शन को सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं। दूर-दूर से लोग माथा टेकने के लिए आते हैं। मंदिर में व्यवस्थाओं के लिए मंदिर समिति मेला समिति द्वारा दूर दराज से आने बाले भक्तो का पुख्ता इंतजाम किया जाता है।और सुरक्षा की दृष्टि से सी सी टीवी कैमरे जगह जगह लगाए गये है। पुलिस प्रशासन द्वारा मेले में कड़ी सुरक्षा की जाती है।

इतिहास

मंदिर की स्थापना को लेकर कोई भी स्पष्ट उल्लेख नहीं है। लेकिन कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष यहाँ बेतवा नदी की तलहटी के पास जंगल हुआ करता था। मिट्टी खोदते समय देवी महेश्वरी शिला के रूप में प्रगट हुईं। महेश्वरी ने बनाया था। धीरे-धीरे मंदिर अपनी भव्य विशालता की ओर बढ़ता गया। आज देवी मंदिर का मुख्य द्वार नौ खंडीय बना हुआ है। जिसके अंतिम शीर्ष पर पांच कलश स्थापित है। मंदिर देश के कोने-कोने से आने वाले लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।

विशेषता

मंदिर में श्रद्धा व आस्था से पूजन अर्चना करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां पर मनोकामनाओं के पूरा होने पर लोग घंटा, शेर, छत्र आदि चढ़ाने के साथ-साथ जीभ भी चढ़ा देते हैं। बच्चों के मुंडन व कनछेदन संस्कार भी कराते हैं। यहां मां महेश्वरी का 24 घंटे अखंड दीप प्रज्ज्वलित रहता है।

वास्तुकला

मंदिर प्राचीन देवी शक्तिपीठों की तर्ज पर बनाया गया है। मंदिर में जगह-जगह पर छोटे-छोटे देवी देवताओं के मंदिर बने हैं। जिनमें चंदेल व मराठा कालीन नक्काशी की गई है। मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की ओर है।

(फोटो- न्यूजट्रैक)

ऐसे पहुंचे मंदिर

मंदिर जलालपुर बस स्टैंड से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर रिक्शा व टैंपों से पहुंचा जा सकता है। मंदिर बेतवा नदी किनारे स्थित है। मंदिर पर हर सोमवार को भव्य बाजार लगता है।

मां माहेश्वरी मेला विकास समिति के कोषाध्यक्ष अखिलेश शुक्ला ने बताया मंदिर अति प्राचीन है। यहां दूर-दूर से लोग माथा टेकने के लिए आते हैं और मन्नतें मांगते हैं। जिनकी मन्नतें पूरी हो जाती हैं वह मां को चढ़ौना भी चढाते हैं। मंदिर में भक्तों का उमड़ता है जन सैलाब दूर-दूर से लोग मत्था टेकने व पूजन अर्चना को आते हैं। मां के दरबार में जो भी मुराद मांगी जाती है वह पूरी होती है।

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Shreya

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