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Hamirpur News: हमीरपुर झिंजिया महोत्सव, पानी में तैरती कंस लीला, और झांकियों का रात भर चला दौर
Hamirpur News: बुन्देलखण्ड क्षेत्र अपने आन-बान-शान के लिए जितना प्रसिद्ध है उतनी ही प्रसिद्धि उसको यहाँ की लोकसंस्कृति के कारण प्राप्त है।
Hamirpur News: जिले में " झिंजिया" महोत्सव के तहत पानी में तैरती कंस लीला और कंस वध का अनोखा आयोजन किया गया। शरद पूर्णिमा को अनोखे ढंग से मनाने की यह प्राचीन परंपरा है। पानी से लबा लब भरे विशाल तालाब में तैरती दर्जनों नावों में सजाई गई यह झांकियां और इन झांकियों के द्वारा कंस वध लीला का सजीव मंचन किया जा रहा है। इन झांकियों में पूतना, कंस वध सेना, आघासुर, बकासुर, पूतना, शेषनाग बध सहित कृष्ण लीला के पूरे स्वरुप कु झांकिया तालाब में निकाली गयी है। एक तरफ जहां तालाब के पानी मे कृष्ण लीला होती है, वहीं तालाब के बाहर ग्रामीण तरह तरह के स्वांग रच कर लोगों का मनोरंजन करते हैं।
हमीरपुर में पानी में तैरती कंस लीला का आयोजन
हमीरपुर ज़िले (DISTRICT HAMIRPUR) में जरिया थाने के पवई गाव में सैकड़ों सालों से शरद पूर्णिमा के दिन और रात को झिंजिया महोत्सव मनाया जाता है जिसमें पूरे गांव के सभी परिवार के लोग मिल कर पानी में तैरती कंस लीला का आयोजन करते हैं जिसमें कंस वध लीला के सभी पात्रों का सजीव मंचन होता है जिसे देखने के लिये हजारों की भीड़ जुटती है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र अपने आन-बान-शान के लिए जितना प्रसिद्ध है उतनी ही प्रसिद्धि उसको यहाँ की लोकसंस्कृति के कारण प्राप्त है। यहाँ की लोककलाओं, लोकपर्वों, लोकविधाओं आदि में अनेकानेक गतिविधियाँ संचालित होती हैं। भारतीय संस्कृति की अपनी विशेषता ये रही है कि यहाँ धार्मिक आयोजनों, अनुष्ठानों के द्वारा किसी न किसी तरह की सीख सबक देने का प्रयास किया जाता है।
हमीरपुर के पवई गांव में शरद पूणिमा के दिन झिझिया का त्यौहार
हमीरपुर के सरीला तहसील क्षेत्र के पवई गांव में शरद पूणिमा के दिन झिझिया का त्यौहार मनाया जाता है, गांव के लोग इस त्यौहार में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं, वैसे तो इस त्यौहार का महत्व पूर्णिमा के दिन के कारण ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि मथुरा में श्रीकृष्ण भगवान ने 1600 गोपियों के साथ नृत्य किया था तब सभी देवताओं ने ऊपर से अमृत बरसाया था।
हमीरपुर पवई के बड़े तालाब में कंस वध सेना
इसी के चलते शरद पूर्णिमा के दिन झिझिया को बुंदेलखंड में जगह-जगह अलग नामो से कही टेसू, जल विहार, कहीं शरद पूर्णिमा के नाम से इसको मनाया जाता है और पवई गांव के देवस्थान शिव भंगुर बाबा गुदरिया दाई की शादी के रूप में शरद पूर्णिमा का त्योहार बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। जिसमें पवई के बड़े तालाब में कंस वध सेना, आघासुर, बकासुर, पूतना, शेषनाग नाथना सहित कृष्ण लीला के पूरे स्वरुप की झांकिया तालाब में निकाली जाती हैं। रात्रि में पूरे गांव में प्रत्येक घर से स्वांग निकाले जाते हैं। इसमें धार्मिक बुंदेली विधाओं, भारतीय संस्कृति पर आधारित, कार्यक्रम रामलीला लंका दहन जैसे जगह-जगह सांस्कृतिक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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