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Independence Day 2021: महात्मा गांधी ने टीले पर की थी जनसभा, जानिए स्वतंत्रता आंदोलन में जालौन का इतिहास
Independence Day 2021: जालौन जिला भी स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सेदारी का गवाह है।
Independence Day 2021: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का जालौन (Jalaun) जिला भी स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सेदारी का गवाह है। साल 1920 में महात्मा गांधी के द्वारा छेड़े गए असहयोग आंदोलन में यहां के लोगों ने गांधी जी का सहयोग किया था। यहां गांधी जी ने एक टीले पर बैठकर जनसभा की। गांधी जी के भाषण से कुछ लोगों पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि वह उस आंदोलन में कूद पड़े और उन्होंने अपना जीवन गांधी जी को जीवन समर्पित कर दिया।
जानकारी के अनुसार अंग्रेजी हुकूमत को देश की ताकत का अहसास कराने के लिए 1 अगस्त 1920 को गांधी जी ने आंदोलन छेड़ा और इसे असहयोग आंदोलन का नाम दिया गया। असहयोग का अर्थ है मिलकर काम करना तभी गांधी जी ने देश के हर एक कोने में जाकर लोगों से इस आंदोलन में शामिल होने का प्रस्ताव रखा।
असहयोग आंदोलन में देश के तमाम शूरवीरों ने हिस्सा लिया
असहयोग आंदोलन में देश के तमाम शूरवीरों ने हिस्सा लिया और अंग्रेजों का तख्ता पलट करने के लिए पूरे देश में रणनीति बनाई गई। वहीं जालौन के छत्रसाल इंटर कॉलेज में गांधी जी ने एक और जनसभा की और वहां कुछ रणनीति तैयार की। जिसमे कांग्रेस पार्टी के कुछ सक्रिय सदस्य इस आंदोलन का हिस्सा बने। जिले से बड़े लोगों ने इसमें हिस्सा लिया और देश की आजादी में आखिरी कील ठोकने का काम किया। इस आंदोलन सामूहिक असर देख अंग्रेजो हुक्मरानों की नींद उड़ गई।
महात्मा गांधी ने 1 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन की शुरूआत की
जानकार बताते हैं अंग्रेजी हुकूमत के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बुलंद करने और विदेशी हुक्मरानों को सबक सिखाने के लिए महात्मा गांधी ने 1 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन की शुरूआत की। गांधी जी के द्वारा छेड़े गए इस आंदोलन का देश में व्यापक असर देखने को मिला। छात्रों ने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में जाना छोड़ दिया, वकीलों ने अदालत में जाने से मना कर दिया और कई कस्बों और नगरों में श्रमिक हड़ताल पर चले गए।
साल 1921 में 396 हड़ताले हुई
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1921 में 396 हड़तालें हुई जिनमें छह लाख श्रमिक शामिल थे। और इससे 70 लाख कार्य दिवसों का नुकसान हुआ। शहरों से लेकर गांवों तक इस आंदोलन का असर दिखाई देने लगा और साल 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद असहयोग आंदोलन से पहली बार अंग्रेजी सरकार की नींव हिल गई थीं।