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Jhansi Crime News: ऑनलाइन गेम के चक्कर में बच्चे ने खरीदा 7 लाख का हथियार, चाची के खाते से निकाले पैसे

खेल-खेल में बच्चा ने साढ़े सात लाख रुपए का चपत लगा दिया। बच्चा फ्री फायर खेम खेलने में मशगुल था जिसके कारण ठगी का शिकार हुआ।

B.K Kushwaha
Report B.K KushwahaPublished By Deepak Raj
Published on: 15 July 2021 5:29 PM IST
प्रतिकात्मक तस्वीर सोशल मीडिया से ली गई है
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प्रतिकात्मक तस्वीर सोशल मीडिया से ली गई है

Jhansi Crime News:ऑनलाइन गेमिंग बच्चों के साथ उनके परिजन पर भी भारी पड़ने लगी है। इसके कारण झाँसी में एक महिला को दो माह में सात लाख रुपए गंवाने पड़े है। यह रकम उनके खाते से कटी तो उन्होंने साइबर सेल से शिकायत की। साइबर सेल ने जांच में पाया कि महिला के ही 12 साल के बच्चे ने गेम के लेवल को अपग्रेड करने के चक्कर में इस गेम में इस्तेमाल होने वाले हथियार खरीद डाले। मामला नवाबाद थाना क्षेत्र का है।

महिला ने साइबर सेल में शिकायत की

नवाबाद थाना क्षेत्र में रहने वाली एक महिला ने साइबर सेल में शिकायत की है कि दो-तीन माह के अंदर उसके खाते से लाखों रुपयों का कई बार ट्रांजैक्शन हुआ है। इस दौरान उनके खाते से सात लाख 55 हजार रुपए निकाले गए। खास बात यह रही कि रुपए निकलने के लिए उनके मोबाइल पर एक बार भी ओटीपी नहीं आया। ऐसे में इसे शातिरों का ऑनलाइन ठगी करने का नया तरीका मानकर पुलिस ने जांच शुरु की। जांच में पाया गया कि महिला का एक भतीजा है।


गेम खेलता बच्चा



ऐसे में संदेह है कि उसने ही लाखों रुपए के हथियार खरीद होंगे। महिला ने अकाउंट चेक किया तो उसके खाते से सात लाख 55 हजार रुपये गायब थे। जिसकी वह से वह परेशान हो गई थी। एसपी सिटी विवेक त्रिपाठी ने बताया कि साइबर सेल ने महिला को सुझाव दिया कि वो इस बारे में अपने बच्चे व भतीजा से बात करें। जिसके बाद महिला यह जानकार दंग रह गई कि उसके भतीजे ने एक एक ऑनलाइन गेम से जुड़ा हुआ था और उसने लेवल अपडेट करने और हथियार खरीदने के लिए वित्तीय लेनदेन किया था।

एसपी सिटी ने बताया कि वित्ती लेनदेन के दौरान ओटीपी नहीं मांगा गया था। जिसकी वजह से महिला को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इसी बीच पुलिस ने अभिभावकों से बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर बनाए रखने की अपील की है क्योंकि ऑनलाइन क्लासेस के चलते स्मार्टफोन तक बच्चों की पहुंच आसान हो गई है। एसपी सिटी का कहना है कि पुलिस उपमहानिरीक्षक जोगेन्द्र कुमार सिंह के निर्देशन में परिक्षेत्रीय साइबल सेल लगातार कार्य कर रही है। कई सफलताएं भी मिली है। जल्द से जल्द और भी सफलताएं मिलने वाली है।

खाते में लिंक मोबाइल नंबर से ही ट्रांसफर किए गए रुपए



बैंक से पता चला खाते से लिंक मोबाइल नंबर से ही रुपए ट्रांजैक्शन किए गए हैं। इन रुपयों का इस्तेमाल ऑनलाइन गेम खेलने और गेमिंग लेवल को अपग्रेड करने में किया गया है। इस मोबाइल से महिला का भतीजा ही 'फ्री फायर' गेम खेलता था, लिहाजा उससे पूछताछ की गई। तब असलियत उजागर हुई।


गेम खेलता बच्चा

फ्री फायर गेम ऐसे हो जाता है खर्चीला

ऑनलाइन गेम पबजी, कॉल ऑफ ड्यूटी आदि जैसे ही फ्री फायर गेम भी एक ऑनलाइन बैटल ग्राउंड गेम है। इसे ऑनलाइन सिंगल या ग्रुप में खेल सकते हैं। खेलने वाला एक सैनिक को दूसरे से लड़ाता है। अंत में जो बचता है वह विजेता होता है। गेम निशुल्क भी है लेकिन इसमें खिलाड़ी के सैनिक को कोई सुविधा नहीं मिलती। बच्चे पहले इसे फ्री खेलते हैं। लत लगने पर गेम को अपग्रेड करने के लिए बंदूक आदि हथियार खरीदने के लिए कहा जाता है। इसके लिए ऑनलाइन रुपए लिए जाते हैं।

बच्चों पर चढ़ा मोबाइल गेम का बुखार, अभिभावक परेशान

पबजी बैन होने के बाद भी बच्चों के सिर से मोबाइल गेम खेलने का बुखार चढ़ा हुआ है। इन दिनों फ्री फायर गेम बच्चे खेल रहे हैं। अब फ्री फायर गेम बच्चों पर नशा बन कर छा गया है। सैनिक छावनी और शत्रुओं पर हमले जैसे चोंचले इस गेम में भी पबजी जैसे ही हैं। दीवानगी का यह आलम है कि दिन-दिन भर बच्चे मोबाइल पर यह गेम खेलने में व्यस्त रहते हैं। गांव-गांव तक बच्चों को घर और चौक-चौराहों, दुकानों की सीढ़ियों व घरों के बिस्तेर व दरवाजे पर मोबाइल पर गेम खेलते बच्चे सहज ही देखे जा सकते हैं। कुछ बच्चे एक-दूसरे साथी को जोड़कर गेम खेलते हैं, तो कुछ देखने के लिए नजर गड़ाए रखते हैं।

गेम में मशगूल होकर बच्चे भी हो रहे चिड़चिड़े

मोबाइल गेम खेलने वाले बच्चों के सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है और वे चिड़चिड़े होते जा रहे हैं। कई अभिभावकों ने कहा कि मोबाइल गेम खेलने की लत से बच्चों की पढ़ाई चौपट होकर रह गई है। अभिभावकों का कहना है कि लत नहीं छूटी तो उनकी जिंदगी भी बर्बाद हो जाएगी। बच्चों पर नजर रखें, ऑनलाइन गेम की अच्छाई-बुराई दोनों बताएं

कोरोना के चलते खरीदी, पेमेंट के साथ पढ़ाई भी ऑनलाइन हो गई है। ऐसे में बच्चे भी अब मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। बच्चों को मोबाइल पर ऑनलाइन सुविधा मुहैया कराने के साथ बच्चों को इसकी अच्छाई और बुराई दोनों बताएं।

मोबाइल इस्तेमाल करते समय बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखना जरुरी है। ऑनलाइन रहने वाले बच्चों से बैंक अकाउंट की जानकारी साझा न करें। बच्चे मोबाइल में क्या खेल रहे हैं इसकी पूरी जानकारी परिजनों को रखना चाहिए। बच्चों को बताएं कि लापरवाही बरतने से वे साइबर क्राइम और ठगी के शिकार हो सकते हैं। बेहतर होगा कि बच्चों को अपने सामने ही ऑनलाइन सुविधा का इस्तेमाल करने दें।



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Deepak Raj

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